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शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों का दर्शन शुभ माना जाता है।


उत्तराखण्ड लाइव: हिंदु धर्म में भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों का दर्शन शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि व के ज्योर्तिलिंगों के दर्शन मात्र से ही भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है। हर साल केदारनाथ धाम में भगवान शिव के दर्शनों के लिए लाखों श्रद्धालु देश—विदेश से यहाॅ पहुंचते हैं। आपको बता दें कि यह दिव्य स्थल केदारनाथ धाम चारों तरफ बर्फ के पहाड़ और दो तरफ से मंदाकिनी और सरस्वती नदियों के बीच स्थित है। हिंदु धर्म में आस्था रखने वाला हर एक व्यक्ति अपने जीवन काल में इस मंदिर के दर्शन कर पुण्र्य अर्जित करना चाहता है। सर्दियों में केदारनाथ मंदिर को पूरे रीति रिवाज और धार्मिक अनुष्ठान से छह माह के लिए बद कर दिया जाता है। बावजूद इसके पूरे छह माह तक मंदिर के भीतर अखण्ड दीप निरंतर प्रज्जवलित होता रहता है। इस दौरान मंदिर पूरी तरह साफ सुथरा नजर आता है। मानो छह माह के दौरान प्रत्येक दिन मंदिर परिसर में रोजाना की तरह साफ-सफाई किया करता हो। मंदिर की बनावट और कारीगिरी का विश्य काफी हद तक विश्व के सभी वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बना हुआ है। वर्ष 2013 की भयावय आपदा में भी मंदिर को किसी तरह की खरोंच तक नहीं आयी। यह अपने आप में किसी चमत्कार से कम नहीं है। पत्थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मंदिर के बारे में कहा जाता है। कि इसका निर्माण पाण्डवों के पौत्र महाराजा जन्मेजय ने कराया था। खास बात यह है कि यह शिवलिंग स्वयम्भू श्विलिंग यानी इस शिवलिंग को किसी के द्वारा स्थापित नहीं किया गया बल्कि यह स्वयं धरती से प्रकट हुआ है। गर्भ गृह में स्थित चारों विशालकाय खंभों के पीछे से स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान श्री केदारेश्वर जी की परिक्रमा की जाती है। संध्या के समय भगवान का श्रंगृार किया जाता है। उन्हें विविध प्रकार के चित्ताकर्षक ढंग से सजाया जाता है। यह मंदिर वास्तुकला का अद्भुत व आकर्षक नमूना है। मंदिर के गर्भ गृह में नुकीती चट्टान भगवान शिव के सदाशिव के रूप में पूजा होती है।
श्रद्धालुओं का मनना है कि आज भी शिव बाबा यहाॅ विराजमान है और भक्तों के कष्टों का निवारण करते हैं। न सिर्फ भारतीय बल्कि विदेशी भी इस पावन तीर्थ पर पहुंच कर जन्म जन्मांतर के लिए पुण्र्य अर्जित करते हैं।

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