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राजेंद्र धस्माना की छठवीं पुण्यतिथि 16 मई को सतपुली में आयोजित


सतपुली : ख्यातिलब्ध पत्रकार संपादक रंगकर्मी साहित्यकार राजेंद्र धस्माना की छठवीं पुण्यतिथि 16 मई 2022को उनके महान कार्यों को पुण्य स्मरण करते हुए मेरु मुलुक संस्था एवं उनीता धस्माना सच्चिदानंद प्रथम राजेंद्र धस्माना स्मृति समारोह चौहान स्टोन क्रेशर सतपुली में आयोजित कर रहे हैं। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी विशिष्ट अतिथि..एवं अध्यक्ष समाजसेवी सुंदर सिंह चौहान होंगे। राजेंद्र धस्माना

राजेन्द्र धस्माना जी का पौड़ी जनपद की मौंदाडस्यूं पट्टी के गांव बग्याली में 9 अप्रैल, 1936 को उनका जन्म हुआ। उनके पिता का नाम चंडीप्रसाद धस्माना और माताजी का नाम कलावती देवी था। कुछ समय गांव में रहने के बाद वे  हापुड आ गये थे। यहीं उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई। बाद में उन्होंने पत्रकारिता में डिप्लोमा और जन संपर्क में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया। ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ से उन्होंने अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत की और बाद में भारतीय सूचना सेवा में चले गये। लेखन की ओर रुचि प्रारंभ से ही थी। 1955 में में ही वे कवितायें लिखने लगे थे। उस दौर में उनेा एक कविता संग्रह ‘परवलय’ प्रकाशित हुआ। उनके लेख और समीक्षायें भी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छपने लगी थी। वे भारत सरकार के समाचार प्रभाग, आकाशवाणी, समाचार एकल और दूरदर्शन में समाचार संपादक रहे। धस्माना जी पहले गांधी वांड्मय के सहायक संपादक और 1993 से 1995 तक प्रधान संपादक रहे। दूरदर्शन में 1995 से 2000 तक प्रातःकालीन समाचार बुलेटिन के संपादक रहे। राजेन्द्र धस्माना जी का मतलब था एक चलता-फिरता ज्ञानकोश था। राजेन्द्र धस्माना जी का उत्तराखंड के रंगमंच मे महत्वपूर्ण योगदान रहा। वे सत्तर के दशक में उत्तराखंड रंगमंच के उन्नायकों में रहे। दिल्ली, मुंबई और पहाड़ में सक्रिय रंगमंच संस्थाओं के साथ उनका घनिष्ठ संबंध रहा। उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण नाटक लिखे, जिनमें ‘जंकजोड’, ‘अर्द्धग्रामेश्वर’, ‘पैसा न ध्यल्ला, गुमान सिंह रौत्यल्ला’ और ‘जय भारत, जय उत्तराखंड’ उल्लेखनीय हैं। एक पत्रकार के रूप में उत्तराखंड राज्य आंदोलन में भी उनकी महत्वूपर्ण भूमिका रही। मानवाधिकारों के लिये वे अंतिम समय तक लड़ते रहे। राजेन्द्र धस्माना जी की छठवीं पुण्यतिथि उतराखण्ड लाइव परिवार उन्हें सादर नमन करता है।

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