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श्याम प्रकाश रतूड़ी व सरिता भट्ट ने किया देहदान


हिमालयन आयुर्विज्ञान संस्थान में देह दान करने के लिए भरा संकल्प पत्र
डोईवाला। देहदान एक ऐसा विषय है जिस पर आज भी लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। मृत्यु के पश्चात शरीर नष्ट हो जाता है, किसी के काम भी नहीं आ पाता। देशभर में मेडिकल के छात्र-छात्राओं को पढ़ाई के दौरान बॉडी न मिल पाने की समस्या से जूझते रहते है। अगर हम यह शरीर दान कर दे ंतो मृत्यु के बाद भी हम समाज को बेहतर चिकित्सक देने में मददगार साबित होंगे। इस विषय की गंभीरता को समझते हुये ऋषिकेश निवासी श्याम प्रकाश रतूड़ी व सरिता भट्ट ने देह दान हेतु हिमालयन आयुर्विज्ञान संस्थान जौलीग्रांट में आकर मृत्यु उपरांत अपनी देह दान करने के लिए संकल्प पत्र भरा।

देहदान
गुरुवार को हिमालयन आयुर्विज्ञान संस्थान के शरीर रचना विभाग में श्याम प्रकाश रतूड़ी व सरिता भट्ट ने देह दान हेतु संकल्प पत्र भरा। सेतु समाजसेवी संस्था के़ अध्यक्ष श्याम प्रकाश रतूड़ी ने बताया कि मृत्यु के पश्चात तो शरीर नष्ट हो जायेगा लेकिन जिस समाज में मैने अपना समय व्यतीत किया है और मृत्यु के उपरांत मेरा शरीर समाज के काम आये तो जीवन सार्थक है। उन्होंने लोगों से अंग दान व देह दान के लिए आगे आने की बात कही। उन्हांेने बताया चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में उनका शरीर काम आये इसके लिए उन्होंने देह दान का निर्णय लिया। इसी संस्था की सचिव सरिता भट्ट ने अपने जन्मदिन पर देह दान करने का निर्णय लिया। उनका कहना है कि अन्य लोगों को भी इस मुहिम का हिस्सा बनना चाहिए। इस वक्त देह दान व अंगदान के लिए कई जागरूकता कार्यक्रम चल रहे है। बावजूद इसके आज भी बहुत कम लोग ही देह दान करने का साहस जुटा पाते हैं।

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स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने कहा कि देहदान को सबसे बड़ा दान माना जाता है। जो व्यक्ति देह दान व अंगदान करके जाता है वह मरने के बाद भी सबसे महान दान करके जाता है। एनॉटमी एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों का विषय होता है। जिसमें उनको शरीर के विभिन्न अंगों के बारे में बारीकी से समझाया जाता है। जिसके लिए मृत देह की आवश्यकता होती है। पहले लोग देह दान विषय पर बात नहीं करतेे थे लेकिन अब समाज में परिवर्तन आ रहा है और लोग इसकी उपयोगिता को समझ रहे है।
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