जानलेवा हो सकती हैं बारिश के ये फुहार।
बच्चों को होती है सबसे अधिक बीमारियां, रखें खयाल।
ब्यूरो/उत्तराखण्ड लाइव: मानसून आते ही देशभर में जगह—जगह बारिश के नजारे आम होने लगे है। बारिश ने एक ओर जहॉ गर्मी से राहत दी वहीं बदलता यह मौसम बीमार भी करने लगा है। यही सिलसिला अब अगले कुछ महीनों तक जारी रहेगा। बरसात का यह मौसम अपने साथ सिर्फ हरियाली ही नहीं लाता, बल्कि कई तरह की बीमारियां भी लेकर आता है। खासकर बच्चों पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत होती है इन दिनों। बच्चे अक्सर घर के बाहर आस—पास बरसात के रुके हुए पानी में खेलते हैं बारिश की बूंदों में भीगना तो उन्हें बेहद पसंद होता है। उनकी यही अठखेलियां उन्हें इस मौसम में बीमार कर देती हैं। बच्चा जरा सा भी बीमार हो तो पूरे घर का वातावरण बिगड़ जाता है। अपने इस लेख में आपको उन बीमारियों के बारे में जागरूक किया जाएगा साथ ही उनसे बचने के उपाय भी बताए जाएंगे। सबसे पहले जानेंगे कि बरसात में आखिर कौन-कौन सी बीमारियां होने का भय बना रहता है। इसके साथ ही यह भी जानेंगे कि उन बीमारियों के लक्षण और उनसे बचाव के लिए आपको क्या कुछ करना चाहिए।
जानते हैं बारिश के मौसम में बच्चों में होने वाली बीमारी के बारे में : बारिश के मौसम में बच्चों में सर्दी जुखाम, डायरिया और स्किन संबंधित रोग होने का सबसे अधिक रहता है। इसके अलावा सिरदर्द, बुखार, कब्ज और भूख न लगना जैसे कई लक्षण बच्चों में दिखाई पड़ते हैं। बारिश के दिनों में ही डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया का भी खतरा बना रहता है। अगर बच्चों में ये लक्षण दिखाई दें तो आपको लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए और तुरंत डॉक्टर से सलाह लेकर तुरंत दवा लें।
बारिश के मौसम में बच्चों में फ्लू, वायरल फीवर, डायरिया, टायफाइड, हेपेटाइटिस, पीलिया (जॉन्डिस) और शरीर में दर्द होने की शिकायतें सबसे अधिक सामने आती हैं। बारिश के मौसम में मच्छर और मक्खियां बढ़ जाती हैं। मक्खियां जब खाने पर बैठती हैं तो खाद्य पदार्थों के रास्ते भी काफी बीमारियां फैलती हैं। बारिश के मौसम में नमी होने की वजह से वायरस और बैक्टीरिया भी बढ़ते हैं। इससे फ्लू, दमा, एलर्जी और अस्थमा होने की आशंका भी बढ़ जाती है ।
इन बीमारियों से कैसे बचाएं अपने बच्चों को — बारिश के बाद जगह-जगह गंदा पानी जमा हो जाता है यह तो हम सभी जानते ही हैं। चूंकि बच्चों को पानी से ज्यादा लगाव होता है इसलिए वे मना करने के बावजूद भी पानी में खेलते हैं। छोटे बच्चे कहीं भी, किसी भी चीज को छू लेते हैं और फिर उसी हाथ की अंगुलियों को मुंह में डाल लेते हैं। जिससे उनके बीमार होने की आशंका 90 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। ऐसेमें माता-पिता या परिजनों को चाहिए कि वे बच्चों को गंदे पानी में न खेलने दें। घर के आस-पास गंदे पानी को इकट्ठा न होने दें। बच्चों को बाहर का खाना न खिलाएं।
बच्चे जब भी बाहर खेलने जाएं तो उनको पूरी बाजू के कपड़े पहनाएं हुए होने चाहिए। ताकि मच्छर न काटने पाएं। गीले कपड़ों को तुंरत बदल लेना चाहिए। बच्चों को स्वीमिंग पूल में न नहाने दिया जाए। कोशिश कीजिए कि बच्चे अपनी अंगुलियों को मुंह में न डालें। बार—बार हाथ धुलवाएं। घर हो या बाहर बच्चों को पानी से दूर रखें। बच्चों के तन पर गीले कपड़े किसी भी हाल में न रहने पाए। अगर किसी बच्चे को कोई दिक्कत है तो लापरवाही बिल्कुल न बरतें और अपने घर के पास किसी भी डॉक्टर से मिलकर ही बच्चों का इलाज कराएं।
इन चीजों का रखें विशेष ध्यान: —
- अपने कूलर और गमले में पानी को समय-समय पर बदलते रहें।
- सब्जियां, पीने का पानी और फलों को साफ रखें।
- घर में मच्छर भगाने वाली दवा का इस्तेमाल करें।
- बच्चों को मच्छरदानी में सुलाएं तो बेहतर रहेगा।
- पैर और हाथ को गंदा न रखें. गंदा होने पर साबुन से धोएं।
अगर कोई शख्स वायरल फीवर या डेंगू, मलेरिया या सर्दी-जुखाम से पीड़ित है तो बच्चों को उसके पास न जाने दे। चिकित्सकों का कहना है कि अगर सावधानी बरती जाए तो बच्चे बहुत कम बीमार पड़ेंगे। बच्चों के बीमार पड़ने पर आर्थिक तौर पर तो नुकसान होता ही है साथ में परिजनों को भी परेशानी का सामना करना पड़ जाता है।
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