logo
Latest

ऋषिकेश में घूमे जाने वाले टॉप प्लेस, जो बना देंगे आपका दिन।


उत्तराखण्ड लाइव : अगर आप भी देवभूमि उत्तराखंड घूमने आ रहे हैं और आपको जानकारी नहीं कि कहॉ घूमा जाए तो हम आपको बताते हैं कि आपको कहॉ घूमना चाहिए। उत्तराखण्ड में हरिद्वार के बाद यात्रा मार्ग पर सबसे पहले पड़ता है तीर्थनगरी ऋषिकेश जो कि देहरादून से 43 और हरिद्वार से 24 किलोमीटर की हिमालय पर्वत मालयो को पीछे छोड़ समतल स्थान में बसा हुआ एक खूबसूरत शहर है ।

ऋषिकेश के बहुत से टूरिस्ट प्लेस मशहूर हैं। विशेष तौर पर बंजी जम्पिंग , योग केंद्र, ऋषियों की कुटिया व आश्रम ,मंदिर व त्रिवेणी संगम के लिए। खासकर रिवर रॉफ्टिंग और कैंपिंग जैसे शाहसिक पर्यटन यहॉ मौजूद है।
भारतीय ग्रंथों में वर्णित कथाओं में मिलता है कि इस पावन भूमि पर ऋषि रैभ्य ने यहाँ पर ईस्वरीय दर्शन के लिए कठोर तपस्या की थी। ईश्वर ने प्रसन्न होकर उन्हें ऋषिकेश भगवान के रूप में दर्शन दिए थे। जिस कारण इस स्थान को ऋषिकेश के नाम से जाना जाता है।

ऋषिकेश पर्यटन स्थल जो अपने अध्यात्म और सुन्दर प्राकृतिक वादियों की बजह से पर्यटकों के दिल को छूने वाली दृश्य से हर किसी के दिल में एक खास जगह बना चूका है ।  लेकिन ऋषिकेश की यात्रा आपके दिल में ही नहीं बल्कि पूरी जिंदगी में एक खूबसूरत याद बन कर रहेगी।

आइये जानते है कि ऋषिकेश में आखिर वो कौन कौन सी जगह और एक्टिविटी है जो आपका दिन बना देंगी : –

ऋषिकेश में राफ्टिंग और कैंपिंग: — तीर्थनगरी ऋषिकेश में राफ्टिंग और कैंपिंग विश्व भर में प्रसिद्ध है। इसकी बुकिंग आप ऑनलाइन ऑफलाइनकर सकते हैं।

 

 

 

 

यहॉ मैगी प्वाइंट वह स्थान है जहां से राफ्टिंग शुरु होती है। यहाँ पहुंच कर राफ्टिंग का भरपूर लुप्त उठाये उसके बाद अपनी यात्रा की शुरुआत करे । आपके घूमने का अगला पड़ाव है नीलकंठ मार्ग। नीलकंठ एक धार्मिक और दर्शिनीय स्थान है। जिसके मार्ग पर आपको सैकड़ों कैंपिंग साइट्स नजर आएंगे। यहॉ आपको सस्ते दामों पर भी कैंप उपलब्ध हो जाऐंगे। आपको यहॉ कॉटेज ₹ 1000 से 2000 ओर 2500 में मिल जाऐंगे। जिसमें डिनर लंच, ब्रेकफास्ट और राफ्टिंग का चार्ज भी जुड़ा होता है।

बंजी जंपिंग : — नीलकठं मार्ग से ही सटा एक कच्चा मार्ग बिजनी गांव के लिए जाता है। जहॉ आप पहुंचते हैं जंपिग हाहट स्पॉट पर यह बंजी की गहराई 83 मीटर है। यह देश का सबसे बड़ी जंपिंग स्पॉट है। इसकी कॉस्ट 2800 से 3000 पर हैड हो सकती है।

पटना वाटरफॉल ऋषिकेश : — नीलकंठ मार्ग पर कुछ किलोमीटर आगे बढ़ते हुए रास्ते पर ही आपको नजर आता है। पटना वाटरफॉल को जाने वाली चढ़ाई। खड़ी चढ़ाई पर आपको पैदल ही जाना होता है। कुछ किलोमीटर दूर आगे बढ़ने के बाद नजर आता बड़ा सा प्राकृति झरना।

 

नीर गौर वाटरफॉल:— बदरीनाथ मार्ग पर ऋषिकेश से लगभग 10 से 12 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है यह वाटरफॉल। प्राकृतिक वाटरफाल पानी के मुहाने तक आपको पैदल ही जाना पड़ता है। यहॉ आपको भीतर जाने के लिए आपको टिकट भी लेना पड़ता है। यहॉ आपको एक छोटा और उससे आगे बड़ा झरना नजर आएगा। यहीं आपको मैगी, चिप्स इत्यादी खाद्य पदार्थ मिल जाऐंगे लेकिन अपने तय दामों से बढ़कर। अक्सर देश विदेश से आये हुए शैलानी पहाड़ी रास्तो में ट्रैकिंग करते हुए इस खूबसूरत प्राकृतिक झरने के पास पहुंचते है।

 

त्रिवेणी घाट : — देवप्रयाग से होते हुए आई गंगा नदी ऋषिकेश पहुँचती है तो त्रिवेणी घाट पर यमुना और सरस्वती नदी से मिलती है। इन तीन प्रसिद्द नदियाँ गंगा , यमुना , और सरस्वती का अद्भुत मिलन के कारण ही इसे त्रिवेंणी कहा जाता है। हर शाम त्रिवेणी घाट पर भी भव्य गंगा आरती का आयोजन देखने लायक होता है। पर्वतीय घाटियों में भगवान शिव के जटाओ से निकलती हुयी गंगा की विशाल जीवंत लगने वाली प्रतिमा देख पर्यटक मंत्रमुग्द होकर यहाँ ठहर जाते है ।

 

 

 

 

ऋषिकुंड : — उत्तराखण्ड की धरा पर बहुत से ऐसे दिव्य स्थान मौजूद हैं जो आज भी यहॉ मौजूद होकर अपनी दिव्यता से श्रद्धालुओं को अपनी ओर लुभाते हैं। त्रिवेंणीघाट के नजदीक ऋषिकुंड भी ऐसे ही स्थानों में से एक है। कहा जाता है कि कभी ऋषियों के तपोबल के माध्यम यह कुंड उत्पन्न हुआ था। मान्यता है कि उनके स्नानं करने के लिए गंगा , यमुना और सरस्वती नदी का जल इस कुंड में उत्पन्न हुआ। इसी स्थान पर श्री राम ने भी स्नान किया था। यहॉ रघुनाथ जी का भव्य मंदिर भी मौजूद है।

 

 

 

ऋषिकेश/ भरत मंदिर : — त्रिवेणी संगम घाट से कुछ ही दूरी पर स्थित मंदिर है ऋषिकेश भगवान जी का मंदिर। जहॉ भगवान भरत के रूप में भी विद्यमान हैं। ये मंदिर यहाँ का सबसे प्राचीन मंदिर है। जिसका निर्माण 12 वी शताव्दी में हुआ था।

स्वर्ग आश्रम: यहाँ पहुंच कर शैलानियों का जीवन कुछ पल के लिए ठहर सा जाता है। रामझूला से गंगा नदि पार करने पर आप पहुंचेंगे स्वर्ग आश्रम क्षेत्र में। मान्यता है कि यहॉ कई ऋषि मुनियों ने तपस्या की थी। यहॉ पहुंचकर आपको ऐसा लगेगा कि आप सच में ही स्वर्ग लोक में आ गए हैं।

मधुबन आश्रम : — यह आश्रम भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है। यह मंदिर लक्षमण झूला मार्ग पर जानकी पुल से पहले मोजूद है। जहाँ बिराजमान राधा कृष्ण की सुन्दर झांकिया से सुशोभित जिसका एक झलक देखने के लिए दर्शनार्थी यहाँ जरूर आते है। ऋषिकेश में मधुबन आश्रम में यात्रियों के ठहरने की उत्तम सुविधा भी है।

रामझूला/लक्षमण झूला :— यह एक पौराणिक पुल है, जिसे पुराने समय में शिवानंद झूला भी कहा जाता था। इसे पुराने समय में गंगा के एक छोर से दुसरे छोर में जाने के लिए बनाया गया था। पौराणिक इतिहास में भी वर्णन मिलता है कि इस पुल को भगवान लक्षमण जी द्वारा बनाया गया था। ब्रिज से पैदल चलते हुए पर्यटकों को गंगा का शानदार दृश्य देखने को मिलता है जो आज के युबाओ के लिए selfi पॉइंट के लिए काफी मशहूर है । लक्षमण झूला के बारे में ऐसी मान्यता भी है की त्रेता युग में भगवान लक्षमण नदी को पार करने के लिए जूट की रस्सी का पुल बनाया था इसे बाद में 1939 में इस का पुनर्निर्माणहुआ जो सस्पेंशन ब्रिज का काम करता है।

गीता भवन : — इस खूबसूरत भवन की दीवारों को रामायण और महाभारत के चित्रों से बड़ी संजीदगी से सजाया गया है जो काफी शानदार दिखयी देता है गीता भवन के अंदर ऋषिकेश टूरिस्ट प्लेस में पर्यटकों को रुकने के लिए यहाँ सैकड़ो कमरे हैं।


वशिष्ठ गुफा आश्रम :— ऋषिकेश से 22 किलोमीटर दूर बद्रीनाथ और केदारनाथ रोड पर स्थित 3 हजार साल पुरानी वशिष्ठ गुफा घूमने के लिए जा सकते है जहाँ पर शिव के दर्शन करने के लिए यात्री जाते है। यही वो स्थान है जहाँ पर ऋषि वशिष्ठ जी ने कई वर्षों तक भगवान शिव की तपस्या की थी ।

नीलकंठ महादेव मंदिर :— स्वर्ग आश्रम की पहाड़ी पर स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर लगभग 5500 मीटर ऊँची पहाड़ी पर स्थित है यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहॉ स्वयं भू शिवलिंग आज भी मौजूद है। मंदिर के चारों तरफ जीवंत लगने बाली मूर्ती रूप में हिन्दू देवी देवताओं की कई प्रतिमाऐं है। जिनके दर्शन करने के लिए श्रद्धालु देश—विदेश से आते हैं। मान्यता है की समुद्रमंथन में निकले विष को भगवान् शिव ने पिया था तो उसके बाद उन्होंने उस विस् को अपने कंठ के बीच में ही रोक लिया। जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया। लेकिन विस का ताप भगवान ​शिव के सर पर असर करने लगा। ऐसे में उसके असर को कम करने के लिए वे इसी स्थान पर घाटी के बीच झरने के नीचे स्थापित हुए और ताप को शांत किया। इसलिए इस मंदिर का नाम नीलकंठ पड़ा ।

 

 

झिलमिल गुफा : — नीलकंठ मंदिर से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुरु गोरखनाथ जी का रहस्य्मयी जगह है इसके बारे में पौराणिक मान्यता है की यह जगह उत्तराखंड की तपोस्थली भूमि है जहाँ देशी और विदेशी शैलानी योग की शिक्षा लेने यहाँ आते है । इसी तर्ज पर झिलमिल गुफा में हजारो साधु संत और विदेशी महिलाऐं भी तपस्या करने के लिए यहाँ आती हैं। प्रकृति के सानिध्य में बसा यह स्थान अपने आप में ही ऊर्जा का स्रोत है।

गणेश गुफा:— झिलमिल गुफा से आगे की ओर बढ़ने पर पड़ता है गणेश गुफा। दोस्तों यह ट्रैकिंग थोड़ी थकावट जरूर होगी लेकिन ये रास्ते,ये मौसम और इस खूबसूरत प्रकृति की वादियां आपको हमेशा याद रहेंगी।

परमार्थ निकेतन आश्रम:— ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन एक विश्व प्रसिद्ध आश्रम है। यहॉ अक्सर बॉलीवुड फिल्म जगत से लेकर देश और विदेश के बड़े राजनेताओं का आना जाना लगा रहता है। यहॉ विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती होती है। इस घाट को परमार्थ घाट या वीआईपी घाट भी कहते हैं। यहाँ पर भी ठहरने के लिए भी सुविधाएं मौजूद हैं।

राजाजी नेशनल पार्क:— परमार्थ निकेतन के पास में स्थित राजा जी चिड़ियाघर में यदि आपको वाइल्ड लाइफ सफारी का आनद उठाना चाहते है तो राजाजी चिड़ियाघर आपके लिए बिलकुल परफेक्ट जगह है। जहाँ पर आपको जंगली जानवर और पक्षियों की सुन्दर प्रजातियां देखने को मिल जायेंगे यहाँ काफी संख्या में पर्यटक हर रोज घूमने जाते है । अब आप ऋषिकेश घूमने जाये तो राजाजी चिड़ियाघर जरूर विजिट करे।

बीटल आश्रम :— बीटल्स योग शक्ति का ज्ञान अर्जित करने के लिए भारत आये हुए थे तभी से राजाजी जी नेशनल पार्क में बीटल्स की नाम पर आश्रम स्थापित किया गया। जहाँ घूमने के लिए कई योग केंद्र,मंदिर है।

ऋषिकेश कैसे पहुंचे?
ऋषिकेश तक पहुंचने के लिए आप हवाई, रेल और सड़क दोनों मार्ग से आ सकते हैं। सड़क मार्ग के लिए आपको पहले हरिद्वार आना होगा जो भारत की राजधानी दिल्ली से 210 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। या फिर ये शहर भारत के सभी बड़े रेलवे से अच्छी तरीके से जुड़ा हुआ है। जहां से आप मात्र ₹50 में हरिद्वार से ट्रेन लेकर ऋषिकेश पहुंच सकते हैं। यदि आप ऋषिकेश हवाई यात्रा कर के पहुंचना चाहे तो इसके नजदीक में देहरादून एयरपोर्ट है यहाँ पहुंचकर टैक्सी या बस के द्वारा ऋषिकेश की 34 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी ।

Video Ad



Top