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उत्तराखंड में घूमने की 10 पर्यटन जगह।


आइए जानते हैं उत्तराखंड के 10 बेहतरीन पर्यटन स्थल जहां आप घूम सकते हैं।

उत्तराखंड जिसे देवताओं की भूमि के रूप में जाना जाता है। यह एक पहाड़ी राज्य है जो उत्तर में चीन और पूर्व में नेपाल के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है। यह विशाल हिमालयी क्षेत्र प्रकृति की सुंदरता और देवताओं के प्रति समर्पण को प्रदर्शित करता है। इसके दो मुख्य क्षेत्र है गढ़वाल और कुमाऊं ,जिनमें पहाड़ों, घाटियों, नदियों, झीलों, ग्लेशियरों और कई पवित्र मंदिरों का आकर्षण है। दुनिया भर से पर्यटक स्कीइंग,वन्यजीव,अभयारण्यों, रिवर राफ्टिंग, ध्यान और चार धाम यात्रा के लिए उत्तराखंड आते हैं।

जानिए उत्तराखंड कैसे पहुंचे।

हवाई जहाज से
उत्तराखंड में दो घरेलू हवाई अड्डे मौजूद हैं – राज्य की राजधानी देहरादून के पास जॉली ग्रांट हवाई अड्डा और नैनीताल के पास पंत नगर हवाई अड्डा। जॉली ग्रांट हवाई अड्डा दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर, चेन्नई और हैदराबाद से जुड़ा हुआ है। पंत नगर हवाई अड्डा केवल दिल्ली से जुड़ता है।

सड़क मार्ग से
उत्तराखंड में रोडवेज का एक अच्छा नेटवर्क है, जो इसे राज्य के माध्यम से यात्रा करने का सबसे अच्छा तरीका बनाता है। दिल्ली और इस क्षेत्र के आसपास के कई भारतीय शहरों में अंतरराज्यीय बसों या टैक्सियों द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।

रेल मार्ग द्वारा
उत्तराखंड राज्य में लगभग 12 प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं जो उत्तराखंड को अन्य भारतीय शहरों से जोड़ते हैं। पहाड़ी राज्य होने के कारण उत्तराखंड में 1,500 मीटर से ऊपर के रेलवे स्टेशन नहीं हैं। आप केवल तलहटी में रेलवे स्टेशन पा सकते हैं।

 

उत्तराखंड में घूमने की जगहें
ऋषिकेश— हिमालय की तलहटी में बसा तीर्थनगरी ऋषिकेश उत्तराखंड के सबसे अच्छे पर्यटन स्थलों में से एक है।उत्तराखंड राज्य में स्थित, ऋषिकेश ऋषियों, योग साधकों और तीर्थयात्रियों का केंद्र है, जो घाटों (नदी के किनारे) और मंदिरों में आते है।
यह अपने शांत मंदिरों और रिवर राफ्टिंग, बंजी जंपिंग, जिप-लाइनिंग, ट्रेकिंग, विशाल झूले और रॉक क्लाइम्बिंग जैसे रोमांचकारी साहसिक खेलों के लिए लोकप्रिय है। सुंदर हिमालय के पास स्थित, ऋषिकेश में पवित्र गंगा नदी भी है। पर्यटक यहां आध्यात्मिक तीर्थयात्रा और कल्याण के लिए आते हैं, क्योंकि यह योग और ध्यान की राजधानी के रूप में भी प्रसिद्ध है।यहां पर जुड़वां पुल’ राम और लक्ष्मण झूला हैं ‘क्योंकि ये पुल गंगा के ऊपर 750 फीट पर स्थित हैं। ऋषिकेश में विभिन्न घाटों पर पवित्र गंगा की पूजा की जाती है। परमार्थ निकेतन में गंगा आरती और त्रिवेणी घाट पर एक अलग अनुभव ही महसूस होता है। यहां क्षेत्र को रोशन करने के लिए पवित्र नदी के पार सैकड़ों जले हुए दीये तैरते हैं और घंटियों और मंत्रों की आवाज़ से इस जगह पर एक आनंदमय आध्यात्मिक अनुभव कराती है।यहां पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय योग सप्ताह में भाग लेने के लिए आने वाले पर्यटकों और योग प्रेमियों की मेजबानी करता है।
ऋषिकेश आयुर्वेद के लिए भी जाना जाता है, और यहां पर शिक्षा प्रदान करने वाले कई संस्थान भी हैं। यह अपने योग विद्यालयों के लिए भी जाना जाता है

कैसे पहुंचे ऋषिकेश
हवाई मार्ग से: जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून, ऋषिकेश का निकटतम हवाई अड्डा है, जो शहर से लगभग 35 किमी दूर है।

सड़क मार्ग से: ऋषिकेश प्रमुख सड़कों और राष्ट्रीय राजमार्गों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है और देश के सभी हिस्सों से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

रेल द्वारा: ऋषिकेश में एक रेलवे स्टेशन है जो हरिद्वार के अलावा प्रमुख भारतीय शहरों से नहीं जुड़ा है। इसलिए, निकटतम प्रमुख स्टेशन हरिद्वार है, जो अन्य शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

 

देहरादून — उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों में से एक है देहरादून शहर, देहरादून उत्तराखंड की राजधानी है। जो हिमालय की तलहटी में स्थित है। देहरादून की प्राकृतिक सुंदरता और यहां की शांति ही पर्यटकों को यहां पर आकर्षित करती है और अपनी तरफ खींच लाती है। देहरादून में अनेक पर्यटन स्थल हैं जिन्हें आप देख व घूम सकते हैं। देहरादून अपने झरनें, गुफ़ाएं, प्राकृतिक झरनें तथा अनेक सुंदर प्राचीन मंदिरों के लिये भी प्रसिद्ध है। यहां पर सहस्त्र धारा, लक्ष्मण सिद्ध मंदिर, तपकेश्वर महादेव मन्दिर, संता देवी मन्दिर, तपोवन आदि देहरादून में आप इन सभी धार्मिक स्थलों पर घूम सकते हैं व दर्शन कर सकते हैं। यहां पर दर्शन करने से आपको अपने अंदर एक सुकून भरी शांति महसूस होती है। इसके अलावा देहरादून में आप कुछ और अन्य पर्यटक स्थल हैं जिनका विजिट आप कर सकते हैं। क्योंकि देहरादून सिर्फ अपने प्राकृतिक सुंदरता के लिए नहीं अपितु अनेक प्रसिद्ध शिक्षण संस्थानों के कारण भी जाना जाता है। जैसे- राबर्ट की गुफा, सर्वे ऑफ़ इंडिया, भारतीय वानिकी अनुसंधान, शिक्षा परिषद, राजाजी राष्ट्रीय उद्यान, मासली हिरण पार्क आदि। यहां सब जगहों पर घूमने से आपको बहुत सी चीजों और रिसर्च के बारे में जानकारी प्राप्त होगी। आप जब भी यहां घूमने आयें तो अपने साथ अपने स्टडी कर रहे बच्चों को भी लेकर आयें। क्योंकि वे इन सभी चीजों को देखने व जानने में बहुत ही उत्सुक रहते हैं। इससे उनका नॉलेज भी बढ़ता है। इन सभी के साथ देहरादून में एक बौद्ध मठ भी है जिसका नाम है माइंड्रोलिंग मठ, जिसका इतिहास 300 से अधिक वर्षों का है। यह भारत में सबसे महत्वपूर्ण बौद्ध स्थलों में से एक है और एशिया में सबसे ऊंचा स्तूप है। मठ क्लेमेंट टाउन में शहर के केंद्र से 9 किमी दूर स्थित है। देहरादून का यह स्थान भी घूमने वाली जगहों में से एक है। इस बौद्ध मठ में घूमने का समय: सुबह 9:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक है आप यहां पर सप्ताह के सभी दिन घूम सकते हैं। यहां का प्रवेश भी नि: शुल्क है।

कैसे पहुंचे देहरादून तक — हवाई मार्ग से: जॉली ग्रांट हवाई अड्डा देहरादून शहर के केंद्र से 20 किमी दूर स्थित है। दिल्ली के लिए रोजाना उड़ानें हैं। निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा दिल्ली से लगभग 235 किमी दूर स्थित है।

सड़क मार्ग से— देहरादून एनएच 72 के माध्यम से अन्य शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। सामान्य, साथ ही डीलक्स बसें आईएसबीटी कश्मीरी गेट, दिल्ली से देहरादून के लिए आसानी से उपलब्ध हैं।

रेल द्वारा — देहरादून रेलवे स्टेशन पर देश के सभी प्रमुख शहरों से ट्रेन सेवाएं उपलब्ध हैं।

 

नैनीताल— नैनीताल उत्तराखंड में घूमने के लिये व दर्शन करने के लिये तथा दर्शनीय हिल स्टेशनों के रूप में सबसे अच्छी जगहों में से एक है। तथा नैनीताल बेहद सुंदर और शांत जगह है, जहां लोग सबसे ज्यादा घूमना पसंद करते हैं। हर साल यहां पर्यटकों की भारी भीड़ भी देखने को मिलती है। नैनीताल कई पर्यटन स्थलों को समेटे हुए तथा अपनी झीलों के लिये जाना जाता है। इसके नैनीताल कई झीलों से घिरा हुआ भी है। तथा यहां पर हिल स्टेशनों के चारों ओर बर्फ़ से ढकी विशाल पहाड़ी चोटियाँ हैं। जो समुद्रतल से 7,000 फिट की उचाईं पर स्थित हैं। नैनीताल का मुख्य केंद्र यहां का आँखों के आकार वाली एक प्राकृतिक ताजा झील है। आँखों के आकार की यह झील कुमाऊँ क्षेत्र की सबसे प्रसिद्ध झीलों में से एक है। यहां पर नौका विहार, पिकनिक, व शाम को घूमने के लिये सबसे अच्छा स्थान है। तथा नैनीताल झील सात चोटियों से घिरी हुई एक मनमोहक जगह है। आप यहां पर पहाड़ों पर घूमने के लिये ट्रेकिंग का मजा ले सकते हैं साथ ही झील घूमने के लिए नाव की सवारी कर सकते हैं। तथा आप यहां पर अपने परिवार के साथ घूमने हुए सनसेट का भी मजा ले सकते हैं, यहां से सनसेट बेहद खूबसूरत दिखाई देता है। तथा साथ ही बगल में हिमालय के ऊँचे पहाड़ों से घिरे हुए नैना देवी मन्दिर में भी दर्शन व पूजा अर्चना कर सकते हैं। यह भारत में सबसे पवित्र व लोकप्रिय 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। जो माँ नैना देवी का मन्दिर है। इसके साथ ही आप नैनीताल में और भी प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों पर घूम सकते हैं। जैसे- जीबी पंत हाई एल्टीट्युड चिड़ियाघर, इको केव गार्डेंन, नैनी झील, नैनीताल हिल स्टेशन आदि। नैनीताल में नैनीताल हिल स्टेशनों की सबसे खास बात होती है वहाँ से दिखने वाली बर्फ़ीली पहाड़ियां और हिमालयी सुंदरता जो हम सभी का मन मोह लेती हैं। वहीं अगर आप नैनीताल के हाईयेस्ट चिड़ियाघर में घूमना चाहते हैं जो उत्तराखंड का एकमात्र चिड़ियाघर है। समुद्र तल से 2,100 मीटर की ऊंचाई पर, इसमें विभिन्न प्रकार के जानवर हैं जो केवल उच्च ऊंचाई पर रहते हैं जैसे साइबेरियन टाइगर, सेराओ, तिब्बती वूल्फ, रेड पांडा, हिरण और हिम तेंदुआ। यह चिड़ियाघर शेर का डंडा पहाड़ी की चोटी पर नैनीताल बस स्टैंड से 1.8 किमी की दूरी पर स्थित है। और सुबह 10:30 से शाम 4:30 बजे तक खुला रहता है।

कैसे पहुंचे नैनीताल
हवाई मार्ग से: पंत नगर हवाई अड्डा, 55 किमी दूर, नैनीताल का निकटतम घरेलू हवाई अड्डा है। हवाई अड्डा नई दिल्ली और मुंबई से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। देहरादून हवाई अड्डा नैनीताल से 283 किमी दूर है।

सड़क मार्ग से: नैनीताल उत्तर भारत के प्रमुख स्थलों के साथ सड़कों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। नैनीताल राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 87 से जुड़ा है। दिल्ली, आगरा, देहरादून, हरिद्वार, लखनऊ, कानपुर और से नियमित बसें चलती हैं। बरेली। दिल्ली से लग्जरी कोच उपलब्ध हैं। दिल्ली से नैनीताल के लिए निजी टैक्सी और रात भर की बसें आसानी से उपलब्ध हैं।

रेल द्वारा: निकटतम रेलवे स्टेशन, काठगोदाम रेलवे स्टेशन, नैनीताल से 23 किमी दूर है। नई दिल्ली, कोलकाता, आगरा और लखनऊ से रोजाना कई सीधी ट्रेनें चलती हैं।

 

जिम कॉर्बेट पार्क— जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है।यह उत्तराखंड के नैनीताल जिले का सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान लुप्तप्राय बंगाल टाइगर के लिए जाना जाता है। जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का हिस्सा है।यह अपनी वन्यजीव सफारी के लिए प्रसिद्ध, पार्क में पक्षियों की 650 से अधिक प्रजातियां समेटे हुए हैं। साथ ही यहां की अन्य शिकारी प्रजातियों में तेंदुए, जंगली बिल्लियाँ, मछली पकड़ने वाली बिल्लियाँ, तेंदुआ, हाथी, हिप्पोपोटैमस, भौंकने वाले हिरण, सांभर हिरण, चीतल, काले भालू और नेवले शामिल हैं। साथ ही जिम कार्बेट में देखने लायक जगहों में से एक है कॉर्बेट संग्रहालय, जो पूरे राष्ट्रीय उद्यान में सबसे आकर्षक स्थानों में से एक है। संग्रहालय अब उस बंगले में स्थित है जो प्रसिद्ध संरक्षणवादी- जिम कॉर्बेट- का घर हुआ करता था- जिनके नाम पर पार्क का नाम रखा गया है। संग्रहालय उनके संस्मरणों, उनके निजी सामान, उनके द्वारा लिखे गए पत्रों के साथ-साथ उनके मित्रों और शुभचिंतकों, प्राचीन वस्तुओं और दुर्लभ तस्वीरों को प्रदर्शित करता है। यहां एक छोटी सी दुकान स्मृति चिन्ह और हाथ से तैयार की गई स्थानीय वस्तुओं को भी बेचती है जिन्हें कोई भी खरीद सकता है। इसके साथ ही आप कार्बेट पार्क में रिवर राफ्टिंग का मजा ले सकते हैं। तथा साथ ही राम गंगा नदी के किनारे सैर कर सकते हैं। क्योंकि राम गंगा नदी सूर्योदय और सूर्यास्त को देखने के लिये एक सुंदर स्थान है और साथ ही आप यहां पर अक्सर हिरणों को भी घूमते हुए देख सकते हैं।

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क को पांच जोन में बांटा गया है। पर्यटक पार्क के मुख्य भाग में आप जानवरों के करीब पहुंच सकते हैं, एक बफर जोन या कोर क्षेत्र के रूप में सीमांकित कर दिये गये हैं। यहां का समय: ढिकाला और बिजरानी जोन, जून से अक्टूबर / नवंबर तक बंद रहते हैं। तथा ढेला और झिरना जोन पूरे साल खुले रहते हैं। हालांकि, जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में मानसून के दौरान बाढ़ का खतरा रहता है । इसलिए मौसम को ध्यान में रखकर ही जिम कार्बेट पार्क जाएं।

यहां सफारी का समय: सुबह 07:00 बजे से 10:00 बजे तक और दोपहर 02:00 बजे से शाम 05:30 बजे तक है। तथा प्रवेश शुल्क: 200 रुपये (भारतीय) जीप सफारी: 5000 रुपये (जीप;में अधिकतम 6 लोग और 2 बच्चे (5 से 12 वर्ष)) ही बैठ सकते हैं।तथा जंगल सफारी को पहले से बुक करने की सलाह दी जाती है।

कैसे पहुंचे जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क
हवाई मार्ग से: पंत नगर हवाई अड्डा निकटतम घरेलू हवाई अड्डा है, जो कॉर्बेट से लगभग 80 किमी दूर है। इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (दिल्ली) निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो कॉर्बेट से लगभग साढ़े चार घंटे की ड्राइव पर है।

रेल मार्ग द्वारा: निकटतम स्टेशन रामनगर रेलवे स्टेशन है, जो लगभग 12 किमी दूर स्थित है। कई ट्रेनें रामनगर को दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य शहरों और कस्बों से जोड़ती हैं। दिल्ली से रामनगर तक चलने वाली सीधी ट्रेन रानीखेत एक्सप्रेस दिल्ली से कॉर्बेट पहुंचने के लिए सबसे अच्छी ट्रेन है। स्टेशन के बाहर स्थानीय टैक्सियाँ उपलब्ध हैं, होटलों और पार्कों में जाने के लिए। कॉर्बेट रामनगर से 12 किमी और देहरादून से 227 किमी दूर है। यह उत्तराखंड राज्य सड़क परिवहन निगम (USRTC) और कुछ निजी यात्रा सेवाओं के माध्यम से जुड़ा हुआ है।

 

रानीखेत— उत्तराखंड का सबसे अच्छा पर्यटन स्थल रानीखेत है। यह उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में समुद्र तल से 1,829 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। वास्तुकला के हिसाब से रानीखेत हिमालय क्षेत्र में एक छोटा सा गांव है।तथा प्रकृति से रूबरू होने के लिए रानीखेत सबसे अच्छा स्थान है। जहां के देवदार और बलूत के पेड़ इस जगह की खूबसूरती में चार-चांद लगा देते हैं। अगर आप शहरी जीवन की भागदौड़ से कुछ दूर प्रकृति में एक अच्छा समय बिताना चाहते हैं, तो रानीखेत घूमने अवश्य जाएं। यहां पर सुंदर ब्रिटिश युग की पत्थर की इमारतें इस छोटे से शहर में आकर्षण को जोड़ती हैं, जो इसे उत्तराखंड की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक बनाती है। रानीखेत, जिसका अर्थ है रानी की भूमि, प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आदर्श पर्यटन स्थल है। इसमें सेब के बागों, खुबानी और देवदार के पेड़ों से घिरे खूबसूरत बगीचे हैं। इसमें जंगल भी है और झरने झरने भी। रानीखेत नंदा देवी चोटी, ट्रेकिंग रेंज और पहाड़ी चढ़ाई के अपने दृश्य के लिए लोकप्रिय है। रानीखेत भारतीय सेना की कुमाऊं रेजिमेंट का मुख्यालय भी है और इसमें कुमाऊं रेजिमेंटल सेंटर संग्रहालय भी है। रानीखेत में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहें भालू बांध, हैदाखान बाबाजी मंदिर, झूला देवी राम मंदिर, गोल्फ ग्राउंड और मनकामेश्वर , रानी झील तथा बिनसर महादेव हैं। यहां पर आप ब्रिटिश काल की इमारतों का भ्रमण करें या फिर रानीखेत और उसके आसपास के खूबसूरत मंदिरों के दर्शन करें। आप जो चाहें वो कर सकते हैं।

कैसे पहुंचें रानीखेत?
हवाई मार्ग से: पंत नगर हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है।

रेल द्वारा: काठगोदाम पास का रेलवे स्टेशन है जो रानीखेत से 80 किमी की दूरी पर स्थित है। स्टेशन पर उतरने के बाद आप रानीखेत के लिए कैब या बस ले सकते हैं।

सड़क मार्ग से: रानीखेत उत्तराखंड और उत्तर भारत के प्रमुख शहरों के साथ मोटर योग्य सड़कों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दिल्ली और रानीखेत के बीच की दूरी लगभग 350 किमी है और इसमें लगभग 10 घंटे लगते हैं। नैनीताल से रानीखेत की दूरी करीब 60 किलोमीटर है।

 

मसूरी— मसूरी उत्तराखंड राज्य का एक पर्वतीय नगर है, जिसे पर्वतों की रानी भी कहा जाता है। देहरादून से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, मसूरी उन स्थानों में से एक है जहाॅं लोग बार-बार आते जाते हैं। घूमने-फिरने के लिए जाने वाली प्रमुख जगहों में मसूरी एक प्रमुख जगह है। यह पर्वतीय पर्यटन स्थल हिमालय पर्वतमाला के मध्य हिमालय श्रेणी में पड़ता है, जिसे पर्वतों की रानी भी कहा जाता है। यह उत्तराखंड का एक मुख्य पर्यटन स्थल है जो बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है। मसूरी का नाम मंसूर शब्द से पड़ा है, जो एक झाड़ी को संदर्भित करता है जो यहां बड़ी मात्रा में पाया जाता है। गढ़वाल हिमालय पर्वतमाला के बीच स्थित, मसूरी में पूरे साल सुखद मौसम रहता है। पहाड़ियों, झीलों और मंदिरों का घर, उत्तराखंड में मसूरी भारत में सबसे अच्छे हनीमून स्थानों में से एक है। इसमें बर्फ से ढके पहाड़ों और हरी-भरी घाटियों के मंत्रमुग्ध कर देने वाले दृश्य हैं। मसूरी में दर्शनीय स्थलों की सैर और ट्रेकिंग से लेकर धुंधली झीलों और राजसी झरनों तक जाने के लिए बहुत सी जगहें हैं। इसके साथ ही मसूरी के घूमने लायक जगहों में से कुछ हैं, दलाई हिल्स,केम्प्टी फॉल्स, कैमल्स बैक रोड, भट्टा वॉटरफॉल,लाल टिब्बा और कंपनी गार्डन आदि। गन हिल मसूरी की सबसे ऊंची चोटियों में से एक है और यहां पर मॉल रोड से केबल कार द्वारा पहुँचा जा सकता है। 2,024 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित, यह हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों से घिरा हुआ है।

कैसे पहुंचे मसूरी
हवाई मार्ग से: देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा मसूरी का निकटतम हवाई अड्डा है।

रेल द्वारा: देहरादून रेलवे स्टेशन इस हिल स्टेशन की सेवा करता है।

सड़क मार्ग से: राज्य सरकार और निजी बसें मसूरी को यूपी और दिल्ली जैसे प्रमुख राज्यों से जोड़ती हैं।

 

औली—भारत में सबसे अच्छे स्कीयइंग स्थलों में से एक के रूप में प्रसिद्ध, औली उत्तराखंड की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। तथा औली को भारत का मिनी स्वीटजरलैंड कहा जाता है। क्योंकि यहां की नेचुरल ब्यूटी तथा बर्फ से ढके पहाड़ , जंगली फूल, हरी- भरी वनस्पतियां आपका मन मोह लेती हैं। औली का मुख्य आकर्षण है यहां बर्फ से लकदक ढलानें। 1640 फीट की गहरी ढलान में स्कीइंग का जो रोमांच यहां है वह दुनिया में दूसरी जगहों पर शायद ही हो। इसलिए औली की ढलानें स्कीयरों के लिए बेहद मुफीद मानी जाती हैं।औली में घूमने लायक जगहों में है , छत्रकुंड झील, नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान, तथा यहां पर कुछ दर्शनीय स्थान व पहाड़ भी हैं। औली प्राकृतिक नजारों और करामाती शंकुधारी जंगलों के लिए प्रसिद्ध है। यह हिमालयन हिल स्टेशन और स्की रिसॉर्ट उत्तराखंड में ओक के पेड़ों से घिरा एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। सुरम्य गांव औली, हिमालय पर्वतमाला के मनोरम दृश्य के साथ एक बेहतर हनीमून स्पॉट भी है। यह दुनिया भर से स्कीइंग के प्रति उत्साही लोगों को आकर्षित करता है। यहां की अत्याधुनिक सुविधाएं और विश्व स्तरीय स्की रिसॉर्ट औली के आकर्षण को बढ़ाते हैं। औली में 4 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली केबल कार गुलमर्ग के बाद एशिया की दूसरी सबसे ऊंची और सबसे लंबी केबल कार है। यहां की यात्रा जोशी मठ से शुरू होती है और औली पर समाप्त होती है। हालांकि यहां की मानव निर्मित औली की कृत्रिम झीलें सर्दियों में देखने लायक होती हैं। बेहद खूबसूरत।

कैसे पहुंचें औली
हवाई मार्ग से: जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून निकटतम हवाई अड्डा है।

रेल द्वारा: औली का निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है। जो भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग से: औली के लिए सभी प्रमुख शहरों से बस और टैक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं। देहरादून से टैक्सी या बस से जोशी मठ तक यात्रा करना सबसे सुविधाजनक है और फिर रोपवे या सड़क से औली जाना है।

 

हरिद्वार— हरिद्वार उत्तराखंड के घूमने एवं दर्शन करने के स्थानों में से एक है। तथा यह चारों धामों में भी आता है। तथा हरिद्वार को ” ईश्वर का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है” भारत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाने वाला हरिद्वार अपने शहर में तमाम मंदिरों और धार्मिक स्थलों को समेटे हुए है। आप अगर हरिद्वार आएं हैं, तो यहां की गंगा आरती में जरूर शामिल हो। यहां होने वाली आरती की सुंदरता का बखान कर पाना बहुत मुश्किल है। यहां की जलती बातियों और बजती घंटियों के बीच यहां के पंडित एक सुर में गंगा की आरती करते हैं। इस आरती में हजारों सैलानी शामिल होते हैं। यहां हर शाम 7 बजे आरती होती है, लेकिन लोगों की भीड़ 5 बजे से ही जुटना शुरू हो जाती है। शाम 6 बजे से ही लोग यहां हर-हर गंगे और जय गंगा मैया बोलने लगते हैं। इसके साथ ही आप यहां पर स्थित घाट हर की पैड़ी भी जरूर जाएं। माना जाता है राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था।हरि की पैड़ी के पास बैठकर तथा गंगा में स्नान के बाद मन को बहुत ही शांति मिलती है। आप यहां पर मनसा देवी मन्दिर भी घूम सकते हैं। तथा चंडी देवी मन्दिर, भारत माता मन्दिर इन सभी जगहों पर आप दर्शन कर सकते हैं।

कैसे पहुंचे हरिद्वार
हवाई मार्ग से: जॉली ग्रांट हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है।

रेल द्वारा: हरिद्वार जंक्शन दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, देहरादून, अहमदाबाद और पटना जैसे प्रमुख शहरों से रेल द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग से: हरिद्वार अन्य प्रमुख उत्तर भारतीय गंतव्यों जैसे दिल्ली, यूपी, हरियाणा और पंजाब के साथ-साथ उत्तराखंड के अन्य हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। बस सेवाएं लगातार और किफायती दामों में होती हैं। कोई भी हरिद्वार के लिए ड्राइव कर सकता है या टैक्सी किराए पर ले सकता है। ए/सी, और नॉन-ए/सी और डीलक्स बसें हरिद्वार को प्रमुख भारतीय शहरों और पर्यटन स्थलों से जोड़ती हैं।

 

बद्रीनाथ—बद्रीनाथ उत्तराखंड का एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है। बद्रीनाथ समुद्रतल से लगभग 3,100 मीटर की उचाईं पर अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। यह तीर्थ हिंदुओं के चार प्रमुख धामों में से एक है। यह पवित्र स्थल भगवान विष्णु के चतुर्थ अवतार नर एवं नारायण की तपोभूमि है। इस धाम के बारे में कहावत है कि-“जो जाए बद्री,वो न आए ओदरी”यानि जो व्यक्ति बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता है उसे माता के गर्भ में दोबारा नहीं आना पड़ता। माना जाता है यह मन्दिर ‘ दिव्य देशम’ के नाम से जाने, जाने वाले तमिल संतों के द्वारा भगवान विष्णु को समर्पित 108 मंदिरों में से एक है। यह मन्दिर हर साल अप्रैल- मई में खुलता है और सर्दियों में नवंबर के तीसरे सप्ताह में बंद हो जाता है क्योंकि यहां पर बहुत ही अधिक बर्फबारी होती है। इसके बाद भगवान बद्री विशाल की पूजा जोशीमठ के नरसिंग मन्दिर में की जाती है। यहां पर कई ऐसे जगहें हैं जहां आप घूम सकते हैं। आप यहां पर नीलकंठ चोटी, चरण पादुका, वसुधरा फॉल्स, व्यास गुफा, भीम पुल, सतोपंत झील इन सभी जगहों पर घूम सकते हैं।

कैसे पहुंचे बद्रीनाथ
हवाई मार्ग से: जॉली ग्रांट हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है। देहरादून के लिए दिल्ली से उड़ान भरें और सड़क या हेलीकॉप्टर से बद्रीनाथ की यात्रा करें। सहस्त्रधारा हेलीपैड से आप हेलीकॉप्टर से बद्रीनाथ धाम भी जा सकते हैं।

रेल द्वारा:ऋषिकेश निकटतम रेलवे स्टेशन है। ऋषिकेश रेलवे स्टेशन NH58 पर स्थित है और भारत में प्रमुख स्थलों के साथ भारतीय रेलवे नेटवर्क द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग से: बद्रीनाथ उत्तराखंड के प्रमुख शहरों से मोटर योग्य सड़क द्वारा जुड़ा हुआ है। बद्रीनाथ पहुंचने के लिए देहरादून, ऋषिकेश और हरिद्वार से नियमित बसें चलती हैं।

केदारनाथ— उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ, गढ़वाल हिमालय पर्वतमाला में स्थित एक छोटा सा शहर है। इसे हिंदुओं के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। यह प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर भगवान शिव का घर है और यह चारों धामो में एक प्रमुख धाम है। भगवान शिव के इस मन्दिर में किसी को भी शिवलिंग को छूने की अनुमति नहीं है।यह पवित्र नदी मंदाकिनी के पास 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। केदारनाथ मंदिर भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर का निर्माण पांडवों ने युद्ध के दौरान की गई हत्याओं के पाप से खुद को मुक्त करने के लिए किया था। केदारनाथ मंदिर के पीछे केदारनाथ शिखर, भीम शिला,केदार गुंबद और अन्य छोटे- छोटे मन्दिर हैं जिनका दर्शन आप कर सकते हैं। यहां पर केदारनाथ मन्दिर के ठीक पीछे हिमालय की चोटियाँ हैं।इसके साथ ही यहां पर दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची झील गौरी कुंड देखने लायक है। यह वह स्थान माना जाता है जहां देवी पार्वती ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी और वह स्थान जहां पार्वती देवी ने इस झील में स्नान करने के बाद भगवान गणेश की रचना की थी। यह दोनों स्थान यहीं है। केदारनाथ मंदिर का समय: अप्रैल से नवंबर तक रोजाना खुला रहता है। नवंबर के बाद मन्दिर के कपाट बंद हो जाते हैं। क्योंकि वहां पर बर्फबारी बहुत अधिक होती है।नार्मल दिनों में मंदिर दोपहर 03:00 बजे से शाम 05:00 बजे तक बंद रहता है। केदारनाथ मन्दिर में प्रवेश नि: शुल्क है।

कैसे पहुंचे केदारनाथ
हवाई मार्ग से: जॉली ग्रांट हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है। केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं हेलीपैड से सुबह 06:30 बजे से 11:10 बजे के बीच उपलब्ध हैं। तीर्थयात्री विमानन सेवा की प्री-बुकिंग के लिए ऑनलाइन बुकिंग सुविधा का उपयोग कर सकते हैं। हेलीपैड सेरसी गांव में है, जो गुप्तकाशी से 22 किमी और फाटा गांव से 7 किमी दूर है।

रेल द्वारा: ऋषिकेश रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है। यह रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख शहरों और कस्बों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग से: गौरी कुंड निकटतम गाड़ी योग्य क्षेत्र है। चमोली, श्रीनगर, टिहरी, पौड़ी, ऋषिकेश, देहरादून, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तरकाशी और के साथ आसपास के क्षेत्र को जोड़ने वाली अंतरराज्यीय बस सेवाएं हैं। हरिद्वार। फाटा हेलीपैड तक कैसे पहुंचे? फाटा से गौरी कुंड केवल 18 किमी दूर है। रुद्रप्रयाग से कोई टैक्सी किराए पर ले सकता है या साझा जीप या बस ले सकता है। ऐसे आप केदारनाथ पहुँच सकते हैं।

उत्तराखंड का चार धाम या छोटा चार धाम (छोटे चार निवास) भारत के सबसे महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थों में से एक है। बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मिलकर चार धाम बनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह सभी पापों को धो देता है और जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति सुनिश्चित करता है। 2014 में चार धाम पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया था। बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों या हेमकुंड साहिब जाने के लिए यह एक अनिवार्य दस्तावेज है। सभी पंजीकृत भक्तों को बायोमेट्रिक कार्ड जारी किए जाते हैं जो तीर्थयात्रियों को विशेष सुविधाओं का लाभ उठाने की अनुमति देते हैं। पंजीकरण के लिए उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड (यूसीडीडीएमबी) की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।

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