logo
Latest

लोक जीवन से उपजे संस्कृतिकर्मी जुगल किशोर पेटशाली


देहरादून : उत्तराखंड के लोक साहित्यसेवी ओर कलाकार जुगल किशोर पेटशाली का लंबी बीमारी के बाद उनके अल्मोड़ा के पैतृक गांव पेटसाल में निधन हो गया,वे 79 वर्ष के थे।जुगल दा की स्मृति में दून लाइब्रेरी और शोध केंद्र में आयोजित शोक सभा में वक्ताओं ने ,उनके लोक संग्रहालय ओर रचना क्रम को याद करते हुए,उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।इस अवसर पर राज्य के पूर्व मुख्य सचिव ओर दून लाइब्रेरी के बोर्ड सदस्य एन. एस. नपलचियाल ने उनके रचना क्रम को याद करते हुए दून लाइब्रेरी में उनकी अर्जित लोक कला संग्रहालय सामग्री के महत्व को युवा शोधार्थियों के लिए उपयोगी बताते हुए,उन्हें श्रद्धांजलि दी।उनका कहना था कि यह संग्रहालय उनकी याद को हमेशा जिंदा रखेगा।

शोक सभा में अल्मोड़ा कॉलेज में उनकी सहपाठी रही शिक्षाविद,कमला पंत ने उन्हें याद करते हुए,उनकी सादगी और शालीनता को याद किया।राज्य संग्रहालय के पूर्व निदेशक डॉ लालता प्रसाद ने कहा कि जुगल किशोर कुमाऊनी और हिंदी साहित्य के मर्मग्य थे। लोक वाद्यों पर उनकी पुस्तक ओर संग्रह उनकी शोध दृष्टि को दर्शाता है।
दून लाइब्रेरी के शोध एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने उनका जीवन परिचय देते हुए,बताया कि उन्होंने 15 से अधिक पुस्तकों की रचना के साथ ही उनकी राजुला मालूशाही कृति और दूरदर्शन लखनऊ ने एक धारावाहिकवका भी निर्माण किया था।

शोक सभा में पुस्तकालयाध्यक्ष जय भगवान,सुंदर बिष्ट,योगिता थपलियाल,जगदीश,पंकज,समय साक्ष्य प्रकाशन की प्रबंधक रानू बिष्ट, प्रवीन भट्ट,रेणु भारद्वाज,शगुन दरियाल,मीनाक्षी कुकरेती,प्रियंका,रेणुका वेदपाठी,मधु डंगवाल,कुसुम रावत, हिमांशु गीतांजलि सहित अनेक लोगों ने जुगल दा के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का संचालन डॉ योगेश धस्माना ने किया।अंत में मृतक आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा रखा गया।

TAGS: No tags found

Video Ad


Top