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सभी जीवों को अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है : राजू वैज्ञानिक


चण्डीगढ़ : आर्य समाज, सैक्टर 7 बी में वेद प्रचार सप्ताह के अन्तर्गत, श्रावणी पर्व के सुअवसर पर आर्य जगत के सुप्रतिष्ठित विद्वान आचार्य राजू वैज्ञानिक ने प्रवचन के दौरान कहा कि यह मानव तन पुण्य कर्मों का फल है। प्रत्येक व्यक्ति को महापुरुषों की संगति करनी चाहिए। मोक्ष की प्राप्ति से मनुष्य जन्म मरण के आवागमन से छूट जाता है। कर्म ही जीव के फल का निर्धारण करता है। वैज्ञानिक ने महर्षि दयानंद सरस्वती जी का वृतांत बताते हुए कहा कि मुक्ति के बीच व्यक्ति आनंद में रहता है। जब कोई व्यक्ति कर्म ही नहीं करेगा तो उसे फल कैसे मिलेगा।

सभी को अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है। जीव के कर्म तीन प्रकार के होते हैं। क्रियामान कर्म वे होते हैं जिसका फल तुरंत मिल जाता है। उदाहरण के तौर पर आग में हाथ डालने से हाथ तुरंत जल जाता है। प्रारब्ध कर्म वे होते हैं जो हमने पूर्व जन्मों में किए हुए हैं। संचित कर्म वे है जो रिजर्व होते हैं। वे कई जन्मों तक हमारे साथ रहते हैं। कार्यक्रम से पूर्व पं. उपेन्द्र आर्य, भजनोपदेशक भजन प्रस्तुत करते हुए कहा कि धर्म वैदिक आर्य नाम आदि से उपस्थित लोगों को आत्म विभोर कर दिया। प्रातः कालीन कार्यक्रम यज्ञ ब्रह्मा आचार्य राजू वैज्ञानिक – दिल्ली यज्ञ सहयोगी-आचार्य अमितेश कुमार-पुरोहित द्वारा संपन्न कराया गया जबकि भजन पं. उपेन्द्र आर्य भजनोपदेशक द्वारा प्रस्तुत किए गए। यह श्रावणी पर्व 3 अगस्त, रविवार को संपन्न होगा।

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