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विश्व पुस्तक मेले में “हिमालय में राम” और “रम्माण” का लोकार्पण।


उत्तराखंड लाइव : देश के पहले लेखक गांव, देहरादून के अंतर्गत संचालित नालंदा पुस्तकालय एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा “हिमालय में राम” के द्वितीय संस्करण तथा “उत्तराखंड में विश्व विरासत – रम्माण” का लोकार्पण प्रख्यात संस्कृतिकर्मी एवं संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर डी.आर. पुरोहित, गढ़वाली भाषा-विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. साकेत बहुगुणा, पत्रकार मनु पंवार, सहित अनेक साहित्यकारों एवं लेखकों की उपस्थिति में किया गया।

दोनों पुस्तकों के लेखक, देश के पूर्व शिक्षा मंत्री और साहित्यकार डॉ. रमेश पोखरियाल “निशंक” हैं। दोनों पुस्तकें चित्रमय हैं। “हिमालय में राम” में उत्तराखंड में श्री राम के पगचिह्न, मंदिरों एवं उनसे जुड़ी गाथाओं को समाहित किया गया है। दूसरी पुस्तक, यूनेस्को द्वारा उत्तराखंड की विश्व विरासत के रूप में मान्यता प्राप्त अमूर्त धरोहर “रम्माण” पर केंद्रित है।

श्री राम पर आधारित ये दोनों पुस्तकें उत्तराखंड की आस्था, आध्यात्म और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रकाशन हैं।

संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित डॉ. डी.आर. पुरोहित ने बताया कि “हिमालय में राम” पुस्तक में उन स्थलों का विवरण आकर्षक चित्रों के साथ क्रमबद्ध रूप में प्रस्तुत किया गया है, जहां-जहां श्री राम के चरण पड़े। पहली बार ये जानकारियां उत्तराखंड आने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को विशिष्ट प्रारूप में उपलब्ध होंगी।

इसी तरह, उत्तराखंड की परंपरागत ज्ञान-परंपरा पर आधारित राम कथा के लोक मंचन की विधा, जिसे यूनेस्को ने विश्व विरासत घोषित किया है, को पुस्तक के रूप में प्रकाशित कर लेखक गांव ने सराहनीय कार्य किया है।

लोकार्पण के अवसर पर उत्तराखंड के लोकप्रिय विनसर प्रकाशन द्वारा लोक भाषा गढ़वाली पर एक संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर अनेक लेखक, पत्रकार एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का समन्वय एवं संचालन संस्कृतिकर्मी और कवि गणेश खुगशाल ‘गणी’ द्वारा किया गया।

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