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पीएचडीसीसीआई का प्रतिनिधिमंडल मिला एमसीए की सचिव से, चंडीगढ़ में रीजनल डॉयरेक्टर ऑफिस स्थापित करने की मांग को दोहराया


चंडीगढ़। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रमुख रीजनल और रेगुलेटरी मुद्दों को लेकर चंडीगढ़ के कॉर्पोरेट भवन में कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पीएचडीसीसीआई के रीजनल (पीसीएच) एनसीएलटी एवं कॉर्पोरेट मामलों की समिति के संयोजक सीएस राहुल जोगी, पीएचडीसीसीआई की क्षेत्रीय निदेशक भारती सूद और एनसीएलटी और कॉर्पोरेट मामलों की समिति की सह-संयोजक सीएस अर्शदीप कौर जज ने किया तथा इसमें कॉर्पोरेट और लीगल बिरादरी के सीनियर प्रोफेशनल्स शामिल थे।


प्रतिनिधिमंडल को कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय की सचिव दीप्ति गौड़ मुखर्जी (आईएएस), कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के महानिदेशक संजय शौरी और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के रीजनल डॉयरेक्टर (नार्थ) विनोद शर्मा से मिलने का अवसर मिला। प्रतिनिधिमंडल ने इन अधिकारियों के समक्ष दो प्रमुख मुद्दे उठाए जिनमें चंडीगढ़ में रीजनल डॉयरेक्टर ऑफिस स्थापित करने का अनुरोध और एमसीए वी3 कार्यान्वयन के दौरान माफी योजना के लिए अनुरोध शामिल थे। एमसीए के वरिष्ठ अधिकारियों ने पीएचडीसीसीआई की सक्रिय भागीदारी की सराहना की और आश्वासन दिया कि दोनों मामलों की गंभीरता और सहानुभूतिपूर्वक समीक्षा की जाएगी।
प्रतिनिधिमंडल ने पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेशों चंडीगढ़, लद्दाख और जम्मू और कश्मीर की कंपनियों, प्रोफेशनल्स और हितधारकों को प्रभावी ढंग से सेवा प्रदान करने के लिए चंडीगढ़ में एक रीजनल डॉयरेक्टर (आरडी) ऑफिस के निर्माण की लंबे समय से चली आ रही मांग को दोहराया। अधिकारियों को बताया गया कि इससे विनियामक प्रतिक्रिया में तेजी आएगी, अनुपालन संबंधी बाधाएं कम होंगी तथा क्षेत्र में कारोबार करने में आसानी होगी। यह ऑफिस कंपनीज एक्ट के तहत आफेंसेज की कंपाउंडिंग, विलय व पुनर्गठन की स्वीकृति तथा न्यायनिर्णयन प्रक्रियाओं जैसे विषयों को देखेगा। इससे प्रशासनिक दक्षता में सुधार होगा और व्यावसायिक संचालन अधिक सुगम होगा। इस मांग को और अधिक बल देते हुए, पीएचडीसीसीआई ने भी इस संबंध में एक औपचारिक प्रस्तुति मंत्रालय को दी थी।
प्रतिनिधिमंडल ने मंत्रालय से उन कंपनियों के लिए माफी योजना पर विचार करने का भी आग्रह किया, जिन्हें नए एमसीए वी3 पोर्टल पर परिवर्तन के दौरान वार्षिक रिटर्न और फॉर्म दाखिल करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा। प्रतिनिधिमंडल ने अधिकारियों को बताया कि कई हितधारकों को वास्तविक तकनीकी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जिसके कारण समय-सीमाएं चूक गईं और अनपेक्षित रूप से अनुपालन नहीं हुआ। माफी या छूट योजना ऐसी कंपनियों को भारी जुर्माने के बिना अपने दाखिलों को नियमित करने की अनुमति देगी, जिससे स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा मिलेगा और विनियामक और विनियमित के बीच विश्वास का निर्माण होगा। गौरतलब है कि यह बैठक एमसीए के संयुक्त सचिव बालामुरुगन डी. (आईएएस) को 5 मई, 2025 को शास्त्री भवन, नई दिल्ली में प्रस्तुत किए गए ज्ञापन पर आधारित थी, जिसमें भारत के कॉर्पोरेट रेगुलेटरी ईको सिस्टम तंत्र में सुधार के लिए चैंबर की निरंतर प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला गया था।

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