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एसआईएफ मूवमेंट द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन मेंटैलिटी में लैंगिक तटस्थ कानूनों और पुरुषों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई


पुरुषों के खिलाफ कुछ कानूनों का दुरुपयोग किया जा रहा है, जिससे निर्दोष नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता को खतरा है : सत्यपाल जैन

लिंग-तटस्थ कानूनों की अनुपस्थिति में अनेक निर्दोष पुरुषों को बेवजह सजा भोगनी पड़ती है : रोहित डोगरा 

चण्डीगढ़ / जीरकपुर : पुरुषों के मुद्दों पर काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों के समूह एसआईएफ, चण्डीगढ़ द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन मेंटैलिटी में लिंग आधारित कानूनों के दुरुपयोग, पुरुषों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, बेघर पुरुषों के पुनर्वास, घरेलू हिंसा के शिकार पुरुषों के लिए आश्रय गृहों की आवश्यकता और लिंग-तटस्थ कानूनों की आवश्यकता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। सम्मलेन में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित हुए भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एवं पूर्व सांसद सत्य पाल जैन ने प्रतिभागियों की चिंताओं को समझते हुए स्वीकार किया कि पुरुषों के खिलाफ कुछ कानूनों का दुरुपयोग किया जा रहा है, जिससे निर्दोष नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता को खतरा है। जैन ने इन मुद्दों को उठाने के लिए गैर सरकारी संगठनों के प्रयासों की सराहना की।

  एसआईएफ, चण्डीगढ़ के प्रमुख रोहित डोगरा ने कहा कि यह सम्मेलन कानून निर्माताओं तक पहुंचने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है ताकि कानूनों को लैंगिक-तटस्थ बनाया जा सके और कानूनों के दुरुपयोग को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि लिंग-तटस्थ कानूनों की अनुपस्थिति में अनेक निर्दोष पुरुषों को बेवजह सजा भोगनी पड़ती है।

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्देशक ओजस्वी शर्मा भी विशेष अतिथि और वक्ता के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने सामाजिक मुद्दों को उठाने में सिनेमा की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और अपनी फिल्मों के माध्यम से संतुलित विचार प्रस्तुत करने के लिए फिल्म बिरादरी की जिम्मेदारी पर प्रकाश डाला।
प्रसिद्ध बाइकर्स डॉ. अमजद खान और संदीप पवार, जिन्होंने हाल ही में पुरुषों के मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए भारत भर में 16,000 किलोमीटर की बाइक यात्रा पूरी की, को उनके काम के लिए सम्मानित किया गया।दिल्ली के एनजीओ मेन वेलफेयर ट्रस्ट के अध्यक्ष अमित लखानी ने लिंग आधारित कानूनों के खुलेआम दुरुपयोग पर चिंता जताई और कहा कि नए कानूनों बीएनएस, बीएनएसएस, बीएसए में कानून निर्माताओं द्वारा कानूनों को लिंग-तटस्थ बनाने और दुरुपयोग को रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है, यह समाज की जरूरतों के अनुसार कानूनों में संशोधन करने और लैंगिक न्याय सुनिश्चित करने का एक खोया हुआ अवसर है।

पूरे भारत से 20 से अधिक गैर सरकारी संगठनों और 160 से अधिक पुरुष अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस 2 दिवसीय सम्मेलन में भाग लिया, जिससे यह देश में पुरुषों के मुद्दों पर सबसे बड़ा संगठन बन गया। इस कार्यक्रम में प्रख्यात वक्ताओं ने विचार-विमर्श सत्रों, पैनल चर्चाओं व ओपन माइक सत्रों में भाग लिया।

सम्मेलन में लैंगिक समानता और न्याय की तलाश में एकजुट हुए पुरुष कार्यकर्ताओं, कानूनी बिरादरी के लोगों, मीडिया और फिल्म जगत के लोगों और विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्तियों के बीच विचारों का आदान-प्रदान हुआ। यह शानदार सम्मेलन पुरुष अधिकार कार्यकर्ताओं के लिए अपने अनुभव और चिंताओं को साझा करने के लिए एक मंच के रूप में उभरा।

इस अवसर पर सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव भी पारित किया गया और मांगों का एक ज्ञापन जारी किया गया, जिसमें लिंग आधारित कानूनों में संशोधन करके उन्हें लिंग-तटस्थ बनाया जाए, कानूनों का दुरुपयोग करने वालों और झूठे मामले दर्ज करने वालों को दंडित करने के लिए कड़े प्रावधान व राष्ट्रीय पुरुष आयोग जैसी संवैधानिक संस्था का गठन व अनिवार्य साझा पालन-पोषण के लिए कानून बनाना आदि शामिल हैं। ज्ञापन को पीएमओ, कानून मंत्रालय, विधि आयोग और अन्य संबंधित कार्यालयों को भेजा जाएगा।

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