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सेव इंडियन फैमिली ने मनाया आत्महत्या रोकथाम दिवस


पुरुष देश के राजस्व का बहुमत योगदानकर्ता है, परन्तु सरकार के पास पुरुषों के हितों की रक्षा के लिए कोई नीति नहीं है : रोहित डोगरा

साल दर साल तेजी से बढ़ रहा है पुरुष आत्महत्या का आंकड़ा

हर 4.4 मिनट में एक पुरुष और हर 6.5 मिनट में एक विवाहित पुरुष आत्महत्या करता है

चण्डीगढ़ : आत्महत्या रोकथाम दिवस पर आज सेव इंडियन फैमिली (एसआईएफ), चण्डीगढ़ के कार्यकर्ताओं ने सेक्टर 17 में एक शांतिपूर्ण जारुकता अभियान चलाया जो इस महीने आयोजित किए जा रहे आत्महत्या रोकथाम माह में शहर के अलग-अलग स्थानों पर चलाया जाएगा। ये अभियान एसआईएफ, चण्डीगढ़ के अध्यक्ष रोहित डोगरा की अगुआई में चलाया गया, जिसमें संस्था के कार्यकर्ता महेश कुमार, रजत आहूजा, अंकुर शर्मा, सोमेंधू मुखर्जी, संदीप कुमार, अमनदीप सिंह, रविंदर सिंह, आनंद कुमार, हरदीप कुमार आदि भी शामिल रहे। रोहित डोगरा ने इस अवसर पर बताया कि एनसीआरबी 2022 के आत्महत्या के आंकड़े बताते हैं कि प्रत्येक वर्ष 1,22,724 पुरुषों की आत्महत्या के मामलों के मुकाबले महज़ 48,172 महिलाओं द्वारा आत्महत्या करने मामले सामने आते हैं। इनमें से भी अगर विवाहित पुरुषों व महिलाओं का अनुपात देखा जाए तो ये 83713 के मुकाबले 30771 है। इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि पुरुष आत्महत्या का आंकड़ा साल दर साल तेजी से बढ़ रहा है और हर 4.4 मिनट में एक पुरुष और हर 6.5 मिनट में एक विवाहित पुरुष आत्महत्या करता है। पतियों की आत्महत्या का आंकड़ा पत्नियों के आत्महत्या के आंकड़े से 2.7 गुना अधिक है। इन आत्महत्याओं का सबसे बड़ा कारण पारिवारिक मुद्दे और घरेलू समस्याएं हैं।

उन्होंने कहा कि पुरुष देश के राजस्व का बहुमत योगदानकर्ता है, परन्तु बड़े ही अफ़सोस की बात है कि सरकार के पास पुरुषों के हितों की रक्षा के लिए कोई नीति नहीं है। उन्होंने बताया कि एसआईएफ सबसे बड़ी और एकमात्र संकट में पुरुषों के लिए अखिल भारतीय हेल्पलाइन (एसआईएफ वन) 08882 498 498 चलाता है, जो हर महीने 5000-6000 कॉल प्राप्त करता है। इस हेल्पलाइन की मदद से हम लाखों पुरुष और उनके परिवारों को बचाने में सफल हुए है। रोहित डोगरा ने बताया कि इस हेल्पलाइन से हमने काफी पुरुषो को आत्महत्या करने से भी बचाया है।
भारत में बहुत से कानूनों का पुरुषों के खिलाफ दुरूपयोग हो रहा है और इस कारण निर्दोष पुरुष प्रताड़ित होने के कारण आत्महत्या कर रहे है।
रोहित डोगरा ने बताया कि भारत में पुरुषों से जुड़े मुद्दों की सुनवाई के लिए राष्ट्रीय पुरुष आयोग जैसी कोई संस्था नहीं, सरकारी पुरुष हेल्पलाइन इत्यादि भी नहीं। उससे भी चौंकाने वाली बात यह कि 21वीं सदी में भी पुरुषों पर बढ़ते अत्याचार के कोई सरकारी आंकड़े नहीं। यह भारत के संविधान अनुच्छेद 14, 15 और 21 के तहत प्रदत्त समानता के अनुरूप नहीं है।
रोहित डोगरा ने कहा कि पुरुष भी इंसान हैं और मर्द को भी दर्द होता है।

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