logo
Latest

स्वाभिमान और अस्मिता की कहानी है, उत्तराखंड सेवा निधि


देहरादून (डॉक्टर योगेश धस्माना) : आज से 38 वर्ष पहले जब राज्य नहीं बना था,तब उत्तराखंड के 1933 में पहले आई सी एस. बी डी पांडे बंगाल ओर पंजाब में गवर्नर रहने के बाद राजकीय सेवा से मुक्त हो कर सीधे घर अल्मोड़ा आकर घर वापसी का संदेश युवाओं को दिया था,जिसे रिवर्स पलायन का उत्कृष्ट पहल के रूप में भी देखा गया था।

पिता के पद चिन्हों पर चलते हुए ललित पांडेय ने भी पहले दिल्ली, आई आई टी,, से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद यू एस ए.से एम टैक. परीक्षा स्वर्ण पदक के साथ परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद,चाहते तो अमरीका में ही किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करने के उपरांत वही बस जाते,पर उन्होंने भी पिता की परंपरा के अनुरूप वापस घर अल्मोड़ा लौट कर सेवा का संकल्प लिया।

पद्मश्री डॉ ललित पांडेय ने तब पिता के अनुभवों का लाभ लेकर उत्तराखंड सेवा निधि नामक संगठन की स्थापना कर गढ़वाल कुमाऊं के सामाजिक आर्थिक विकास की नई नीव रख कर महिलाओं के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने का प्रयास किया।डॉ ललित पांडेय की विशेषता यह रही कि उन्होंने कभी भी अपनी डिग्रियों या फिर पिता की लेगेसी का बखान नहीं किया। ना ही वे कभी प्रोजेक्ट लेने सरकारों के दरवाजे पर खड़े रहे।अपने सिद्धांत ओर शर्तों पर काम करने वाले ललित,गंभीरता से पहाड़ी समाज की अस्मिता और विस्थापित रहित विकाश के लिए चिंतित दिखाई देते हैं।अल्मोड़ा में सेवानिधि की गतिविधियों ओर उनके भवन के फोटो पाठकों के लिए भी साझा कर रहा हूँ।


इस संगठन के माध्यम से उन्होंने गढ़वाल कुमाऊं के दूरस्थ क्षेत्रों में पहुंच कर कृषि ओर महिलाओं लिए प्रशिक्षण ओर क्षमता संवर्धन कार्यक्रमों की शुरुवात की। इन संगठित प्रयासों से पहाड़ के युवाओं को आर्थिक विकास ओर स्वरोजगार के अनेक अवसर मिले।

डॉ ललित पांडेय अब पिता बी डी. पाण्डेय की इस परंपरा को संभालते हुए पत्नी डॉ अनुराधा के साथ अल्मोड़ा के पैतृक घर पर रह कर,महिलाओं की आर्थिकी ओर बच्चो के समग्र विकाश को दिशा देने में लगे हैं।
भारत सरकार ओर राज्य सरकार के नियोजन पर अपनी बेबाकी से राय रखने वाले डॉ ललित का मानना हे की कृषि ओर उद्यानिकी के तौर तरीकों में बदलाव के बिना उत्तराखन की तरक्की संभव नहीं है।
उत्तराखण सेवा निधि ओर दून लाइब्रेरी के संयुक्त प्रयासों से जलवायु परिवर्तन कार्यशाला में डॉ ललित ने पिछले 38 वर्षों के कार्यों का विवरण पावर प्वाइंट प्रस्तुति के जरिए प्रस्तुत किया।
इसके बाद चर्चा के सत्र में पूर्व मुख्य सचिव रवि शंकर,डॉ इंदु पांडेय,सेतु आयोग के अध्यक्ष,राज शेखर जोशी,एक्टिविस्ट अनूप नौटियाल,पूर्व वन संरक्षक आर बी एस. रावत, उद्यान विशेषज्ञ डॉ राजेंद्र कुकसाल,मालविका,बीजू नेगी,चंद्रशेखर तिवारी,डॉ मंजरी मेहता,विभापुरी दास,पीयूष रौतेला, एस पी. सुबुद्धि, हिमांशु आहूजा,सुंदर बिष्ट,सहित दून लाइब्रेरी के छात्रों ने भागेदारी की। कार्यक्रम का संचालन ओर स्वागत भाषण दून लाइब्रेरी की ओर से सलाहकार प्रो बी के. जोशी ने किया।धन्यवाद ज्ञापन डॉ अनुराधा पांडेय ने किया।

TAGS: No tags found

Video Ad


Top