उत्तराखंडी फिल्म “गढ़ कुमौ.” 21 फरवरी को चंडीगढ़ पीवीआर सेन्टरा मॉल में रिलीज होगी
सांस्कृतिक धरोहर और पहाड़ी जीवन का आईना, कुमाऊ-गढ़वाल के बीच रिश्तों का सच
चंडीगढ़ : चंडीगढ़ के गढ़वाली व कुमाउनी समाज के लिए खुशखबरी है कि उत्तराखंडी फ़िल्म “गढ़ कुमौ ” की विशेषता यह है कि यह पहली उत्तराखंडी फ़िल्म है जिसमे गढ़वाली व कुमाउनी भाषा दोनों का प्रयोग किया गया है। यह फ़िल्म 21 फरवरी को चंडीगढ़ पीवीआर सेन्टरा मॉल में रिलीज होगी । जिसका समय 3:50 का रहेगा । यह फ़िल्म उत्तराखंड के दोनो पहाड़ी क्षेत्रों गढ़वाल व कुमाऊं के आपसी रिश्तों पर आधारित एक सोशल फैमिली ड्रामा है। जो इन दो पहाड़ी समाजों के बीच सदियों पुरानी कड़वाहट पर खुल कर बात करती है। एक तरह से यह उत्तराखंडी फ़िल्म उत्तराखंड के सिनेमा को नया आयाम देने का एक नया गम्भीर प्रयास है। इन दोनों समाजों के बीच कथित वैमनस्य की ऐतिहासिक और सामाजिक परतों को यह फ़िल्म खूबसूरती से खोलती है।और साबित करती है कि गढ़वाल व कुमाऊं के दोनों पहाड़ी समाजों में भाषाई,सांस्कृतिक,भौगोलिक और ऐतिहासिक समानताएं हैं।
दोनों समाजों का रहन सहन खानपान एक ही तरह का है।फ़िल्म में जहां रोमांस व ट्रेजडी का अनोखा संगम है वहीं गढ़वाली व कुमाउनी परिवारों की आपसी चुहल गुदगुदाती भी है। कुछ बेहतरीन रोमांटिक गीत संगीत के साथ फ़िल्म का कथानक भी रोचक है और उत्सुकता बनाकर रखता है। कुल मिला कर यह फ़िल्म “गढ़ कुमौ” उत्तराखंड के दोनों प्रमुख पहाड़ी अंचलों गढ़वाल व कुमाऊं के रिश्तों में सदियों से जमीं बर्फ को पिघलाने की कोशिश करती है। फ़िल्म में बड़ी खूबसूरती से गढ़वाली व कुमाउनी भाषा का प्रयोग किया गया है। फ़िल्म में आधे कलाकार कुमाऊं से व आधे गढ़वाल से हैं। मुख्य भूमिका में जहां एक तरफ कुमाऊं की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री अंकिता परिहार है वही गढ़वाल से सुप्रसिध्द अभिनेता संजू सिलोड़ी हैं। साथ मे राकेश गौड़,पुष्पा जोशी, हेम पंत,सुशील पुरोहित, गोकुल पंवार,गिरीश पहाड़ी,गोपा नयाल , गम्भीर जायरा, राजीव शर्मा,गीता गुसाईं नेगी, शम्भू साहिल,मोहन जोशी,आशा पांडे,अनिल शर्मा, डॉक्टर सुनीत नैथानी व बिनीता नेगी सहयोगी कलाकार की भूमिका में हैं।उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी इन्हीं लेखक निर्देशक अनुज जोशी की कई ब्लॉकबस्टर गढ़वाली फ़िल्में ” मेरु गौं”,”तेरी सौं” “असगार “व “अजाण “भी सिल्वर स्क्रीन पर प्रसिद्दी पा चुकी है और हाल ही में आई पहली जौनसारी फ़िल्म ” मैरै गांव की बाट” भी इन्हीं के निर्देशन में बनी है, जो लगातार बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ती जा रही है।
चंडीगढ़ के पीवीआर सेन्टरा मॉलमॉल में प्रदर्शित हो रही इस फिल्म को देखने के बाद आपको यकीन होगा कि यह वाकई पहाड़ की खूबसूरती और संस्कृति को पर्दे पर जीवंत कर देती है। यह फिल्म हर पहाड़ी के दिल में एक खास जगह बना लेगी। गढ़-कुमौ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर और पहाड़ी जीवन का आईना है। इसे देखकर आप भावुक भी होंगे और गर्व भी महसूस करेंगे। तो इसे देखने का मौका न गंवाएं और अपने बच्चों को भी दिखाएं।