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यात्रा प्रबंधन सुव्यवस्थित, भविष्य की संभावनाओं के लिए प्राधिकरण का गठन स्वागतयोग्य: चौहान


चार धाम देव भूमि की धरोहर, दिव्यता और भव्यता के लिए सीएम की पहल पर विचार की जरूरत

देहरादून : भाजपा ने प्रदेश मे चल रही चार धाम यात्रा के प्रबंधन को सुव्यवस्थित बताते हुए इसे और बेहतर बनाने के लिए प्राधिकरण बनाने की जरूरत का स्वागत किया है। प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने चार धाम यात्रा को देवभूमि की धरोहर बताते हुए सभी पक्षों से सीएम धामी की इस पहल पर खुले मन से विचार करने की बात कही है।

उन्होंने चारो धामों की यात्रा में उमड़ रही भीड़ को राज्य की आर्थिकी के लिए शुभ संकेत बताया और कहा कि यह जनसहयोग से भाजपा सरकार द्वारा विगत वर्षों में की जा रही कुशल यात्रा व्यवस्था का नतीजा है। इस सीजन की शुरुआत में रिकॉर्ड तोड श्रद्धालुओं के देवभूमि पहुंचने को भी धामी सरकार ने चुनौती के रूप में लिया और सरकार की यह गंभीरता एवं संवेदनशीलता सफल एव सुरक्षित यात्रा प्रबधन की कोशिशों में स्पष्ट दिखाई दे रहा हैं। वही यात्रा शुरुआती दबाब के बाद यात्रा अब सुचारू एवं नियोजित तरीके से आगे बढ़ रही है।

चौहान ने कहा कि जिस तरह यात्रा साल दर साल नित नए आयाम छू रही है उसे देखते हुए नई रणनीति तैयार करने की जरूरत सभी महसूस कर रहे हैं । चूंकि सदियों से चार धाम यात्रा देवभूमि की धरोहर है, लिहाजा इसको सफल एवम सुरक्षित बनाने के साथ इसकी भव्यता को लेकर भी अब काम करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि यात्रा की इसी धरोहर को अब अधिक भव्यता एवं दिव्यता देने का समय आ गया है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम यात्रा के बेहतर प्रबंधन के लिए यात्रा प्राधिकरण बनाने की दिशा में काम करने की बात कही है। इसको लेकर हमारा भी मंतव्य स्पष्ट है कि चारधाम यात्रा संबंधित सभी व्यवस्थाओं के संचालन के लिए व्यापक रूप में प्राधिकरण की स्थापना की जाए । उन्होंने उम्मीद जताई कि एक ही संस्था के अधीन आने से यात्रा की व्यवस्थाएं काफी बेहतर होंगी और भविष्य में आने वाली चुनौतियों के लिए भी तैयारी किया जाना संभव होगा। हालांकि इस तरह की व्यवस्थाएं निर्मित करने के लिए सभी सवा करोड़ उत्तराखंडवासियों का सहयोग जरूरी है । लिहाजा सभी पक्षों से बातचीत और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के अनुसार ही यात्रा प्राधिकरण को बनाया जाएगा। साथ ही कहा कि इस प्राधिकरण का मुख्य फोकस यात्रा प्रबंधन पर होना चाहिए जो हरिद्वार, ऋषिकेश से शुरू होकर, चारों धामों से श्रद्धालुओं की सुरक्षित एवं सुरक्षित वापिसी के लिए जिम्मेदारी लेने वाला होगा। मंदिर की परंपरा, पवित्रता एवं उससे जुड़ी आस्था से अलग, इसे श्रद्धालुओं की सभी जरूरतों का ध्यान रखकर तैयार किया जाना चाहिए ।

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