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मुहांसे होने पर त्वचा रोग विशेषज्ञ से लें परामर्श।


डोईवाला। हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में मुहांसे (एक्ने) पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान ओपीडी में आने वाले लोगों को मुहांसे होने के कारण, लक्ष्ण व बचाव की जानकारी दी गयी।
बृहस्पतिवार को हिमालयन हॉस्पिटल के त्वचा रोग विभाग ने मुहांसे होने की समस्या को लेकर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान ओपीडी में उपस्थित लोगों को विभागाध्यक्ष डॉ. रश्मि जिंदल ने कहा कि किशोरवस्था में मुहांसे या एक्ने निकलना एक आम समस्या है लेकिन मुहांसे किशोरवस्था में ही नहीं किसी भी उम्र में निकल सकते है। ऐसा माना जाता है कि मुहांसे केवल किशोरावस्था में ही होते हैं लेकिन विशेषज्ञ इसे गलत ठहराते हैं। 30 और 40 की उम्र में भी लोगों को मुहांसों का सामना करना पड़ सकता है। डॉ. वाईएस बिष्ट ने कहा कि मुहांसे चेहरे पर त्वचा के रोमछिद्रों या पोर्स को बंद कर देते हैं। सीबेशियस ग्लैंड्स से सीबम ऑयल ज्यादा बनने लगता है तो पोर्स बंद हो जाते हैं। ये ग्लैंड्स बालों की जड़ों से जुड़ी होती है। इस अवरोध को प्लग कहते हैं। यह अवरोध फिर फैलता है और एक गांठ में बदल जाता है। यह त्वचा की परत को नुकसान पहुंचाता है। इससे बैक्टीरिया और हानिकारक तत्वों को त्वचा के अंदर जाने का मौका मिलता है, जिससे त्वचा में सूजन व जलन होने लगती है। डॉ. समरजीत रॉय ने कहा कि मुहांसे होने के कुछ प्रमुख कारण हैं, हॉर्माेनल असंतुलन, ऑयली किस्म के कॉस्मेटिक्स का लगातार इस्तेमाल और कुछ दवाओं के साथ ही उमस भरा मौसम। इसके अलावा कई बार इसके कारण जेनेटिक भी हो सकते हैं। मुहांसों से त्वचा पर निशान, दाग-धब्बे, चकत्ते हो जाते हैं, साथ ही पोर्स भी खुल जाते हैं। इसके अलावा इनसे आत्मविश्वास की कमी और अवसाद के लक्षण भी दिखने लगते हैं। डॉ. रूचि हेमदानी ने बताया कि मुहांसे कई प्रकार के होते है। अगर किसी को मुहांसे होते है, तो ऐसे में त्वचा रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। जो त्वचा के प्रकार के हिसाब से जांच करके ईलाज करते है। कई बार हम खुद अपने तरीके से ईलाज करते है जो कि त्वचा के लिए घातक साबित हो सकता है। डॉ. दीक्षिता, डॉ. ऋतु, डॉ. अनुज, डॉ. अर्नव, डॉ. जागृति, डॉ. दर्शना, डॉ. वृंदा, डॉ. साक्षी, डॉ. शोभित, डॉ. ताबीर ने भी लोगों को जानकारी दी।

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