महालय अमावस्या एवं पितृ विसर्जन 2 अक्तूबर को
अमावस्या के दिन पितृ-तर्पण व श्राद्धादि करने से शरीर निरोग रहता है, धन-धान्य आदि की वृद्धि होती है व घर में सुख समृद्धि रहती है : : पंडित आचार्य ईश्वर चंद्र शास्त्री
चण्डीगढ़ : आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पितृपक्ष कहा जाता है। इस पक्ष में अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि के अनुसार सभी लोग श्राद्ध करते हैं। परंतु अमावस्या को सब पितरों का श्राद्ध किया जाता है, इसलिए इसे सर्व-पितृ श्राद्ध दिवस भी कहा जाता है। देवालय पूजक परिषद के पूर्व अध्यक्ष एवं प्राचीन शिव खेड़ा मंदिर, सेक्टर 28 के पुजारी पंडित आचार्य ईश्वर चंद्र शास्त्री ने बताया कि वैसे तो अमावस्या तिथि पितरों की पुण्यतिथि होती है किंतु श्राद्ध पक्ष की अमावस्या पितृतर्पण ,श्राद्ध, पिंडदान, ब्राह्मण भोजन, गौ को चारा देना आदि कृत्यों के लिए प्रशस्त मानी जाती है। अमावस्या के दिन गंगाजल और तिल मिश्रित जल लेकर पीपल में भी जल देना चाहिए। 2 अक्तूबर को अमावस्या के दिन पितृ-तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि अवश्य करने चाहियें। यदि किसी तीर्थ में जैसे पिहोवा, हरिद्वार, कुरुक्षेत्र, गयाजी आदि में करें तो बहुत श्रेष्ठ माना जाता है। इससे पितृ प्रसन्न होकर के हमें अनेक प्रकार के आशीर्वाद प्रदान करते हैं। अमावस्या के दिन पितृ-तर्पण व श्राद्धादि करने से हमारा शरीर निरोग रहता है, धन-धान्य आदि की वृद्धि होती है, घर में सुख समृद्धि रहती है।
सर्वार्थ सिद्धि योग एवं गज छाया योग : अबकी बार अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ गज छाया योग बन रहा है जो की बहुत ही उत्तम योग है। गजछाया योग में स्नान, दान, जप, ब्राह्मण भोजन, अन्न वस्त्र आदि का दान एवं श्राद्ध करने का विशेष महात्म्य गया है। गज छाया योग दोपहर 12.23 बजे से सायं 6:00 बजे तक रहेगा। निर्णय सिंधु में बताया गया है कि जब सूर्य और चंद्रमा दोनों हस्त नक्षत्र में हों तो गज छाया योग बनता है। अमावस्या को ही श्राद्ध, तर्पण करने के बाद सभी पितरों का विसर्जन किया जाता है।