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उत्तराखंड में पहली बार सफल 3D प्रिंटेड हिप इम्प्लांट सर्जरी।


20 साल पुराने दर्द को मिली मुक्ति, संदीप शर्मा बोले – अब फिर से चल पा रहा हूं, जैसे जीवन दोबारा मिला हो।

उत्तराखंड लाइव/एम्स ऋषिकेश:उत्तराखंड की वादियों में बसे एम्स ऋषिकेश ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक ऐसी क्रांति ला दी है, जिसने न केवल रिकॉर्ड बुक्स में जगह बनाई, बल्कि एक ज़िंदगी को फिर से जीने की वजह भी दी।

हरिद्वार निवासी 60 वर्षीय संदीप शर्मा, जो एंकायलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस से जूझ रहे थे और दो दशक पहले अपने दोनों कुल्हों का प्रत्यारोपण करा चुके थे, पिछले एक साल से चलने-फिरने में पूरी तरह लाचार थे। 2023 से वे व्हीलचेयर पर जीवन जीने को मजबूर थे, लेकिन आज वो अपने पैरों पर खड़े हैं – और इसके पीछे है एम्स ऋषिकेश की बेमिसाल चिकित्सकीय टीम और अत्याधुनिक 3D प्रिंटिंग तकनीक।

एम्स ऋषिकेश ने पहली बार उत्तराखंड में एक कस्टमाइज्ड 3D प्रिंटेड हिप इम्प्लांट का सफल प्रत्यारोपण कर दिखाया। इस सर्जरी को प्रोफेसर डॉ. रूप भूषण कालिया की अगुवाई में ऑर्थोपेडिक टीम ने 8 घंटे तक चली एक जटिल प्रक्रिया के दौरान पूरा किया। मरीज के शरीर में पहले से मौजूद अस्थायी सीमेंट स्पेसर और नेल को हटाकर, उनके लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया कस्टम इम्प्लांट प्रत्यारोपित किया गया।

इस मेडिकल चमत्कार में एनेस्थीसिया टीम की भूमिका भी अहम रही, जिसका नेतृत्व डॉ. भावना गुप्ता ने किया। सर्जरी के 7 हफ्ते बाद अब संदीप शर्मा न केवल अपने पैरों पर खड़े हैं, बल्कि सामान्य रूप से चलने भी लगे हैं।

संदीप भावुक होकर बताते हैं, “मैं 2023 से लगातार दर्द में था, ज़िंदगी जैसे ठहर सी गई थी। एम्स ऋषिकेश ने मुझे फिर से खड़ा कर दिया। यह मेरे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं। डॉक्टरों ने न सिर्फ मेरे शरीर का इलाज किया, बल्कि मेरे हौसले को भी जिंदा किया।”

यह सफलता न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है कि कैसे 3D प्रिंटिंग जैसी उन्नत तकनीक अब उन मरीजों के लिए नई उम्मीद बन रही है, जिनके केस पहले नामुमकिन माने जाते थे।

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