द एनवायरनमेंट सोसाइटी ऑफ इंडिया ने जैव विविधता दिवस एवं विश्व तोता दिवस मनाया
जैव विविधता के महत्व और पारिस्थितिकी तंत्र में तोतों की विशिष्ट भूमिका पर प्रकाश डाला
चण्डीगढ़ : द एनवायरनमेंट सोसाइटी ऑफ इंडिया, चंडीगढ़ द्वारा अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस एवं विश्व तोता दिवस का उत्सव सिटी बर्ड सैंक्चुअरी, सेक्टर 21 में प्रकृति संरक्षण के प्रति समर्पण भाव और बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। इस कार्यक्रम में पर्यावरण विशेषज्ञों व आईएस देव समाज स्कूल, सेक्टर 21, जीएमएसएसएस सेक्टर 33-डी, जीएमएसएसएस सेक्टर 20-बी तथा सेक्टर 21 –बी के शिक्षकगणों और आम नागरिकों ने भाग लिया।
जैव विविधता दिवस 2025 की थीम प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास को कार्यक्रम के दौरान प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया, जिससे यह संदेश गया कि पृथ्वी की समृद्ध जैव विविधता की रक्षा के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। विश्व तोता दिवस के आयोजन ने पक्षियों, विशेष रूप से लुप्तप्राय तोतों की सुरक्षा का संदेश और भी मजबूती से दिया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो. केया धरमवीर, सचिव, सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इन इंडिया (एसपीएसटीआई), चंडीगढ़ थीं। उन्होंने अपने प्रेरणादायक संबोधन में छात्रों को संदेश दिया कि वे पक्षियों से प्रेम करें, जैव विविधता की रक्षा करें, पेड़ लगाएं, पर्यावरण को संरक्षित करें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। उन्होंने बच्चों से अपील की कि वे प्रकृति के साथ अपना जुड़ाव बढ़ाएं और अपने व्यवहार से सकारात्मक परिवर्तन लाएं।
इस अवसर पर प्रमुख पर्यावरणविद् और सोसाइटी के उपाध्यक्ष एचआर सतीजा ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया। उन्होंने जैव विविधता के महत्व और पारिस्थितिकी तंत्र में तोतों की विशिष्ट भूमिका पर प्रकाश डाला तथा सभी नागरिकों से पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली अपनाने और संरक्षण प्रयासों में भाग लेने का आह्वान किया।
विभिन्न विद्यालयों के विद्यार्थियों ने पोस्टर प्रस्तुति और जागरूकता रैली में उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रतिभागियों ने पक्षियों के लिए पानी हेतु मिट्टी के सकोरे सैंक्चुअरी के आस-पास रखे ताकि गर्मी में पक्षियों को जल उपलब्ध हो सके। छात्रों की रचनात्मकता और प्रतिबद्धता ने कार्यक्रम को जीवंत बना दिया।
आम जनता को भी इंटरएक्टिव सत्रों और सूचनात्मक पुस्तिकाओं के वितरण के माध्यम से जागरूक किया गया।
इस अवसर पर सोसाइटी के सचिव एनके झिंगन ने कहा कि हमारी जैव विविधता ही हमारे जीवन का आधार है। ऐसे आयोजनों के माध्यम से सभी आयु वर्गों में जागरूकता और कार्यशीलता को बढ़ावा मिलता है, जिससे लोग प्रकृति के रक्षक बनते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि सन् 1987 में भारत सरकार के वन और वन्य जीव मंत्रालय द्वारा इस बर्ड सैंक्चुअरी को घोषित किए जाने में सोसाइटी की अहम भूमिका रही है।
सोसाइटी ने सतत जीवन शैली, वन्यजीव सुरक्षा और समुदाय की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के अपने मिशन को दोहराया।
इस अवसर पर डॉ. रविंदर नाथ (कोषाध्यक्ष), राखी अग्रवाल (आईटी प्रमुख), अनीता महाजन, अनु महाजन, इंजीनियर अशोक बंसल, डॉ. अनुपमा सूरी, सीता कक्कड़ , डीवी बांगिया सहित कई सक्रिय सदस्य उपस्थित रहे। युवा विंग के अध्यक्ष रोहन सिंह ने भी अन्य युवाओं के साथ मिलकर कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान दिया।