उपभोक्तावाद के चलते सिमट रही है,लोक विरासत
उपभोक्तावाद के चलते सिमट रही है,लोक विरासत
गढ़वाल के प्रसिद्ध समाजसेवी और लखपति साहब के नाम से प्रसिद्ध , प्रयाग दत्त धस्माना ने 1940 के दशक में गांधी वादी नेताओं के साथ मिलकर डोला पालकी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी । 1943 में उन्होंने मिशन स्कूल पौड़ी में मेधावी छात्रों को स्कालरशिप देकर अनुकरणीय कार्य किया था। 1955 में पौड़ी के जिला अस्पताल का निर्माण में एक कुशल शिल्पी की भूमिका निभाई। यह भवन आज भी गुणवत्ता और शिल्प के रूप में उनकी याद दिलाता है। इस अवधि में लखपति साहब हमारे पौड़ी स्थित धारा रोड में आदित्य कुटीर में रहे थे। आज तोली और पौड़ी में उनकी यादों की धरोहर ,खंडर में तब्दील हो रही है। तोली में उनके पैतृक आवास में होटल बनने से उनकी ऐतिहासिक विरासत सिमट कर रह गई है । आखिर तोली या पौड़ी की आदित्य कुटीर की यह सांस्कृतिक विरासत नई पीढ़ी कैसे याद रखेगी ?

आधुनिकता और उपभोक्ता वादी दृष्टि के चलते इन विरासतों का टूटना बहुत दुखद है। लखपति साहब ने बर्मा , रंगून में भी अपने पुरुषार्थ से एक विशाल बौद्ध मंदिर का निर्माण किया था I न जाने यह विरासत किस हाल में होगी। इनके फोटो पाठकों के लिए साझा कर रहा हूं । स्मरण रहे बर्मा में नौकरी करते हुवे उन्होंने घोड़ों की रेस में एक घोड़े पर दाव लगा कर 6 लाख रुपए जीते थे I इस रकम को उन्होंने ,धर्मार्थ कार्य में लगाते हुए ताड़केश्वर मंदिर , धर्मशाला,और सड़क निर्माण में लगाया था। 1939 में साप्ताहिक कर्मभूमि और जी.एम.ओ.यू मोटर यूनियन के संस्थापकों में थे। उनके परिजनों से आशा है कि , वे लोग लखपति साहब की सामाजिक सांस्कृतिक धरोहरों को बचाने में आगे आएंगे।

प्रयाग दत्त धस्माना
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि उन्होंने छोटे भाई स्वामी राम जी को हर संभव सहायता देकर पौड़ी के मिशन कॉलेज और मसूरी में पढ़ाया था। यहाँ से वे लुधियाना चले गए ।उनकी अनुपस्थिति में लखपति साहब सम्पूर्ण परिवार की जिम्मेदारी सभालते रहे। मेरा सुझाव है कि उनके परिजनों द्वारा लखपति साहब की स्मृति में दुधारखाल स्कूल और पौलीटैकनिक कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों के लिए स्कालरशिप देने की योजना पर अमल करना चाहिए।ऐसा करके हम भावी पीढ़ी के लिए आदर्श स्थापित कर सकते है। पाठको के लिए लखपति साहब का फोटो बर्मा में बौद्ध मंदिर ,तोली में उनके आवास का फोटो और पौड़ी में हमारे पैतृक आवास , जहां लखपति साहब रहे थे का फोटो पाठकों के लिए स्मृति स्वरूप दे रहा हूं I


डॉ योगेश धस्माना