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डेंगू बुखार में कारगर है होम्योपैथी दवा:डॉक्टर विनय कुडियाल।

ब्यूरो/उत्तराखण्ड लाइव : आजकल डेंगू बुखार की चर्चा है। यह बुखार एक प्रकार के ” डेंगू वायरस “- फ्लेवीवायरस के कारण होता है जो मनुष्य मैं एक प्रकार के मच्छर जिन्हे ” एडीज एजीप्टाई ” कहते हैं, के काटने से फैलता है। इन जातियों के मच्छर ट्रोपिकल व सवट्रोपिकल देशों मे मुख्य रूप से भारत, इन्डोनेशिया , मलेशिया, श्रीलंका, आदि में पाये जाते हैं, इसी कारण से इन देशों में कभी-कभी डेंगू बुखार महामारी (एपीडेमिक ) के रुप में फैलता है। मच्छर के काटने के एक सप्ताह के अन्दर वाइरस अपना प्रभाव दिखाना शुरु कर देता है । व्यक्ति को ठंड लगने के साथ बुखार, सिर दर्द व लालीपन, आंखों में पानी आना, भूख न लगना, मितली व उल्टी आना , बहुत ज्यादा थकान, साथ ही सभी हड्डियों के जोड़ों मे तीव्र दर्द होता है व रोगी में स्पष्ट बैचेनी दिखलाई पड़ती है। मुॅह में स्वाद का न होना, मुँह से दुर्गन्ध आती है। चेहरा लाल पड़ जाता है तथा साथ दी साथ दस्त व उल्टी भी हो सकती है।


बीमारी के उग्र रूप में त्वचा के अन्दर रक्त स्राव होने लगता है। खून की उल्टी व पखाने के साथ भी खून आने लगता है। यह सव खून में प्लेटलेट्स की भारी गिरावट के कारण होता है।
रोग से बचने के लिए अपने मकान, मोहल्ले के आस पास सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए । गंदे पानी का जमाव विल्कुल नही रहना चाहिए ताकि मच्छर पनप ही न सके । डी०डी० टी ० आदि कीटनाशक घोल का नियमित छिड़काव भी होना चाहिए। फुल बाजू के कपड़े पहनने चाहिए।

* उपचार: होम्योपैथी मे उपचार व्यक्ति के स्वभाव एवं लक्षणों की समानता के आधार पर किया जाता है। निम्न औषधियाँ डेंगू बुखार मे कारगर हैं —

यूपेटोरियम पर्फोलिएटम: बुखार के साथ समस्त हड्डियों में भयंकर पीड़ा होती है। बुखार ठंड लगने के साथ-साथ प्राय: सुवह 7 – 9 बजे शुरू होता है, रोगी बैचेन रहता है।

रस टाक्स: बुखार के साथ-साथ तेज दर्द। रोगी बेहोशी की हालत में रहता है तथा कुछ न कुछ बकता रहता है। जीभ के अगले भाग पर तिकोना लाल दाग।

आर्स एल्व: बुखार के साथ-साथ बहुत बैचेनी और रोगी थोड़ा थोड़ा पानी बार-बार पीने को माँगे।

नक्स वोमिका: बुखार मे तेज सिर दर्द, ठंड, पूरा शरीर नीला सा दिखाई दे। स्पष्ट बैचेनी व आंखे लाल।

चायना: बुखार के साथ फाड़ने वाला दर्द। दर्द खिंचाव युक्त लगता है। शरीर में आर0 वी 0 सी0 की कमी हो जाती है। इसके अतिरिक्त एपीस, पत्साटिला, ब्रायोनिया, जेल्स, केरिका पपाया, व बेलाडोना आदि औषधियां भी दी जा सकती हैं। ध्यान देने की बात यह है कि उपरोक्त दवाएं एक निश्चित शक्ति (पोटेन्सी) मे किसी सुयोग्य होम्योपैथिक चिकित्सक के परामर्शानुसार ही ली जाएं।

 

डॉक्टर विनय कुडियाल।— प्रभारी चिकित्साधिकारी राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय एस.पी.एस हॉस्पिटल , ऋषिकेश



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