किताब ’संगीत बंगाल से बॉलीवुड’ का हुआ विमोचन
बॉलीवुड फिल्मी सदाबहार गानों में बांग्ला संगीत के प्रभाव की सुंदरता को वर्णित करती है डाॅ संगीता चौधरी की किताब
चंडीगढ़ : शास्त्रीय संगीत गायिका व लेखिका डाॅ संगीता चौधरी लाहा का नई किताब ’संगीत बंगाल से बॉलीवुड’ का विमोचन रविवार को पंजाब कला भवन, सेक्टर 16 में किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर आचार्यकुल चंडीगढ़ अध्यक्ष व लेखक केके शारदा ने शिरकत की। इस दौरान उनके साथ विशेष अतिथि के तौर पर वरिष्ठ साहित्यकार प्रेम विज, वरिष्ठ लेखक दीपक चनारथल, साहित्यकार डाॅ विनोद कुमार शर्मा, आकाशवाणी चंडीगढ़ से सर्वप्रिय निर्मोही, बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ अनीस गर्ग, और किताब की लेखिका डाॅ संगीता चौधरी लाहा उपस्थित थी । कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवल कर किया गया। जिसके बाद डाॅ संगीता चौधरी लाहा के विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की, जिसे सभी ने सराहा। गणमान्य व्यक्तियों द्वारा लेखिका डाॅ संगीता चौधरी की किताब का विमोचन किया गया जिसके उपरांत किताब पर चर्चा की गई।
डाॅ संगीता ने किताब पर चर्चा करते हुए बताया कि पश्चिम बंगाल भारत में सबसे जीवंत और विविध संगीत संस्कृतियों में से एक है, जहां कई गायकों और संगीत निर्देशकों ने हिंदी फिल्मों में अपनी पहचान बनाई है। बांग्ला गाने पूरे भारत में बहुत पसंद किए जाते हैं, खासकर हिंदी फिल्मी गानों के लिए। के सी. डे, पंकज मलिक, तिमिर बरन और अनिल विश्वास जैसे पुराने कलाकारों ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विश्व कवि और संगीतकार रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा रचित गीत, जिसे रविंद्र संगीत के नाम से जाना जाता है, ने कई लोकप्रिय हिंदी फिल्मी गीतों के लिए प्रेरणा का काम किया है। हम सभी बहुत सारे लोकप्रिय और सदाबहार नए और पुराने हिंदी गाने सुनते आ रहे हैं, उनका प्रभाव बंगाल संगीत से ही है। इस दौरान उन्होंने कुछ गानों को गाकर भी सुनाया।
उन्होंने कहा कि यह पुस्तक अपने माता पिता स्वर्गीय मंजू चौधरी व पिता स्वर्गीय निर्मलेंदु चौधरी को समर्पित की हैं। पुस्तक के संपादन के लिए अशोक अग्रवाल और डॉ अनिता सुरभि का हार्दिक आभार प्रकट करती हैं। डॉ संगीता ने बताया कि उनके पति डॉ सुप्रभात लाहा ने उन्हें इस पुस्तक को पूरा करने में पूरा सहयोग दिया है।
वरिष्ठ साहित्यकार प्रेम विज ने पुस्तक पर चर्चा करते हुए कहा कि डाॅ संगीता की नवीनतम पुस्तक संगीत बंगाल से बॉलीवुड में संगीत के साथ साथ संगीतकारों के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। हिंदी फिल्मी नये व पूराने किसी न किसी रूप से बंगाल संगीत से प्रभावित हैं। यह पुस्तक संगीत के शोध छात्रों व प्रेमियों के लिए बहुत सहायक सिद्ध होंगी।
वहीं सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ विनोद शर्मा ने कहा कि डॉ संगीता की पुस्तक बंगाल से बॉलीवुड ज्ञान का भंडार है। इसमें दी गई गानों की पंक्तियां, कार्यकाल, गायकों, गीतकारों और संगीतज्ञों की शैली की विस्तृत जानकारी मुहैया करवाती है। उन्होंने कहा कि पुस्तक की भाषा आम बोलचाल की भाषा है। जिसे साधारण पाठक भी इसे आसानी से समझ सकता है। शिक्षा के क्षेत्र के महत्व से देखा जाए तो यकीनन यह पुस्तक संगीत के विषय में अध्ययन कर विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए कारगर सिद्ध होगी। समाज सेवी केके शारदा ने इस अवसर पर कहा कि किताब में लेखन की शैली पाठकों में एकाग्रता को बढाती है। डाॅ संगीता का यह प्रयास यह पाठकों के बीच उत्सुकता का चिन्हित करती है।
डाॅ संगीता इस पुस्तक से पूर्व 7 किताबें लिख चुकी हैं जिनमें काजी नजरूल इस्लाम द्वारा रचित गीतों का अवलोकन, नजरूल गीती, बंगाल का लोक संगीत (एक परिचय), काजी नजरूल इस्लाम के नवराग, रविन्द्रनाथ टैगोर एंड काजी नजरूल इस्लाम इन सेम ऐरा(इंग्लिश), युगप्रवर्तक, बंगाल का संगीत एवं संगीतज्ञ किताब है, जिन्हें पाठकों ने सराहा हैं।इस अवसर पर डॉ संगीता के संगीत शिष्यों ने पुस्तक के कुछ अंश संगीत रूप में प्रस्तुत किये जिनमें अलियाना कौशल, रिहाना कौशल, अंजली सूरी, ममता गोयल, सुनीता गोयल, राजकुमार बतिश, मोना शर्मा, रघुवंश कौशल, पवन कुमार शर्मा शामिल थे। मंच का संचालन अंजली सूरी और ममता गोयल ने बखूबी किया।