logo
Latest

प्रसिद्ध जगरी महेशानंद थपलियाल का निधन


पौडी : अपने कंठ के मधुर स्वरों से आदेश त्यारा गुरु कु आदेश, सच्चा कू स्वोर्ग अर झूठा कू नर्क, चाली कू देवता बेचाली कू भूत, सच्चू व्हेली तां हरी कू हरिद्वार बद्री केदार मां रैली, झूठू व्हेली तां नौ कुंडी नर्क मा जैली, आदेश गौरी का गणेश कू आदेश, आदेश पंचनाम देवताओं कू आदेश, आदेश बद्री केदार कू आदेश, आदेश भूमि को भूमियांल कू आदेश, बोलते हुए डौंर की थाप और थाली की छनछांट पर देवी देवताओं का अवतरण करवाने वाले ग्राम धोबी घाट, (सबली गढ़) पौड़ी गढ़वाल के निवासी जागर के महा विद्वान जगरी पंडित महेशानंद थपलियाल का निधन 14.5.2024 को हो गया। वे 73 वर्ष के थे । इस दुःखद क्षणों में हजारों की तादाद में क्षेत्रवासियों ने उन्हें अश्रुपूर्ण विदाई दी।

समाजसेवी एवं विभिन्न संस्थाओं की मीडिया प्रभारी अजित सिंह रावत ने बताया कि महेशानंद हमारे पूरे क्षेत्र की एक महान हस्ती थे जिन्होंने अपने बचपन से ही कड़ी मेहनत एवं अथक संघर्षों के दम पर उत्तराखंड की एक प्राचीन संस्कृति जागर कला को अपने अंदर समेट कर उसकी खूबसूरती और महत्वता को पूरे क्षेत्र में जगह-जगह प्रचलित करते हुए महानता हासिल की उनकी जागर विद्या पूरे क्षेत्र में इतनी मशहूर थी कि आम जनमानस के साथ-साथ वह क्षेत्र के देवी-देवताओं के गुरु कहलाते थे उनके जाने से हमें मात्र एक उस महान गुरु की ही क्षति नहीं हुई है बल्कि एक उस युग की भी क्षति हुई है जिसमें उन जैसे महान लोगों ने जन्म लिया और अपनी संस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने के लिए शहरों की चकाचौंध को छोड़कर पहाड़ों की कठिन जीवन शैली में जीवन व्यतीत करते हुए अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोकर रखा और अब आने वाले भविष्य में ऐसे देवताओं के गुरु कभी दोबारा देखने को नहीं मिलेंगे। क्योंकि आजकल की पीढ़ी में वह सहनशक्ति और समर्थता नहीं है जो इस प्रकार की जटिल एवं कठिन जागर विद्या या अन्य किसी सांस्कृतिक धरोहर को संजोकर ग्रहण कर सके।

 

TAGS: No tags found

Video Ad

Ads


Top