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रोजगार को नियमित करने के मामले में सरकारी कॉलेज में गेस्ट फेकल्टी जताया रोष


डेरबस्सी (दयानंद) सरकारी कॉलेजों में अतिथि संकाय सहायक प्रोफेसरों की नौकरियां खतरे में है। उनका आरोप है कि पंजाब सरकार पिछले लंबे समय से सरकारी कॉलेजों में सेवाएं दे रहे गेस्ट फैकल्टी सहायक प्रोफेसरों की सुध नहीं ले रही है, जिसके चलते गेस्ट प्रोफेसर संघर्ष तेज करने की तैयारी में हैं। इसी के चलते गेस्ट फैकल्टी संयुक्त मोर्चा सरकारी कॉलेज पंजाब के चक्का जाम के ऐलान का सरकारी कॉलेज डेराबस्सी के सभी गेस्ट फैकल्टी सदस्यों ने समर्थन किया और घोषणा की कि वे 08 फरवरी को पूरे जोश और उत्साह के साथ विरोध प्रदर्शन में भाग लेंगे।गेस्ट फैकल्टी यूनाइटेड फ्रंट गवर्नमेंट कॉलेज पंजाब के नेता डॉ. रविन्द्र सिंह, प्रो. गुरसेव सिंह, प्रो. गुरजीत सिंह, डा. परमजीत सिंह और प्रो. मोहम्मद तनवीर ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग ने उनके पदों को रिक्त घोषित कर दिया है, जबकि वे कई वर्षों से स्वीकृत पदों पर छात्रों को पढ़ाने के साथ-साथ अनेक शैक्षणिक एवं प्रशासनिक जिम्मेदारियों का निर्वहन पूरी लगन से कर रहे हैं। इस दौरान सरकारी कॉलेज डेराबस्सी के गेस्ट फैकल्टी प्रोफेसर रविंदर सिंह, हरविंदर कौर, गुरप्रीत कौर, बोमिंदर कौर, नैंसी, मनप्रीत कौर, बलजिंदर सिंह, गुरमीत सिंह, सुषमा, श्वेता खरबंदा, किरणप्रीत कौर मौजूद रहे।


फ्रंट नेताओं ने कहा कि अतिथि शिक्षक उस समय से सरकारी कॉलेजों में सेवाएं दे रहे हैं, जब उनके अल्प वेतन के कारण किसी ने इन कॉलेजों की ओर ध्यान नहीं दिया था। उन्होंने कहा कि कई अतिथि संकाय सहायक प्रोफेसर भी सरकारी नौकरियों के लिए आयु सीमा पार कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि साढ़े तीन महीने पहले फ्रंट के प्रतिनिधिमंडल की जनरल सचिवालय चंडीगढ़ में पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस के साथ हुई बैठक में उन्होंने वादा किया था कि गेस्ट फैकल्टी असिस्टेंट प्रोफेसरों की नौकरी को नियमित करने के लिए जल्द ही नीति बनाई जाएगी, लेकिन यह वादा अभी तक पूरा नहीं हुआ है।उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान का यह दावा कि वह किसी का चूल्हा नहीं बुझने देंगे, को अमल में लाया जाना चाहिए तथा उनकी नौकरियां सुरक्षित की जानी चाहिए तथा सरकारी खजाने से उन्हें नए वेतनमान प्रदान किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि 795 गेस्ट फैकल्टी असिस्टेंट प्रोफेसर हताशा की स्थिति में हैं, जिसके चलते वे 8 फरवरी को उच्च शिक्षा मंत्री के गांव गंभीरपुर में धरना देने को मजबूर हैं, ताकि सरकार तक हमारी आवाज पहुंच सके।

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