हार्ड हार्ट आर्टरी ब्लॉकेज को रोटाब्लेशन से सफल रिमूव किया गया
बठिंडा: हार्ट की मुख्य धमनियों में से एक, लेफ्ट सर्कमफ्लेक्स आर्टरी में हार्ड हार्ट ब्लॉकेज को कृष्णा अस्पताल पार्क ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, बठिंडा में रोटाब्लेशन से सफल रिमूव किया गया।
गुरुवार को कृष्णा अस्पताल पार्क ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, बठिंडा में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कार्डियोवैस्कुलर साइंस के सीनियर डायरेक्टर डॉ.रोहित मोदी ने बताया कहा कि यह आर्टरी, हार्ट के पिछले हिस्से और बगल में रक्त पहुँचाती है। इस मामले में, अवरोध बहुत ज़्यादा कैल्सीफाइड था, यानी समय के साथ कैल्शियम जमा होने के कारण यह पत्थर जैसा सख्त हो गया था।
डॉ. मोदी ने कहा कि, एक सामान्य एंजियोप्लास्टी में, हम अवरुद्ध आर्टरी में एक छोटा तार डालते हैं, फिर उसे खोलने के लिए एक गुब्बारे का इस्तेमाल करते हैं और उसे खुला रखने के लिए एक स्टेंट लगाते हैं। लेकिन जब ब्लॉकेज बहुत कड़ा होता है, तो गुब्बारा और स्टेंट दोनों ही उसमें से नहीं निकल पाते। इसे अनक्रॉसेबल लेज़न कहा जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि इससे निपटने के लिए, हमने रोटाब्लेटर नामक एक विशेष उपकरण का इस्तेमाल किया, इस प्रक्रिया को रोटेशनल एथेरेक्टॉमी या बस “रोटा” कहा जाता है। इस उपकरण में एक छोटी, हीरे की नोक वाली ड्रिल लगी है जो बहुत तेज़ गति प्रति मिनट 150,000 से ज़्यादा चक्कर से घूमती है यह कठोर कैल्शियम को धीरे-धीरे सूक्ष्म कणों में पीसती है, जिससे हम रुकावट को खोल पाते हैं और गुब्बारे व स्टेंट के लिए जगह बना पाते हैं।
हमने कैल्शियम को सफलतापूर्वक छेद कर उसमें स्टेंट लगा दिया जिससे रक्त प्रवाह पूरी तरह से बहाल हो गया।
डॉ. मोदी ने बताया कहा कि इन उन्नत उपकरणों ने जटिल हृदय अवरोधों के उपचार में क्रांति ला दी है, जिससे उन मरीज़ों की जान बचाने और बड़े दिल के दौरे को रोकने में मदद मिली है, जिन्हें अन्यथा ओपन-हार्ट सर्जरी की आवश्यकता होती या जिनका इलाज नहीं हो पाता।