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हरियाणा बनाओ अभियान प्रदेश के सभी नवनिर्वाचित सांसदों को नई राजधानी और अलग उच्च न्यायालय के बारे में मांग पत्र सौंपेंगे


चण्डीगढ़ : आज हरियाणा बनाओ अभियान की बैठक में प्रदेश की नई राजधानी और अलग उच्च न्यायालय के लिए हरियाणा के सभी नवनिर्वाचित सांसदों को प्रतिनिधित्व प्रस्तुत करने का निर्णय लिया गया। संसरहा के संयोजक रणधीर सिंह बधरान ने बताया कि लंबे समय से हरियाणा बनाओ अभियान के तहत नई राजधानी और अलग हाई कोर्ट की मांग उठ रही है। इससे पहले भी हरियाणा बनाओ अभियान की मांग सभी सांसदों, मुख्यमंत्री, हरियाणा के साथ-साथ प्रधानमंत्री को भी भेजी थी। अब चुनाव संपन्न होने के बाद संस्था की लंबित मांग को पूरा करने के अभियान को गति दी जाएगी। 21 जून को राज्य स्तरीय बैठक में हरियाणा में जन अभियान के लिए आगे की रणनीति तय की जाएगी। पंजाब और हरियाणा तथा चंडीगढ़ के संयुक्त उच्च न्यायालय के कारण हरियाणा के लोगों को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बैठक में प्रदेश के निवासियों को त्वरित न्याय के लिए हरियाणा की नई राजधानी और अलग उच्च न्यायालय के महत्व पर प्रकाश डाला।

चर्चा के दौरान हरियाणा बनाओ अभियान के सह संयोजक यशपाल सिंह राणा, एडवोकेट, सुरेंद्र कुमार बैरागी, पूर्व अध्यक्ष हरियाणा सरकार अधिवक्ता संघ, अधिवक्ता गोपाल गोयत बीबीपुर, रविकांत सैन एडवोकेट, भारत भूषण बाल्मीकि, एडवोकेट और रितेश गुर्जर एडवोकेट शामिल हुए। उन्होंने बताया कि आज हरियाणा में सबसे गंभीर समस्या बेरोजगारी है। निराश युवा नशे और अपराध का शिकार हो रहे हैं, आत्महत्या कर रहे हैं या अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरे देशों की ओर पलायन कर रहे हैं। इसके लिए रोजगार के नए अवसर तलाशने और पैदा करने होंगे जिसमें राज्य की नई राजधानी का निर्माण इस समस्या के समाधान में अहम भूमिका निभाएगा। उचित स्थान पर आधुनिक राजधानी के निर्माण से राज्य के अविकसित क्षेत्रों के विकास को नई गति मिलेगी। मंच के वकील हरियाणा और पंजाब की अलग बार की भी मांग कर रहे हैं और अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए हरियाणा के वार्षिक बजट में बड़े प्रावधान करने और हरियाणा की अलग बार काउंसिल के माध्यम से अधिवक्ता कल्याण निधि अधिनियम के तहत अधिवक्ताओं को सेवानिवृत्ति लाभ लागू करने की भी मांग कर रहे हैं। चूँकि कई अन्य राज्यों ने पहले ही अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए राज्य सरकारों के वार्षिक बजट में बजटीय प्रावधान कर दिए हैं। अधिवक्ता अधिनियम के तहत अलग बार काउंसिल के निर्माण के लिए हरियाणा में अलग उच्च न्यायालय का निर्माण जरूरी है। रिकॉर्ड के अनुसार हरियाणा के 14,25,047 से अधिक मामले हरियाणा के जिलों और अधीनस्थ न्यायालयों के समक्ष लंबित हैं और 6,19,2,192 से अधिक मामले उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं और लाखों मामले अन्य आयोगों, न्यायाधिकरणों और अन्य प्राधिकरणों के समक्ष लंबित हैं। अनुमान है कि हरियाणा के 45 लाख से अधिक लोग मुकदमेबाजी में शामिल हैं और अधिकांश वादकारी मामलों के निपटारे में देरी के कारण प्रभावित होते हैं। त्वरित निर्णय के मुद्दे हरियाणा के वादकारियों और अधिवक्ताओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।

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