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पराली प्रबंधन के क्षेत्र में जागरूकता फैलाने की जरूरत


चंडीगढ़। पराली प्रबंधन के क्षेत्र में अधिक जागरूकता फैलाने के साथ-साथ किसानों के लिए सस्ते व सरल प्रबंधनों को भी विकसित करना समय की मांग है। यह विचार पीएचडी चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा चंडीगढ़ में पराली प्रबंधन फोरम, पंजाब के सहयोग से पराली प्रबंधन समाधानों पर आयोजित कॉन्फ्रेंस के दौरान सामने आए।
चर्चा के आयोजन का मुख्य एजेंडा पर्यावरण की सुरक्षा, मिट्टी के पोषक तत्वों के संरक्षण और कृषि के क्षेत्र में दीर्घकालिक लाभों के लिए पंजाब के लिए एक बड़ी चिंता, पराली जलाने के सुझावों और समाधानों पर विचार करना था। इस अवसर पर पीएचडीसीसीआई की क्षेत्रीय निदेशक भारती सूद ने पराली जलाने की दीर्घकालिक चुनौती पर चर्चा की शुरुआत करते हुए इस मुद्दे को हल करने के लिए अभिनव समाधानों की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया।


इस अवसर पर विशेष रूप से पहुुंचे पंजाब कृषि विभाग के पूर्व सचिव एवं सेवानिवृत्त आईएएस केएस पन्नू ने कहा कि स्थायी पराली प्रबंधन को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को दो लाख से अधिक मशीनें वितरित की गई हैं। उन्होंने पराली जलाने की समस्या के समाधान के लिए ‘स्वामित्व होल्डिंग’ और ‘ऑपरेशनल होल्डिंग’ की अपनी परिकल्पना पेश की। पन्नू ने पराली जलाने के पीछे के सामाजिक-आर्थिक कारणों को समझने के लिए अध्ययन करने, पंजाब में जल संरक्षण तकनीकों को बढ़ावा देने की वकालत की।
इस अवसर पर पीएचडीसीसीआई पंजाब चेप्टर के अध्यक्ष करण गिल्होत्रा ने कहा कि यह पराली जलाने से पर्यावरण को तो नुकसान होता ही है बल्कि मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्व भी कम होते हैं। जिससे फसलों को बनाए रखने की इसकी क्षमता कम हो जाती है। उन्होंने इस प्रथा को खत्म करने और कृषि स्थिरता की रक्षा के लिए उचित प्रौद्योगिकियों को अपनाने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया।

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