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एनएसडीसी ने युवाओं को सेमीकंडक्टर एवं एनर्जी में उद्योग जगत के अनुसार कौशल प्रदान करने के लिए पीडीईयू के साथ की साझेदारी


चंडीगढ़ : राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) ने कौशल विकास हेतु आधुनिक सेंटर ऑफ एक्सीलेन्स के लॉन्च के लिए अग्रणी राज्य स्तरीय स्वायत्त टेकनिकल युनिवर्सिटी- पंडित दीनदयाल युनिवर्सिटी (पीडीईयू) के साथ साझेदारी की है। दोनों संगठनों ने नई दिल्ली में आयोजित स्टार्ट-अप महाकुंभ के दौरान समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस साझेदारी का उद्देश्य युवाओं को एनर्जी, हेल्थ, वॉटर एवं फूड (ऊर्जा, स्वास्थ्य, जल एवं भोजन) जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मैनुफैक्चरिंग में व्यवहारिक कौशल प्रदान करना है।

यह सेंटर ऑफ एक्सीलेन्स उभरती तकनीकों जैसे वीएलएसआई डिज़ाइन, रोबोटिक्स, आर्टीफिशियल इंटेलीजेन्स, मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, डेटा साइंस, क्लाउड कम्प्युटिंग, साइबर सिक्योरिटी, स्मार्ट मैनुफैक्चरिंग, ब्लॉकचेन आदि में विशेष प्रशिक्षण प्रदान करेगा। आईटीआई, डिप्लोमा, अंडरग्रेजुएट एवं पोस्टग्रेजुएट प्रोग्रामों में छात्रों के लिए 40 से अधिक ऑनलाईन एवं हाइब्रिड कोर्सेज़ डिज़ाइन किए गए हैं, ऐसे में यह साझेदारी मुख्यधारा शिक्षा में कौशल विकास एवं व्यवसायिक प्रशिक्षण को शामिल कर कौशल भारत मिशन, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

इस अवसर पर श्री वेद मणि तिवारी, सीईओ, एनएसडीसी एवं एमडी, एनएसडीसी इंटरनेशनल ने कहा, ‘‘हमने एनर्जी सेक्टर में कौशल प्रणाली को सशक्त बनाने के लिए आज स्टार्टअप महाकुंभ के दौरान पंडित दीनदयाल एनर्जी युनिवर्सिटी के साथ साझेदारी की है। यह साझेदारी स्मार्ट मैनुफैक्चरिंग में प्रशिक्षण के लिए सहयोग प्रदान करेगी, इसके तहत सेंटर ऑफ एक्सीलेन्स, ऑटोमोटिव, ईवी चार्जिंग, नवीकरणीय उर्जा एवं सेमीकंडक्टर्स जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करेगा। सेमीकंडक्टर डोमेन में प्रशिक्षण पहले से जारी है, जो युवाओं को ऐसे क्षेत्रों में व्यवहारिक अनुभव प्रदान करेगा, जिनकी मांग आने वाले समय में बहुत अधिक बढ़ने वाली है।’

 

डॉ एस सुंदर मनोहरन, महानिदेशक, पंडित दीनदयाल एनर्जी युनिवर्सिटी ने कहा, ‘‘श्री वेद मणि तिवारी के नेतृत्व में एनएसडीसी के साथ साझेदारी करते हुए हमें बेहद खुशी का अनुभव हो रहा है। उनके सहयोग से पीडीईयू आधुनिक कौशल प्रशिक्षण के लिए अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर में बदलाव लाई है, जहां खास तौर पर नवीकरणीय उर्जा एवं सेमीकंडक्टर्स में प्रशिक्षण दिया जाएगा। गौरतलब है कि इन क्षेत्रों में मांग तेज़ी से बढ़ रही है। हमारा नया लॉन्च किया गया एटीएमपी सेमीकंडक्टर पैकेजिंग सेंटर छात्रों को बैक-एंड पैकेजिंग, एनकैप्सुलेशन एवं अन्य महत्वपूर्ण कौशल में प्रशिक्षण प्रदान करेगा तथा उन्हें उद्योग जगत की ज़रूरतों के अनुसार तैयार करेगा।’

पीडीईयू 2007 में अपनी शुरूआत के बाद से ही ऊर्जा शिक्षा एवं कौशल विकास में अग्रणी रही है। युनिवर्सिटी ने अपने कैंपस में 45 मेगावॉट सोलर पीवी मैनुफैक्चरिंग लाईन एवं एटीएमपी सेमीकंडक्टर पैकजिंग लाईन स्थापित कर छात्रों को सशक्त बनाया है। ये युनिट्स नवीकरणीय उर्जा तकनीकों जैसे सोलर एवं विंड एनर्जी, लिथियम एवं वैनेडियम एनर्जी स्टोरेज सिस्टम, कार्बन कैप्चर सोल्युशन्स और स्मार्ट हाइब्रिड ग्रिड्स में इनोवेशन को बढ़ावा देकर अकादमिक और उद्योग जगत के बीच के अंतर को दूर करती हैं।

‘यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है- जहां उद्योग जगत मैनुफैक्चरिंग में कौशल प्रदान करने में मुख्य भूमिका निभा रहा है। पहली बार, 225 घण्टे तक की व्यवहारिक लर्निंग को नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क के ज़रिए एकेडमिक क्रेडिट्स में शामिल किया गया है। इस प्रभावशाली एजुकेशन मॉडल के निर्माण में एनएसडीसी का मार्गदर्शन और सहयोग हमारे लिए बहुत अधिक मायने रखता है।’ डॉ मनोहरन ने कहा।

इस साझेदारी के तहत युनिवर्सिटी अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर में सेंटर ऑफ एक्सीलेन्स की आधुनिक मैनुफैक्चरिंग क्षमता को शामिल करेगी। यह सेंटर देश भर में टियर-1, टियर-2 और टियर-3 संस्थानों के छात्रों को ध्यान में रखते हुए कौशल विकास प्रोग्रामों के लिए हब की भूमिका निभाएगा। यह सतत विकास लक्ष्यों- एसडीजी 4 (गुणवत्तापूर्ण शिक्षा), एसडीजी 7 (किफ़ायती एवं स्वच्छ उर्जा), एसडीजी 13 (जलवायु परिवर्तन) और एसडीजी 17 (लक्ष्यों के लिए साझेदारी) के अनुरूप है।

इस पहल के तहत सुगम संचालन एवं स्थायित्व को सुनिश्चित करने के लिए एक सेक्शन 8 कंपनी की स्थापना भी की जाएगी। पीडीईयू और एनएसडीसी ट्रस्ट के संयुक्त स्वामित्व में यह संस्था सेंटर ऑफ एक्सीलेन्स की गतिविधियों का प्रबन्धन करेगी, जिसके लिए कोर्स के शुल्क के माध्यम से स्वतन्त्र राजस्व उत्पन्न होगा। यह पहल छात्रों को निर्माण प्रक्रियाओं के लिए तैयार कर तथा मुख्य उद्योगों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देकर ‘मेक इन इंडिया’ एवं ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे राष्ट्रीय प्रयासों को भी समर्थन प्रदान करेगी।

सेंटर ऑफ एक्सीलेन्स भारत में कुशल मैनपावर की बढ़ती मांग को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, एक अनुमान के मुताबिक 2030 तक देश में कार्यशील आयुवर्ग की आबादी सबसे अधिक होगी। ऐसे में यह पहल एनएसडीसी के सर्टिफाईड प्रशिक्षकों के माध्यम से व्यवहारिक प्रशिक्षण प्रदान कर छात्रों की रोज़गार क्षमता बढ़ाएगी और देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देगी।

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