वर्ष 2025 से विनाशकारी आपदाएं अपना तीव्रतम रूप धारण करने लगेंगी : पं. काशीनाथ मिश्र
कलयुग का अंत बेहद समीप है : कल्कि अवतार ही करेंगे मानव जाति का उद्धार
600 वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण के परम सखा सुदामा के अवतार संत अच्युतानंद दास ने भविष्य मालिका शास्त्र में अपनी योग शक्ति के बल पर की थीं भविष्यवाणियां
चण्डीगढ़ : वर्ष 2025 में शनि का जब मीन राशि में चलन होगा, तब विनाशकारी आपदाएं अपना तीव्रतम रूप धारण कर लेंगी। ये कहना है श्री जगन्नाथ पुरी से आए कथा वाचक पंडित काशीनाथ मिश्र का। उन्होंने जाज यहां एक प्रेस वार्ता में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि कलयुग का अंत बेहद समीप है। पंडित काशीनाथ मिश्र ने 600 वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण के परम सखा सुदामा के अवतार संत अच्युतानंद दास द्वारा लिखित भविष्य मालिका शास्त्र का हवाला देते हुए ये दावा किया कि मानवों द्वारा किए जा रहे विभिन्न अनैतिक क्रिया-कलापों के कारण पृथ्वी पर पाप का बोझ बढ़ रहा है, जिससे आने वाले समय में प्राकृतिक एवं मानव निर्मित आपदाएं विकराल हो जाएँगी, जिससे धरती पर प्रलय काल आरम्भ हो जाएगा व असंख्य लोग काल के गाल में समा जायेंगे। उन्होंने कहा कि पुराणों में वर्णनानुसार भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि ही तब मानव जाति का उद्धार करेंगे।
पंडित काशीनाथ मिश्र ने बताया कि उन्होंने कई दशक तक इस पुराण शास्त्र का अध्ययन किया, तब जाकर उन्हें इन सब बातों का ज्ञान हुआ और अब वे इस विषय पर स्थान स्थान पर कथा करके भक्तों को जागरूक कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2032 तक ये प्रलयकारी दौर जारी रहेगा जिसमें विश्व युद्ध, परमाणु बम्ब हमले, 32 प्रकार की महामारियों का प्रकोप जैसी आपद्यों से मानव जाति का सामना होगा और इनसे सिर्फ वही श्रद्धालु बच पाएंगे जो त्रिसंध्या विधि का जाप करेंगे। संत ने बताया कि आज लोग इन बातों पर अविश्वास प्रकट कर उनसे नाराज होतें हैं या उपहास उड़ाते हैं, परन्तु जल्द ही ये सब कुछ प्रत्यक्ष होगा। पंडित काशीनाथ मिश्र ने कहा कि अच्युतानंद दास संत ने अपनी योग शक्ति के बल पर ये सारी भविष्यवाणियां की थीं।
उल्लेखनीय है कि सेक्टर 37 स्थित श्री सनातन धर्म मंदिर में विश्व सनातन धर्म, खंड गिरी, श्री महारत्नपुर मंडल, भुवनेश्वर द्वारा आयोजित की जा रही 600 वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण के परम सखा सुदामा के अवतार संत अच्युतानंद दास द्वारा लिखित भविष्य मालिका शास्त्र पर चर्चा में पंडित काशीनाथ मिश्र कथाव्यास हैं।