संस्कृत सप्ताह 6 से 12 अगस्त तक: उत्तराखंड में विशेष आयोजन की तैयारियाँ तेज़
संस्कृत दिवस 9 अगस्त को, गुरुकुलों और विद्यालयों में होंगे विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम।
आशीष लखेड़ा/उत्तराखंड लाइव: इस वर्ष 6 से 12 अगस्त तक पूरे भारत में संस्कृत सप्ताह मनाया जाएगा, जिसमें संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
संस्कृत दिवस 9 अगस्त, यानी श्रावणी पूर्णिमा के दिन मनाया जाएगा। उत्तराखंड में इसे लेकर विशेष तैयारियाँ की जा रही हैं, जहाँ संस्कृत को द्वितीय राजभाषा का गौरव प्राप्त है। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य संस्कृत भाषा के प्रति जन-जागृति फैलाना और इसे शिक्षा व संस्कृति से पुनः जोड़ना है।
उत्तराखंड में उत्सव का माहौल: संस्कृत सप्ताह को लेकर बनी विशेष योजना।
उत्तराखंड संस्कृत विद्यालय शिक्षक एवं कर्मचारी संगठन के प्रदेश महामंत्री डॉ. जनार्दन प्रसाद कैरवान ने बताया कि पूरे देश की तरह उत्तराखंड में भी संस्कृत सप्ताह को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।
प्रदेश के गुरुकुलों, विद्यालयों और संस्कृत संस्थानों में इस दौरान श्लोक पाठ, नाट्य मंचन, संस्कृत संवाद प्रतियोगिता, लेखन-वाचन, भाषण, गीत-गायन, एवं धार्मिक अनुष्ठान जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
संस्कृत को जन-जन तक पहुंचाने के लिए इसे एक जनजागरण अभियान के रूप में चलाया जाएगा।
📚 क्यों मनाया जाता है संस्कृत दिवस?
श्रावणी पूर्णिमा, जिसे रक्षाबंधन के रूप में भी जाना जाता है, संस्कृत दिवस के आयोजन के लिए इसलिए चुनी गई क्योंकि प्राचीन भारत में इसी दिन से वेदपाठ और शिक्षण सत्र की शुरुआत होती थी।
संस्कृत को ‘देवभाषा’ माना गया है, और यह वेद, उपनिषद, पुराण और धार्मिक ग्रंथों की मूल भाषा रही है।
समय के साथ संस्कृत भाषा का प्रयोग सीमित होता गया, और जनमानस में इसकी उपस्थिति कम होती गई।
इसलिए संस्कृत दिवस और सप्ताह का आयोजन कर लोगों को इसकी महत्ता और आवश्यकता का पुनः स्मरण कराया जाता है, जिससे यह भाषा जीवंत बनी रहे।
🗓️ कब हुई थी शुरुआत?
भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने वर्ष 1969 में संस्कृत दिवस को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी थी।
तब से श्रावणी पूर्णिमा के दिन इसे हर वर्ष मनाया जाता है।
वर्तमान में केवल एक दिन नहीं, बल्कि संस्कृत सप्ताह और संस्कृत मास के रूप में भी आयोजन किए जाते हैं — जो कि संस्कृत के पुनरुत्थान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
🕉️ ऋषियों को समर्पित: संस्कृत दिवस का आध्यात्मिक पक्ष।
श्रावणी पूर्णिमा को ऋषि पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन ऋषियों का स्मरण और पूजन कर उनके ज्ञान और योगदान को नमन किया जाता है।
ऋषिगण ही संस्कृत साहित्य के मूल स्रोत माने जाते हैं।
अतः यह दिवस न केवल एक भाषा का उत्सव है, बल्कि भारतीय संस्कृति, ज्ञान परंपरा और आध्यात्मिक विरासत के पुनः स्मरण का प्रतीक है।