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पीटीएसडी के लक्षणों से निपटने में मनोचिकित्सा की भूमिका महत्वपूर्ण


निशुल्क पीटीएसडी शिविर में 30 लोगों ने लाभ उठाया

डोईवाला। हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट की ओर से आज अंतर्राष्ट्रीय पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) जागरूकता दिवस के अवसर पर निशुल्क स्वास्थ्य सहायता शिविर मंे 30 लोगों ने लाभ उठाया। इस अवसर पर विभाग की ओर से लोगों को जागरूक करने को लेकर अभियान चलाया गया।


गुरुवार को नैदानिक मनोविज्ञान विभाग की ओर से आयोजित निशुल्क स्वास्थ्य सहायता शिविर में पहुंचे लोगों को संबोधित करते हुए विभागध्यक्ष डॉ. मालिनी श्रीवास्तव ने कहा कि पीटीएसडी एक मानसिक स्वास्थ्य विकार है। जो कुछ लोगों में किसी दर्दनाक घटना का अनुभव करने या देखने के बाद विकसित होता है। यह दर्दनाक घटना जीवन के लिए ख़तरा हो सकती है, जैसे कि युद्ध, प्राकृतिक आपदा, कार दुर्घटना या यौन उत्पीड़न। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में आयी जल प्रलय की घटना के एक वर्ष के पश्चात हिमालयन अस्पताल के नैदानिक मनोविज्ञान विभाग के सुनयोजित वैज्ञानिक शोध में यह पाया गया की बादल फटने के फलस्वरुप आयी आकस्मिक बाढ़ का असर न केवल जन धन की हानि के रूप में हुआ था बल्कि इस त्रासदी की मार झेल रहे लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ा था। इसी तरह कोविड के दौरान भी लोगों की मानसिक स्थिति पर प्रभाव पड़ा था। लोगों को बेहतर मानसिक स्वास्थ्य की ओर ले जाने के लिए इस शिविर का आयोजन किया गया। सहायक प्रोफेसर महजबीन ने पीटीएसडी के लक्षणों से निपटने में मनोचिकित्सा की भूमिका पर जोर दिया। पीटीएसडी के लक्षणों से पीड़ित कई लोग इस मिथक के कारण मनोवैज्ञानिक सहायता के लिए नहीं जाते हैं कि दर्दनाक घटनाओं के बारे में बात करने से उन्हें फिर से आघात पहुंचेगा। हमें जागरूकता फैलाकर इन मिथकों पर अंकुश लगाने की जरूरत है। डॉ. कंचन डोभाल ने कहा कि कुछ मामलों में यह 30 साल तक भी बना रहता है। तब तक यह पीटीएसडी से पीड़ित व्यक्ति के जीवन के सभी क्षेत्रों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है। इस दौरा पीटीएसडी से पीड़ित लोगों ने अपनी स्थिति के बारे में बात की। इस अवसर पर विभाग की तरफ से दिव्यांशु , शिवानी, वान्या , प्रिंसेस , लक्ष्मी, आरुषि, गरिमा एवं डॉ, राशि ने मरीजों को उन के द्वारा बताये गए सदमों से उबरने के लिए मनोविज्ञानिक सलाह प्रदान की।

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