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रावण ने नारायण अवतार का पता लगने पर भी बढ़ाया वैरभाव, किया सीताहरण


डेराबस्सी (दयानंद /शिवम) डेराबस्सी शहर की सबसे पुरानी श्री रामलीला कमेटी 812 द्वारा गुलाबगढ़ रोड पर हो रहे मंचन के छठे दिन सीता हरण तक मंचन पेश किया गया जिसमें रावण के किरदार में मनोज राजपूत नजर आए। कमेटी के प्रधान रविंद्र वैष्णव ने बताया कि रामलीला कमेटी के सदस्य 7 साल बाद खुद के कलाकारों के साथ श्री रामलीला मंचन खुद कर रहे हैं और उनकी कलाकारी को दर्शकों का अपार रिस्पांस मिल रहा है।

उन्होंने बताया की 12 अक्टूबर को दोपहर शहर में विजयदशमी शोभायात्रा निकल जाएगी और अशोक वाटिका मैदान में रंगारंग कार्यक्रम के बाद रावण दहन किया जाएगा। रामलीला के आयोजन में विधि का विधान देखिए कि विद्वान, तपस्वी और महान योद्धा होने के बावजूद रावण का अहंकार ही उसके विनाश का कारण बनने लगता है। वेदवती ने भस्म होकर सीता के रूप में अवतार लिया जो रावण के विनाश का अगले जन्म में कारण बनी। पता रावण को भी चल गया था जब उसके दो वीर खर और दूषण राम लक्ष्मण के हाथों मारे गए थे। तभी तो रावण ने कहा, खर दूषण मुझे बलवंता, मर नहीं सकते बिन भगवंता,… जब एक अकेली ताकत ने इन सब वीरों को मार दिया, तो निश्चय ही ये सिद्ध हुआ, नारायण ने अवतार लिया। मौत को पहचानते हुए भी रावण ने कहा, निश्चय ही वे अवतारी हैं, तो वैर भाव ही रखूंगा, इस पाप जन्म का बंधन मैं उनके हाथों ही तोडूंगा। उसने मायावी मरीज को धमका कर उसे हिरण रूप में सीता जी के सामने भेजो और जब हिरण पर मोहित सीता ने राम के बाद लखन को भी वहां से भेज दिया तो रावण ने साधु के देश में लक्ष्मण रेखा के कारण बंधी हुई भिक्षा लेने से इनकार कर दिया। जैसे ही सीता लक्ष्मण रेखा लांघी, रावण असली रूप में आ गया और सीता को धोखे हर ले गया।

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