जो भक्त शिव नाम रूपी नौका में सवार हो जाते हैं, वे भवसागर में भिन्न-भिन्न योनियों में नहीं भटकते : आचार्य देशमुख वशिष्ठ
चण्डीगढ़ : भगवान शिव का नाम भवसागर में गोता लगाने का साधन है। ये बात ओम महादेव कांवड़ सेवा दल, चण्डीगढ़ द्वारा सेक्टर 45 मंडी ग्राउंड में करवाई जा रही महाशिवपुराण कथा में प्रसिद्ध कथा वाचक आचार्य देशमुख वशिष्ठ ने कही। उन्होंने कहा कि कितने जन्मों से आप और हम इस भवसागर में गोते खा रहे है। कभी कीड़ा, कभी पक्षी व पशु बने। जिन जीव-जंतुओं को देखकर हमें घृणा आती है, वह भी हम बन बनकर आए हैं। यहां चौरासी लाख योनियों में हमने गोते लगाए हैं, लेकिन कभी हम भवसागर यानि दुनिया से पार नहीं हो पाए। संत-महात्मा कहते हैं यह दुनिया नर्क के समान है तो उसके बाद भी समझ नहीं आता कि इंसान इस दुनिया से निकल कर भगवान के चरणों में जाने का प्रयास क्यों नहीं करते। यदि कोई व्यक्ति एक बार गंदगी में गिर जाएगा, तो वह दोबारा उस गंदगी में नहीं पडना चाहेगा। तो जब एक बार गंदगी में पड़ कर दोबारा नहीं पड़ना चाहते हो तो इस संसार रूपी नरक में बार-बार क्यों कष्ट भोगने के लिए आना चाहते हो? इस संसार सागर को पार करने का जतन एक ही है और वह है महादेव जी का नाम।क्योंकि यह नाम और कुछ नहीं यह नौका के समान है और जो इस नाम रूपी नौका में सवार हो जाते हैं वह भक्त भवसागर में भिन्न-भिन्न योनियों में नहीं भटकते। भवसागर पार करने का नाम सुमिरन ही एकमात्र तरीका है।
कथा सुनने वाले भक्त जनों से पंडाल पूरी तरह भरा था व सभी भक्तजन भगवान महादेव की कथा में लीन थे। उसके बाद शंकर-पार्वती की सुंदर मनमोहक झांकी निकाली गई। आचार्य देशमुख वशिष्ठ ने भोले बाबा का एक भजन…ऐसा डमरू बजाया महादेव ने, सारा कैलाश मगन हो गया गया गाया जिस पर शंकर और पार्वती के स्वरूप में आए कलाकार व भक्तजन खूब झूमे। शाम को आरती में बैठे सैंकड़ों की संख्या में आए श्रद्धालुओं ने अपने-अपने हाथों में दीपक लेकर महादेव की आरती की। लग रहा था मानो आज दिवाली है। पूरा पंडाल दीयों की रोशनी से जगमग हो गया।