डॉ. चंद्र त्रिखा के 80वें जन्मदिवस पर पुस्तक सृजन के शिखर का हुआ लोकार्पण
चण्डीगढ़ : वरिष्ठ साहित्यकार, चिंतक और पत्रकार डॉ. चंद्र त्रिखा के 80वें जन्मदिवस के उपलक्ष्य में शनिवार को पंजाब कला भवन, सेक्टर-16 में एक गरिमामय साहित्यिक समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर ‘सृजन के शिखर – डॉ. चंद्र त्रिखा : वंदन अभिनंदन’ नामक विशेष पुस्तक का लोकार्पण किया गया। विमोचन गीता मनीषी महामण्डलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के करकमलों से संपन्न हुआ, वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर ने समारोह की अध्यक्षता की। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति तथा वर्तमान में हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कार्यकारी उपाध्यक्ष प्रोफेसर कुलदीप चंद अग्निहोत्री इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे।
मुख्य अतिथि महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने इस अवसर पर कहा कि डॉ. त्रिखा जैसे विचारशील लेखक केवल साहित्य ही नहीं रचते, वे समाज की आत्मा को भी जाग्रत करते हैं। उनका जीवन युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। मुख्यमंत्री हरियाणा के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर ने अपने संबोधन में एक नया प्रयोग करते हुए उपस्थित श्रोताओं से कहा कि वे अपने फोन में चैट जीटीपी में जाकर डॉक्टर चंद्र त्रिखा के 80 में जन्मदिन के उपलक्ष में कविता का उल्लेख करे। उन्होंने इस प्रकार प्राप्त कुछ कविताओं का पाठ भी किया। मूर्धन्य समालोचक डॉक्टर लालचंद गुप्त ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. त्रिखा ने पत्रकारिता, लेखन और चिंतन के माध्यम से समाज में सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया है। यह पुस्तक उनका केवल सम्मान नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक धरोहर है। दिल्ली से पधारी आर विमला रेजिडेंट कमिश्नर महाराष्ट्र सदन ने डॉक्टर चंद्र त्रिखा को एक जागरूक पत्रकार सह्रदय कवि तथा नेक दिल इंसान बताया। परिवार की ओर से डॉक्टर स्मृति वशिष्ठ ने बताया कि जिस तरह डॉक्टर त्रिखा जी का लेखन बहुआयामी है इस तरह के परिवार में एक आदर्श पिता आदर्श दादा आदर्श नाना की भूमिका के साथ-साथ एक तटस्थ मार्गदर्शक एवं प्रेरक की भूमिका भी बखूबी निभाते हैं हमें गर्व है कि हम उनके परिवार का हिस्सा बने। वे साहित्य जगत के ही अजात शत्रु नहीं है बल्कि पूरे परिवार की श्रद्धा एवं सम्मान के पात्र भी हैं। उनका परिवार केवल सेतिया परिवार वशिष्ठ परिवार या त्रिखा परिवार तक ही सीमित नहीं है वे पूरे समाज को अपना परिवार समझते हैं और अपने प्रशंसकों एवं चाहने वालों को इसी तरह सम्मान भी देते हैं।
जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार एवं चिंतक ओंकार चौधरी तथा साहित्यकार डॉ शमीम शर्मा ने भी डॉक्टर चंद्र त्रिखा के साथ अपने संस्मरण सांझा करते हुए बताया कि किस तरह से डॉक्टर त्रिखा नवोदित पत्रकारों एवं लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए तैयार रहते हैं। केंद्रीय साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ माधव कौशिक ने कहा कि भारतवर्ष के प्रत्येक प्रदेश में भिन्न-भिन्न भाषाओं के लेखक डॉक्टर चंद्र त्रिखा के विशेष प्रशंसक हैं। कश्मीर से कन्याकुमारी तक सभी भाषाओं के लेखक डॉक्टर चंद्र त्रिखा को बड़े सम्मान के साथ याद करते हैं।
समारोह के दौरान भावविभोर डॉ. चंद्र त्रिखा ने अपनी रचना धर्मिता के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह सम्मान मेरे लिए नहीं, उस विचारधारा के लिए है जिसे मैं जीवन भर जीता रहा। साहित्य मेरी साधना रहा है और समाज मेरा परिवार। इस भव्य आयोजन का संयोजन सुमेधा कटारिया (भा.प्र.से., सेवा निवृत्त) और माधव कौशिक (अध्यक्ष, केंद्रीय साहित्य अकादमी) द्वारा किया गया। समारोह में साहित्य, पत्रकारिता और संस्कृति के अनेक जाने-माने हस्तियों ने भाग लिया और डॉ. त्रिखा को शुभकामनाएं दीं। समारोह के अंत में डॉक्टर अर्चना कटारिया ने हरियाणा के कोने-कोने से पधारे साहित्य प्रेमियों व डॉ. त्रिखा के प्रशंसकों को इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनाकर इसे एक यादगार समारोह बनाने के लिए हृदय तल से आभार व्यक्त किया।