विश्व विख्यात बांसुरी वादक बलजिंदर सिंह बल्लू ने किया कवितावली के अक्टूबर अंक का विमोचन
चण्डीगढ़ : हिंदी भाषा व साहित्य को समृद्ध करने वाली अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका कवितावली के अक्तूबर अंक का ऑनलाइन विमोचन विश्व विख्यात बांसुरी वादक बलजिंदर सिंह बल्लू के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ।उनके साथ विशिष्ठ अतिथि के रूप में इंदौर के तेजिंदर पाल सलूजा उपस्थित रहे। विमोचन के इस अवसर पर ग्रेट ब्रिटेन से मुख्य संपादक सुरेश पुष्पाकर, संयुक्त संपादक कवयित्री संतोष गर्ग, प्रो. अलका कांसरा, जापान से देश प्रमुख सुदेश मोदगिल नूर, सलाहकार समिति से इनु शर्मा, डॉ सुभाष भास्कर, गणेश दत्त बजाज, निर्लेप होरा व कनाडा से प्रसिद्ध गायिका मीता खन्ना, यू एस से वीणा विज भी ऑनलाइन विशेष कर जुड़े रहे। मुख्य अतिथि बलजिंदर सिंह बल्लू ने कहा कि मुझे गिटार बजाने का बहुत शौक था परंतु गिटार बहुत महंगी थी। पैसे की कमी के कारण मैंने बांसुरी बजाना शुरू किया।
उन्होंने अपने प्रिय गीत तेरे मेरे होठों पर मीठे- मीठे गीत मितवा, पंख होते तो उड़ आती रे, हे नील गगन के तले बांसुरी पर सुनाए। संतोष गर्ग ‘तोष’ ने बताया कि श्रोता रूप में पत्रिका में प्रकाशित साहित्यकार मोहाली, पंचकूला, चंडीगढ़ से एसएल धवन, सोमेश गुप्त, डॉ. निर्मल सूद, निधि मलिक, परमिंदर सोनी, रेखा मित्तल, आभा मुकेश साहनी, राजेश भाटिया, नेहा शर्मा, राजन सुदामा, महाराष्ट्र से मंजू अशोक राजा भोज, कपूरथला से डॉ. प्रोमिला अरोड़ा, पलवल से नीलम सिंघल, दिल्ली से डॉ पवन कुमार जैन, ऊना से सुभाष पारस, अमृतसर से रमेश कुमार, जालंधर से प्रो. सरला भारद्वाज ने बल्लू के सूफियाना बांसुरी वादन की भूरि-भूरि प्रशंसा की। विशिष्ट अतिथि तेजिंद्र पाल सलूजा ने कहा कि कवितावली पत्रिका हिंदी भाषा को विश्व स्तर पर पहुंचा रही है, यह एक बहुत बड़ी साहित्य सेवा है। फगवाड़ा से डॉक्टर जवाहर धीर ने मुख्य संपादक सुरेश पुष्पाकर की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने अपने लेखन एवं पत्रकारिता के 50 वर्षों में ऐसी पत्रिका नहीं देखी जैसी कवितावली पत्रिका आपके कुशल संपादन में निकल रही है। आपका संपादन न सिर्फ प्रशंसनीय है अपितु कभी भी न भूलने वाला भी है।