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धाद ने की दस हजार बच्चों के साथ फूलदेई मनाने की शुरुआत


 रूम टू रिड द्वारा तैयार जलवायु परिवर्तन पर बच्चों की किताबों के लोकार्पण के साथ

देहरादून : धाद संस्था द्वारा हर वर्ष की भांति फूलदेई पर प्रदेश के दस हजार बच्चों के साथ माह भर चलने वाले कार्यक्रम की शुरुआत राजपुर रोड स्कूल मे बच्चों की रंग एवं लेखन प्रतियोगिता के साथ-साथ शाम को दून लाइब्रेरी मे संस्था रूम टू रिड की सहभागिता के साथ क्लाइमेट चेंज के दौर में फूलदेई विषय पर बच्चों के लिए जलवायु परिवर्तन पर बच्चों के लिए तैयार की गयी किताबों के लोकार्पण के साथ हुआ ।

सत्र मे दून लाइब्रेरी सभागार में कोना कक्षा के संयोजक गणेश उनियाल ने कहा कि इस वर्ष फूल फूलदेई के आने से पहले ही खिलने लगे हैं बुरांश और अन्य फूल जिन्हें मार्च में फूलना था वो जनवरी में ही फूल गये, यह स्पष्ट तौर ग्लोबल वार्मिंग का मौसम परिवर्तन पर असर है, हम उत्तराखंड हिमालय के लोग जलवायु परिवर्तन की इस बहस में अपनी भूमिका को कैसे स्थापित करते हैं और नयी पीढ़ी को शामिल करते हुए एक नागरिक पहल किस तरह कर सकते हैं इस निमित्त इस बार हम उत्तरखंड के दस हजार बच्चों के फूलदेई अभियान प्रारम्भ कर रहे हैं जो 14 मार्च से प्रारम्भ होकर 14 अप्रैल तक प्रदेश के विभिन्न स्कूलों में आयोजित होगा।

कोना कक्षा की सह-संयोजक आशा डोभाल ने बताया कि आयोजन में क्लाइमेट चेंज के दौर में फूलदेई पर लेखन,रंग और संवाद के साथ विभिन्न सार्वजनिक आयोजन किये जायेंगे ।

इस अवसर पर संस्था रूम टू रिड द्वारा तैयार की गई विभिन्न लेखकों की जलवायु परिवर्तन पर लिखी हुई कहानियों की पुस्तकों का विमोचन हुआ I संस्था की स्टेट हेड पुष्पलता रावत ने कहा जलवायु पर से हमारे आस-पास होने वाले बदलाव से हम सब परिचित है लेकिन इससे बच्चों को कैसे परिचित कराया जाए ये बड़ा सवाल है I इसके परिणाम भयावह हो सकते है लेकिन जरूरी है बच्चे इससे घबराये नहीं ब्लकि पर्यावरण से प्यार करे और उसके संरक्षण की जिम्मेदारी ले I इसी विचार के साथ रूम टू रीड ने इस विषय पर उत्तराखंड के सन्दर्भ मे पाँच पुस्तकों का प्रकाशन किया I ताकि इससे बच्चे अपने आसपास के जीव, जंतु, पेड़ और पौधों को समझे और उनको बचाने हेतु छोटे छोटे प्रयास करे ।
ये पाँच कहानियाँ है उम्मीद की नहीं- दिनेश कर्नाटक, सरूली- बीना बेंजवाल, मोनू मोनाल- देवेन्द्र मेवारि, जंतु होरिया- मुकेश नौटियाल, बौनी नेद- किशोर हटवाल ।


धाद के सचिव तन्मय ममगाईं ने कहा कि हमने फूलदेई को वार्षिक उत्सव के रूप मे इसलिए भी चुना क्युकी यह बच्चों की ही तरह इस धरती की सबसे कोमल अभिव्यक्ति है I इन दोनों की सहजता का पर्व ही फूलदेई हैं जो मनुष्यों के प्रकृति के पास जाने की बात करता है I आज जब हम सबके सामने जलवायु परिवर्तन की बड़ी समस्या आयी है बच्चों को भी इसे लेकर सम्वेदनशील बनाया जाए । इसलिए हमने उन्हें इस विषय पर लिखने, पढ़ने और बोलने के लिए एक महीने का आयोजन किया है । इस अवसर पर स्कूल की प्रधानाध्यापक विजय लक्ष्मी नौटीयाल, अध्यापक प्रतिमा सिंह, संगीता गुलाटी, मीनाक्षी देवी और धाद से नीना रावत, इंदु भूषण सकलानी, विजेंद्र रावत, सीमा कटारिया, डॉ विमल नौटियाल, शिव मोहन सिंह, डॉली डबराल, कांता घिल्डियाल, सुनीता चौहान, सुनीता मोहन, विनोद बहुगुणा, विजय जुयाल, हरीश कंडवाल, डा. हरीश अंडोला, विकास मित्तल इंद्रेश गोयल, मनोहर लाल, दयानंद डोभाल, हिमांशु आहूजा, रक्षिका पाण्डे, मीनाक्षी जुयाल, सुरेश स्नेही, तपस्या सती, रमेश जोशी, रोहित मालकोटी, इंद्रादेवी, वंदना रावत, विमला रावत, बिमला कठैत, डा. बिमल नौटियाल, विजय ममगाईं, राजीव पंतरी, शुभम आदि मौजूद थे ।

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