भारतीय लोगों में घुटने की आर्थराइटिस की समस्या वेस्टर्न कंट्रीज की तुलना में 15 गुना से भी अधिक – डॉ अपूर्ब गांगुली
चंडीगढ़ । हम सभी को कभी ना कभी कहीं ना कहीं दर्द होता ही रहता है क्या हमने कभी सोचा है कि यदि यह दर्द न हो तो बीमारी इतनी बढ़ जाएगी की हो सकता है उसे अंग को हमेशा के लिए ही खराब कर दे। इसीलिए ईश्वर दर्द के रूप में हमें संकेत देते हैं कि जहां दर्द है वहां रक्त का बहाव कम हो जाता है। सूजन हो जाती है इन सबके लिए हमें कुछ आवश्यक उपाय करने होंगे ताकि हम स्वस्थ रहें।
पेन के तीन मुख्य कारण हैं , सूजन या नर्व कंप्रेशन , हड्डियों को पकड़ने वाले मसल्स के सेल डैमेज होना व मसल्स की स्टिफनेस ।
डॉ अपूर्व गांगुली विश्व प्रसिद्ध साइंटिस्ट रिसर्चर ने रविवार को चंडीगढ़ में अपने दौरे के दौरान बताया कि हम जो भी खाना खाते हैं उसी में से माइक्रोन्यूट्रिएंट्स को प्रिजर्व करके उसी के मिलते जुलते तेल में मिलाकर यदि हम सूजन या दर्द वाले जोड़ पर लगाएं तो 42 दिनों में वह सूजन व नर्व का कंप्रेशन पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है । सवाल उठता है कि इन माइक्रोन्यूट्रिएंट्स ( करक्यूमिन , बोसवेलिया, कोमीफारा आदि )को हम खाने के रास्ते से क्यों नहीं लेते क्योंकि यदि आपके अंग में खून का दौरा ही नहीं जा रहा तो कोई भी माइक्रो न्यूट्रिएंट या दवाई वहां कैसे पहुंच पाएगी इसलिए उन्हें स्क्रीन के जरिए लगाया जाता है और इसी प्रकार अंग को बीमारियों से मुक्त किया जाता है।
डॉ अपूर्ब गांगुली विश्व प्रसिद्ध साइंटिस्ट रिसर्चर , बायो केमिस्ट व पेन हीलर है जिन्होंने इस थेरेपी के कई रिसर्च पेपर पब्लिश करवाया है और अमेरिकन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पेन मैनेजमेंट के साथ जुड़े हुए हैं उनका कहना है कि 42 दिन उनके बने माइक्रोन्यूट्रिएंट बेस्ड दवाइयां के इस्तेमाल से आपकी जोड़ो बीमारियां हल हो सकती हैं।
गौरतलब है कि डॉ अपूर्ब गांगुली मोहाली में एयरोसिटी में अपने सेंटर के उद्घाटन के लिए शहर आए हुए थे। भारतीय लोगों में घुटने की आर्थराइटिस की समस्या वेस्टर्न कंट्रीज की तुलना में 15 गुना से भी अधिक है।