“सुर संगम की संध्या में गूंजे वो नगमे, जिन पर झूमा एक दौर”
सुर संगम की ‘रीलाइव गोल्डन ऐरा’ संध्या में किशोर-अमिताभ के गीतों ने दिलों को छुआ, कलाकारों की प्रस्तुतियों ने बांधा समां
पंचकूला : सुर संगम द्वारा यवनिका ओपन एयर थियेटर, सेक्टर-5, पंचकूला में एक भव्य संगीतमय संध्या “रीलाइव गोल्डन ऐरा – किशोर-अमिताभ मैजिक अनप्लग्ड” का सफल आयोजन, सुर संगम, पंचकूला के संस्थापक डॉ. प्रदीप भारद्वाज के नेतृत्व में किया गया। यह कार्यक्रम महान गायक किशोर कुमार की पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करने और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के जन्मदिन को उत्सवपूर्वक मनाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था।
हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली से आए प्रतिभाशाली गायकों ने अपने जीवंत और जोशीले अंदाज़ में इन गीतों को प्रस्तुत कर दर्शकों को स्वर्णिम सिनेमा युग की मधुर स्मृतियों में डुबो दिया।

इस अवसर पर विशेष अतिथि के तौर पर पंचकूला के मेयर कुलभूषण गोयल ने शिरकत की।
सुर संगम, पंचकूला के संस्थापक डॉ. प्रदीप भारद्वाज ने बताया कि यह संध्या दोनों महान कलाकारों को समर्पित एक विनम्र सांस्कृतिक प्रयास रही। उन्होंने कहा कि इस आयोजन में भाग लेने वाले गायक कलाकारों ने पुराने दौर के सदाबहार गीतों के माध्यम से दर्शकों को उस भावनात्मक और संगीतमय दुनिया की सैर कराई, जो आज भी दिलों में जीवंत है।
कार्यक्रम की संगीतमय प्रस्तुतियों में दर्शकों को किशोर कुमार द्वारा गाए उन गीतों की मधुर झलकियां सुनने को मिलीं, जो अमिताभ बच्चन पर फिल्माए गए हैं। प्रदीप भारद्वाज ने “पग घुंघरू”, गाने के बखूबी प्रस्तुति दी। जिसके बाद उन्होंने “आज रपट जाएं”, श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया। अपनी आवाज़ के जादू को आगे बढ़ाते हुयर उन्होंने “लोग कहते हैं मैं शराबी हूं” और “अपनी तो जैसे तैसे” जैसे ऊर्जावान गीतों से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। गायक नंद किशोर ने “खाइके पान बनारसवाला” और “तेरे मेरे मिलन की ये रैना” जैसे जोशीले गीतों से माहौल को जीवंत कर दिया। अशोक दत्त ने सुमन के साथ “तुम भी चलो” और “देखा एक ख्वाब” जैसे रोमांटिक गीतों को अपनी आवाज़ से सजाया।
मेहता और रोज़ी की जोड़ी ने “इंतिहा हो गई इंतजार की” में तालमेल का बेहतरीन प्रदर्शन किया, वहीं जगदीप धांडा ने “भोले ओ भोले”, “रोते हुए आते हैं सब” और “हम प्रेमी प्रेम करना जाने” जैसे गीतों को अपनी दमदार प्रस्तुति से सजाया। मेहरा ने रोज़ी के साथ “ओ साथी रे”, “हम प्रेमी प्रेम करना जाने” और “परदेसीया ये सच है पिया” में अपने गायन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। संजय और सुधांशु ने “ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे” को दिल से गाया, जबकि बलजीत और सीमा ने “जाने कैसे कब कहां” को खूबसूरत अंदाज़ में पेश किया। धीरज ने पल्लवी के साथ “जिसका कोई नहीं” और “सलाम-ए-इश्क मेरी जान” जैसे गीतों में भावनाओं की गहराई दर्शाई।

इसके अलावा गायकों ने “कहे पैसे पे इतना घमंड करे” और “जिसका मुझे था इंतज़ार”; “छू कर मेरे मन को”;”तुम साथ हो जब अपने” और “ज़िंदगी मिलके बिताएंगे” जैसे गीतों में शानदार गायन का प्रदर्शन किया।
इन प्रस्तुतियों ने न केवल किशोर-अमिताभ के स्वर्णिम युग को जीवंत किया, बल्कि दर्शकों को उस दौर की संगीत यात्रा पर ले चलीं, जो आज भी दिलों को छूती है।



