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जिनकी जन्म कुंडली में क्रूर ग्रहों का कुप्रभाव हो तो श्रावण मास में रुद्राभिषेक से ग्रह शांत हो जाते हैं : आचार्य ईश्वर चंद्र शास्त्री


चण्डीगढ़ : श्रावण मास में रुद्राभिषेक करने का शिव पुराण में बहुत महत्व बताया गया है। रुद्राभिषेक के बहुत सारे लाभ भी बताए गए हैं। सेक्टर 28 के श्री खेड़ा शिव मंदिर में शिव पुराण की कथा में प्रवचन करते हुए आचार्य ईश्वर चंद्र शास्त्री जी ने बताया कि जिनकी जन्म कुंडली में क्रूर ग्रहों का कुप्रभाव हो तो रुद्राभिषेक से ग्रह शांत हो जाते हैं। विद्या की प्राप्ति, संतान की प्राप्ति, शारीरिक कष्ट के निवारण के लिए भी रुद्राभिषेक किया जाता है। शिवपूजन (अभिषेक) में कई प्रकार के उपचार लगते हैं जैसे दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, फूल, फल, गंगाजल, बेलपत्र, प्रसाद आदि। सभी उपचारों में गंगाजल और बिल्व-पत्र अति आवश्यक हैं।

भगवान महादेव को जब तक गंगाजल और बेलपत्र नहीं चढ़ाए जाते, तब तक भगवान उस पूजा को स्वीकार नहीं करते हैं। आचार्य ईश्वर चंद्र शास्त्री जी ने बताया कि बिल्ववृक्ष भगवान शिव का ही स्वरूप है बिल्ववृक्ष में सभी देवताओं का निवास है। अभिषेक करते समय भगवान को सभी वस्तुएं भाव से अर्पित करनी चाहियें। क्योंकि भगवान हमारी क्रिया को नहीं देखते अपितु हमारे भाव को देखते हैं। भगवान कहते हैं कि पत्र, पुष्प, फल, जल आदि कोई भी मुझे प्रेम भाव से अर्पित करता है तो मैं उसे खा लेता हूं।

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