लेखक गांव में “स्पर्श हिमालय”-महोत्सव की झलकियां।
स्पर्श हिमालय महोत्सव 2024 लेखक गांव, थानो से रिपोर्ट-
ब्यूरो/उत्तराखंड लाइव:
लेखक गांव में “स्पर्श हिमालय महोत्सव” की क्या रही उपलब्धियां:
- गढ़वाली और कुमाऊनी रचनाकारों का समागम:
राज्य के प्रतिष्ठित रचनाकार एक स्थल पर मिले और अनेक कहानियों का स्थानीय बोली में स्थलीय अनुवाद के सत्र में प्रतिभाग किया। शिक्षा मंत्रालय ,भारत सरकार के राष्ट्रीय पुस्तक विन्यास द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम सृजनीय और सराहनीय रहा। गढ़वाल तथा कुमाऊनी रचनाकारों द्वारा कवि सम्मेलन एवं पुस्तक चर्चा एक आकर्षण रहा।
- देश विदेश के हिन्दी साहित्यकारों का समागम:
देश विदेश के हिन्दी साहित्यकारों का मिलन,चर्चा,विवेचना, तथा एक साथ लेखक गांव में अनेक पुस्तकों का देश की जानी मानी हस्तियों के हाथों से लोकार्पण किया जाना नवोदित लेखकों को प्रोत्साहित कर गया।
पद्म अलंकृत हस्तियां का गांव में मिलन “राष्ट्रपति भवन” का आभास दिला गया..
लेखक गांव में इन विभूतियों का एक साथ मिलना,पूर्व राष्ट्रपति के साथ बातचीत करना और विभिन्न विषयों पर विचार करते देखन इस लेखक गांव की सराहनीय सोच की दर्शाता है।
लेखक गांव में आध्यात्मिक चिंतकों,साहित्यकारों,चित्रकारों, छायाकारों,राजनेताओं, विधि विशेषज्ञ,वैज्ञानिक,पर्यावरणविद्, शोधार्थियों,छात्र छात्राओं सहित ग्रामीणों और सैलानियों की निरंतरता से प्रतिभाग करना सुखद रहा।
- शास्त्रीय तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आकर्षण:
गांव में प्रख्यात नृत्यांगना सोनल मानसिंह, राष्ट्रीय नाट्य अकादमी के कलाकारों, आंचलिक लोक कलाकारों और विभिन्न शिक्षण संस्थाओं के द्वारा प्रस्तुत प्रस्तुतियां बेहद खूबसूरत रही।
- गांव में मिले शिक्षक और शिक्षार्थी:
महोत्सव में छात्रों,अध्यापकों और कुलपतियों को आमंत्रित कर एक पहल की गई थी । स्थान स्थान पर छात्र और शिक्षकों का संवाद देखने को मिला।
हिन्दी सीखने आए विदेशी छात्रों का लेखक गांव में आगमन:
भारत में विभिन्न देशों से हिंदी सीखने के लिए विदेशी छात्रों का इस अवसर पर शैक्षिक भ्रमण आयोजित किया जाना महत्वपूर्ण दृष्टिकोण बना। लगभग 40 देशों के 120 बच्चों का यहां आना और हिन्दी विषय पर उनके द्वारा अनुभवों को साझा करना कार्यक्रम की वैश्विक स्तर पर स्थापित कर गया।
- संक्षेप में स्पर्श हिमालय महोत्सव:
साहित्य,संगीत,कला,संस्कृति,सौंदर्य, सैर तथा संवाद का सुखद अवसर बन गया। ये उत्सव सरकारी आयोजनों की औपचारिकताओं से हटकर व्यवहारिक तथा विविधताओं से पूर्ण अभिनव प्रयास है। स्पर्श हिमालय फाउंडेशन का यह संयोजन पूर्ण रूप से लेखक साहित्यकार डॉ रमेश पोखरियाल “निशंक” की व्यक्तिगत रूचि,सोच उनके व्यवहारिक जीवन,लोगों से संवाद,संबंध और पूरे उत्सव में उनके सक्रिय आतिथ्य और सक्रियता की झलक दिखा रहा था।
- कौन -कौन आए गांव..
श्री राम नाथ कोविंद,पूर्व राष्ट्रपति,स्वामी अवधेशानंद, उत्तराखंड के राज्यपाल ले .ज. गुरमीत सिंह,मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, गीतकार प्रसून जोशी, प्रख्यात नृत्यांगना सोनल मानसिंह,भारत के पर्यटन मंत्री गजेन्द्र शेखावत, सड़क परिवहन राज्य मंत्री अजय टम्टा, उत्तराखंड की विधान सभा अध्यक्ष श्रीमती ऋतु भूषण खंडूड़ी, स्वामी चिदानंद मुनि, योगाचार्य बालकृष्ण,उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति जस्टिस धूलिया,उच्च न्यायालय उत्तराखंड के जस्टिस थपलियाल, पद्म अलंकृत विभूतियां, प्रदेश से और देश के अनेक विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति एवं कुलपति,प्रवासी साहित्यकार और उद्यमी, राष्ट्रीय नाट्य संस्थान के निदेशक,कलाकार,हिंदी साहित्य अकादमी के निदेशक अधिकारी, उत्तराखंड राज्य के गणमान्य नागरिक,अधिकारी,कवि लेखक,चित्रकार,छायाकार तथा कलाप्रेमी और सबसे महत्वपूर्ण साहित्य,संगीत,कला तथा रचनाधर्मी जन मानस।
- लेखक गांव का पहला प्रकाशन:
“हिमालय में राम”
लेखक गांव के पहले प्रकाशन “हिमालय में राम” पुस्तक का प्रकाशन किया गया है। यह पुस्तक डॉ. रमेश पोखरियाल “निशंक “की है।
उत्तराखंड में श्री राम पथ पर केंद्रित पुस्तक राज्य में आध्यात्म और सांस्कृतिक पर्यटन पथ में विश्व को आकर्षित किए जाने की विशेष पहल भी कही जा सकती है।
लेखक गांव में पहुंची विभूतियों ने साझा किए विचार:
प्रसून जोशी ( हिन्दी कवि, लेखक, पटकथा लेखक और भारतीय सिनेमा के गीतकार) :-
ने कहा कि हिमालय में यह गांव रचनात्मकता को विस्तार देगा। किसी भी रचना की उत्पत्ति के लिए एकांत और सृजनात्मक माहौल की आवश्यकता होती है, जिससे रचनाकार अपने स्वयं के अस्तित्व में डूब कर मोती निकाल सके और यह लेखक गाँव वही साबित होगा।
सोनल मान सिंह (भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना) : – ने कहा कि मेरे लिए प्रकृति के इस सौंदर्य के बीच अपनी कला का प्रदर्शन और प्रस्तुति देना एक अलग अनुभूति है।
स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज( हिंदू आध्यात्मिक गुरु, संत, लेखक और दार्शनिक) – यह गांव सृजन का गाँव बनेगा। अपने आप में यह अबतक की अनोखी और विशेष पहल है, मुझे आशा ही नहीं विश्वास भी है कि यह रचनाकारों के लिए वरदान साबित होगा।
पद्मश्री कल्याण सिंह रावत(मैती अभियान के प्रणेता) :- लेखक गांव कुछ और नहीं बल्कि स्वयं में प्रकृति और पर्यवरण की जीती जागती प्रयोगशाला है।
आ अब गांव चलें…
निशंक जी की प्रमुख पुस्तकों के प्रकाशक उत्तराखंड के प्रमुख “विनसर प्रकाशन” के कीर्ति नवानी ने लेखक गांव में प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि,”
निशंक जी ने बहुत पहले एक कविता लिखी, आ अब गांव चलें..
अब गांव बनाया,लेखक गांव।
“लेखक गांव” का विचार व्यवहार से वैभवशाली बना:- पुरोहित
प्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर डी .आर. पुरोहित ने विगत दिनों देश के पहले लेखक गांव थानों में प्रतिभाग करते हुए ये विचार व्यक्त किए।