भागवत कथा सुनने से आध्यात्मिक एवं बौद्धिक विकास होता है : ईश्वर चंद्र शास्त्री
चण्डीगढ़ : पितृ श्राद्ध के अवसर पर चण्डीगढ़ देवालय पूजक परिषद द्वारा भगवान परशुराम भवन सैक्टर 37 सी में हो रही श्रीमद्भागवत कथा में कथाव्यास आचार्य पंडित ईश्वर चंद्र शास्त्री ने श्राद्ध महिमा की व्याख्या करते हुए बताया कि आयु: पूजां धनं विद्यां स्वर्ग मोक्ष सुखानि च। प्रयच्छति तथा राज्यं पितर: श्राद्ध तर्पिता।। – अर्थात जो लोग अपने पितरों का श्राद्ध श्रद्धापूर्वक करते हैं, उनके पितर संतुष्ट होकर उन्हें आयु, संतान, धन, स्वर्ग, राज्य मोक्ष व अन्य सौभाग्य प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि श्राद्ध पक्ष के दौरान भागवत कथा सुनने से आध्यात्मिक एवं बौद्धिक विकास होता है और भगवान के प्रति भक्ति बढ़ती है। इस अवसर पर कथा व्यास ने संगीतमय भजन-आओ सजाले आज को कल का पता नहीं, कल को तो छोड़िये जनाब यहां पल का पता नहीं, द्वारा कथा की महिमा का गुणगान किया।
आज कथा में मुख्य अतिथि संत बाबा सुखबीर सिंह जी डेरा कंधोला गुरुद्वारा गुरु हर राय साहिब जी चमकोर साहिब जी ने अपनी शुभकामनायें दी और बताया डेरे द्वारा गरीब लड़कियों की शादी करवाई जाती है और देसी दवाखाना से समाज सेवा भी की जाती है। इस अवसर पर किन्नर महामंडलेश्वर सोनाक्षी जी महाराज, श्री ब्राह्मण सभा के प्रधान यशपाल तिवारी, परिषद के प्रधान डॉ लाल बहादुर दुबे, पंडित ओमप्रकाश, पंडित देवी प्रसाद, पंडित प्रकाश जोशी, सहित परिषद के सभी अधिकारी उपस्थित रहे।