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रचानात्मक गतिविधियों का केन्द्र बना पौड़ी का “रावत” गांव।


पिछले चार वर्षों से गांव में हो रहा वार्षिक महोत्सव।

पौड़ी के 13 गांव के 400 लोग करते हैं प्रतिभाग।

महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर,युवाओं को मिल रहा प्रशिक्षण।

आशीष लखेड़ा /गढ़वाल/उत्तराखण्ड लाइव: पौड़ी का रावत गांव अब रचनात्मक क्रियाकलापों के साथ ही व्यक्तित्व विकास और रोजगार सृजन के प्रशिक्षण केंद्र के रूप में उभरता दिख रहा है। यहाँ वर्ष में एक बार होने वाले “रन भुला, रन भुली” महोत्सव में गांव के बच्चे, बूढ़े, युवा और महिलाएं खेल-कूद और सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं, साथ ही रॉक क्लाइम्बिंग जैसे साहसिक खेलों का प्रशिक्षण भी प्राप्त कर रहे हैं। दो दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में आस-पास के गांव के 400 से अधिक ग्रामीण शामिल होते हैं।
“त्रियंबक फाउंडेशन” के बैनर तले पिछले चार वर्षों से प्रत्येक वर्ष पौड़ी गढ़वाल के रावत गांव में इस महोत्सव का आयोजन दो दिनों के लिए होता है, जिसमें रावत गांव और आस-पास के क्षेत्र के 13 गांवों के कुल 400 से अधिक ग्रामीण भाग लेते हैं। इस बार भी आयोजित महोत्सव में रन भुला, रन भुली कार्यक्रम के तहत रस्सा-कस्सी, दौड़, सांस्कृतिक कार्यक्रम और फन गेम्स में ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

इस दौरान पौड़ी क्षेत्र के रावत गांव में ही युवाओं को साहसिक गतिविधियों के तहत हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल गुलमर्ग के रिटायर्ड प्रशिक्षक ऑडनेरी कैप्टन सुनील कुमार गुंसाई और उनकी टीम द्वारा कैम्पिंग और रॉक क्लाइम्बिंग का विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया। बालक वर्ग की आठ किमी दौड़ में संदीप ने पहला, दिगंबर सिंह ने दूसरा और बबलू ने तीसरा स्थान पाया। जबकि बालिका वर्ग की 6 किमी दौड़ में मीनाक्षी ने पहला, निधि ने दूसरा और अंजली ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। पुरुष वर्ग की रस्सा-कस्सी में रेवाड़ी गांव जबकि महिला वर्ग में चरण गांव ने बाजी मारी। कार्यक्रम में पहुंचे पौड़ी के जिलाधिकारी आशीष चौहान ने इस महोत्सव की सराहना करते हुए इसे गांव और ग्रामीणों के व्यक्तित्व विकास के लिए जरूरी और महत्वपूर्ण बताया।

ग्रामीणों में सकारात्मक विचारों का संचार: प्रत्येक वर्ष इस महोत्सव में प्रतिभाग करने वाले ग्रामीणों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिससे यह प्रतीत होता है कि ग्रामीण इसको लेकर कितने उत्साहित हैं। विभिन्न खेलों और क्रियाकलापों में भाग लेने से उनका व्यक्तित्व विकास भी निखर रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अब स्थानीय लोग इस महोत्सव के आयोजन का इंतजार करते हैं और साथ ही खुद को किसी एथलीट या प्रतिभागी खिलाड़ी की तरह शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करते हैं।लाभकारी रहा निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर: महोत्सव में इस बार ग्राफिक इरा अस्पताल देहरादून द्वारा आयोजित निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर का ग्रामीणों ने लाभ उठाया। इस दौरान लगभग 200 से अधिक लोगों ने अपने स्वास्थ्य की जांच कराई, जिसमें चिकित्सकों ने उनका स्वास्थ्य परीक्षण कर रोगियों को दवा के साथ ही उचित परामर्श भी दिया।

महिलाएं ले रही उद्यमिता और आत्मनिर्भरता का अनुभव: महोत्सव के बहाने रावत गांव और आस-पास क्षेत्र की महिलाएं आत्मनिर्भरता के साथ ही उद्यमिता के गुर भी सीख रही हैं। दो दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में महिलाएं गढ़वाली व्यंजनों के स्टॉल लगाती हैं। खिलाड़ियों से लेकर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इसी स्टॉल पर जाकर स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ उठाते हैं। इससे स्टॉल लगा रही महिलाओं को व्यापारिक और व्यवहारिक दोनों अनुभव मिलता है।

गांव को मिल रही नई दिशा और पहचान: एक समय पर अपने घरेलू रोजमर्रा के कामों तक ही सीमित रहने वाला रावत गांव अब इंटरनेट, समाचारों और समाज में बहुउद्देशीय रचनात्मक क्रियाकलापों के केंद्र के रूप में पहचान बना रहा है। जो निवेशकों और विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के बीच सुर्खियों में है। इसके अलावा यह गांव अब स्थानीय और जिला प्रशासन का भी ध्यान अपनी ओर खींचता दिख रहा है।

जानकारी देते हुए त्रियंबक फाउंडेशन के मेजर गोर्की चंदोला ने बताया कि,” यह कार्यक्रम पिछले चार वर्षों से ग्रामीणों के सहयोग से निरंतर आयोजित किया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य गांव के युवाओं, बच्चों, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों में उत्साह और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना है, जिससे वे अपनी प्रतिभा को पहचानकर उसे दिशा देने योग्य बना सकें। इसके बाद, त्रियंबक फाउंडेशन उन्हें उनकी क्षमता और प्रतिभा के अनुसार मंच प्रदान करेगा। बताया गया कि जल्द ही गांव में एक और महिला सशक्तिकरण के लिए प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जाएगा, वहीं युवाओं को साहसिक गतिविधियों से जोड़ने का काम भी किया जा रहा है”

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