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श्रीमद्भाग्वतम् रसामृत के पान से जो तृप्त हो गया, उसे किसी अन्य वस्तु में आनन्द नहीं आ सकता : पंडित हरीश शर्मा


चण्डीगढ़ : पितृ पक्ष के उपलक्ष में परशुराम भवन सेक्टर 37 में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन कथावाचक पंडित हरीश शर्मा ने बताया कि श्रीमद्भागवत भक्तिरस तथा अध्यात्मज्ञान का समन्वय उपस्थित करता है। भागवत निगमकल्पतरु का स्वयंफल माना जाता है जिसे नैष्ठिक ब्रह्मचारी तथा ब्रह्मज्ञानी महर्षि शुक ने अपनी मधुर वाणी से संयुक्त कर अमृतमय बना डाला है। स्वयं भागवत में कहा गया है कि श्रीमद्भाग्वतम् सर्व वेदान्त का सार है। उस रसामृत के पान से जो तृप्त हो गया है, उसे किसी अन्य जगह पर कोई रति नहीं हो सकती अर्थात उसे किसी अन्य वस्तु में आनन्द नहीं आ सकता।

कथाव्यास ने महारास लीला, गोपी गीत, कंस वध तथा प्रमुख रूप से श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह का प्रसंग सुनाया। इस अवसर पर सुंदर झांकी भी निकाली गई। भगवान कृष्ण और रुक्मणी के विवाह के इस प्रसंग पर सभी महिलाएं लाल और पीली साड़ी में सज धज कर आई। भगवान की इस सुंदर लीला का श्रवण करने के लिए पूरा भवन श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया। इस अवसर पर कथा वक्ता द्वारा गाए भजनों पर सभी भक्त नाचने पर मजबूर हो गए। इस मौके पर भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हिमाचल के सह प्रभारी संजय टंडन, भाजपा अध्यक्ष जितेंद्र पाल मल्होत्रा, पूर्व अध्यक्ष अरुण सूद, शक्ति देवशाली, शास्त्री मार्केट कमेटी के अध्यक्ष मुकेश गोयल, बीजेपी पंजाब के मीडिया प्रभारी विनीत जोशी विशेष रूप से उपस्थित रहे।

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