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दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल में शहर की कवयित्री डॉ. साज़ीना ख़ान की कविताओं ने बिखेरी भावनाओं की गहरी छाप


चंडीगढ़ । दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल ने एक अविस्मरणीय साहित्यिक अनुभव का साक्षी बनने का अवसर प्रदान किया, जब चंडीगढ़ की कवयित्री डॉ. साज़ीना ख़ान ने अपनी नवीनतम कविता संग्रह “थ्रू द डेस्पेयर्स” से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। कवयित्री की गहरी रचनाएँ, जिनमें “फायर ऑफ लाइफ”, “एब्जॉर्ब” और “नो टाउन” शामिल हैं, उनके अद्वितीय तरीके को प्रदर्शित करती हैं, जिसमें वह मानव भावना और साहस के गहरे आयामों की खोज करती हैं। उनकी कविता गहरे प्रभाव से जीवन के संघर्षों, खुशियों और आत्ममंथन के क्षणों को व्यक्त करती है, जो पाठकों को सांत्वना और प्रेरणा प्रदान करती है।


“फायर ऑफ लाइफ” कविता में डॉ. ख़ान ने बताया कि उन्होंने इस कविता में अभिव्यक्तिपूर्ण रूपक का उपयोग कर निराशा को एक सर्वव्यापी और शुद्ध करने वाली अग्नि के रूप में चित्रित किया है, “क्या यह वही नरक है जो हर सांस को जलाता है, /जहाँ असमानता की लपटें आत्मा को चूमती हैं, और जो कुछ था वह आशा की राख छोड़ जाती है?
उन्होंने बताया कि यह प्रबल रूपक जीवन के अंधेरे क्षणों से उबरने और आगे बढ़ने के सार्वभौमिक यात्रा को दर्शाता है, जो दर्शकों के साथ गहरी अनुगूंज उत्पन्न करता है।डॉ साज़ीना ने बताया कि उनकी कविता “एब्जॉर्ब” उस शांति और ताकत पर विचार करती है, जो पीड़ा को अपनाने और उसे सहन करने के लिए आवश्यक होती है, बिना खुद को खोए। यह मानव आत्मा की अद्भुत सहनशक्ति को श्रद्धांजलि अर्पित करती है, और पाठकों को दर्द में भी अर्थ खोजने के लिए प्रेरित करती है।


डॉ. साज़ीना का कार्य सांस्कृतिक और भाषाई सीमाओं को पार करते हुए लिखित शब्द की शक्ति का कालातीत प्रमाण प्रस्तुत करता है। उनकी भावनाओं और विचारों के जटिल संगम से जीवन की नाजुकता और ताकत का गहरा एहसास होता है। एक ऐसे समय में जब कविता अपनी जगह पाने के लिए संघर्ष करती है, उनका स्वर आशा की एक चमचमाती किरण की तरह है, जो प्राचीन ज्ञान को आधुनिक संवेदनाओं के साथ जोड़ता है।

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