आज मेरे श्याम की शादी है, ऐसा लगता है सारे, ब्रजधाम की शादी है…
चडीगढ : श्री प्राचीन शिव मंदिर सभा, सेक्टर 23-डी द्वारा वार्षिक मूर्ति स्थापना महोत्सव के उपलक्ष्य में श्रीमद् भागवत कथा कथा व्यास श्री श्याम बिहारी शास्त्री (वृन्दावन वाले) द्वारा मंदिर परिसर में 20 मई तक मंदिर कमेटी द्वारा आयोजित की गई। आज कथा व्यास जी ने अपनी अमृतवाणी से श्रीमद्भागवत कथा प्रारंभ करते हुए व्यास ने भगवान की अनेक लीलाओं में श्रेष्ठतम लीला रास लीला का वर्णन किया भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य महारास लीला का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान की महारास लीला इतनी दिव्य है कि स्वयं भोलेनाथ उनके बाल रूप के दर्शन करने के लिए गोकुल पहुंच गए। महाराज द्वारा कथा सुनाते हुए भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि रुक्मणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार थी। रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया। रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मणी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह चेदि नरेश राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था।
रुक्मणी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने एक ब्राह्मण संदेशवाहक द्वारा श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भिजवाया। तब श्रीकृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुंचे और वहां बारात लेकर आए शिशुपाल व उसके मित्र राजाओं शाल्व, जरासंध, दंतवक्त्र, विदु रथ और पौंडरक को युद्ध में परास्त करके रुक्मणी का उनकी इच्छा से हरण कर लाए। वे द्वारिकापुरी आ ही रहे थे कि उनका मार्ग रुक्मणी ने रोक लिया और कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा। तब युद्ध में श्रीकृष्ण व बलराम ने रुक्मणि को पराजित करके दंडित किया। तत्पश्चात श्रीकृष्ण ने द्वारिका में अपने संबंधियों के समक्ष रुक्मणी से विवाह किया। इस अवसर पर उन्होंने अपनी मधुर वाणी में आज मेरे श्याम की शादी है, श्याम की शादी है, मेरे घनश्याम की शादी है….भजन सुना कर सबका मन मोह लिया। इस अवसर पर मंदिर प्रधान राजीव करकरा और महासचिव गिरीश कुमार शर्मा के साथ डॉक्टर राजीव कपिला सहित, मंदिर पुजारी के साथ समस्त कार्यकारिणी सदस्य एवं महिला संर्कीतन मण्डली के सभी सदस्यों ने उपस्थिति दी।