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भगवान श्रीकृष्ण ने जब इंद्र देव का अहंकार तोड़ा…


चण्डीगढ़ : श्री सनातन धर्म मन्दिर सैक्टर 11 द्वारा सात दिवसीय श्री मद्भागवत महापुराण की कथा महामंडलेश्वर स्वामी यमुना पुरी जी महाराज (कनखल, हरिद्वार वाले), के मुखारविंद से हो रही हैं। पूज्य महाराज श्री ने भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला का वर्णन सुनाया। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण के पैदा होने के बाद कंस उसको मौत के घाट उतारने के लिए अपनी राज्य की सर्वाधिक बलवान राक्षसी पूतना को भेजता है। पूतना वेश बदलकर भगवान श्रीकृष्ण को अपने स्तन से जहरीला दूध पिलाने का प्रयास करती है। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण उसको मौत के घाट उतार देते हैं। उसके बाद कार्तिक माह में ब्रजवासी भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन का कार्यक्रम करने की तैयारी करते हैं। भगवान कृष्ण द्वारा उनको भगवान इंद्र की पूजन करने से मना करते हुए गोवर्धन महाराज की पूजन करने की बात कहते हैं।

इंद्र भगवान उन बातों को सुनकर क्रोधित हो जाते हैं। वह अपने क्रोध से भारी वर्षा करते हैं। जिसको देखकर समस्त ब्रजवासी परेशान हो जाते हैं। भारी वर्षा को देख भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर पूरे नगर वासियों को पर्वत को नीचे बुला लेते हैं। जिससे हार कर इंद्र एक सप्ताह के बाद वर्षा को बंद कर देते हैं जिसके बाद ब्रज में भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन महाराज के जयकारे लगाने लगते हैं। इस अवसर पर मंदिर कमेटी एवम आयोजक शर्मा परिवार के साथ गणमान्यों लोग उपस्थित रहे कथा उपरान्त प्रसाद भंडारा वितरित किया गया

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