नवंबर माह वर्ल्ड लंग्स कैंसर अवेयरनेस को समर्पित
चेन स्मोकिंग करने वाले 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को हर साल फेफड़े के कैंसर की जांच करानी चाहिए: डॉ. दिगंबर बेहरा
मोहाली: फेफड़े का कैंसर विश्व स्तर पर कैंसर से होने वाली मौतों के प्रमुख कारणों में से एक है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों में उच्चतम मृत्यु दर के लिए जिम्मेदार है। फोर्टिस मोहाली के पल्मोनरी मेडिसिन के डायरेक्टर डॉ. दिगंबर बेहरा ने कहा कि सक्रिय और निष्क्रिय दोनों प्रकार के धूम्रपान करने वालों में फेफड़े के कैंसर का खतरा अधिक होता है, और उन्हें हर साल अपनी जांच करानी चाहिए। वर्ल्ड लंग्स कैंसर अवेयरनेस माह के अवसर पर, डॉ. बेहरा ने स्वास्थ्य परामर्श में फेफड़े के कैंसर के कारणों, लक्षणों, निदान और उपचार विकल्पों के बारे में जानकारी व परामर्श जारी किया।
डॉ. दिगंबर बेहरा ने बताया कि फेफड़े के कैंसर का मुख्य कारण तंबाकू का सेवन है, जो फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और व्यक्ति की ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता को प्रभावित करता है। तंबाकू के धुएं में कार्बन मोनोऑक्साइड होता है, जो रक्त में ऑक्सीजन के प्रवाह को सीमित कर देता है और इसे अंगों तक पहुंचाने में बाधा डालता है। जो लोग 50 वर्ष से अधिक उम्र के हैं और नियमित रूप से धूम्रपान करते हैं, उन्हें हर साल छाती का एक्स-रे कराना चाहिए। निष्क्रिय धूम्रपान करने वालों को भी खतरा होता है। जो लोग उच्च स्तर के रेडिएशन, आर्सेनिक, क्रोमियम, निकेल, तांबा, और एस्बेस्टस के संपर्क में आते हैं, उनमें भी फेफड़े के कैंसर का जोखिम अधिक होता है। इसके अलावा, घर के अंदर और बाहर वायु प्रदूषण, विशेष रूप से बायोमास फ्यूल और केरोसिन के संपर्क में आने से फेफड़ों को नुकसान हो सकता है। कुछ लोगों में फेफड़े के कैंसर के लिए आनुवंशिक प्रवृत्ति भी होती है।”
लक्षणों पर चर्चा करते हुए डॉ बेहरा ने बताया कि खांसी, थूक में खून आना, सीने में दर्द, बुखार, कमजोरी, थकावट, अस्वस्थता, भूख कम लगना और वजन घटना शामिल हैं। उन्होंने बताया कि फेफड़े के कैंसर का निदान लैब टेस्ट, पीईटी/सीटी स्कैन और एंडोब्रोंकियल अल्ट्रासाउंड (ईबीयूएस) के माध्यम से किया जा सकता है। बायोप्सी के लिए ब्रोंकोस्कोपी की जाती है। फाइन नीडल एस्पिरेशन साइटोलॉजी और फेफड़ों के तरल पदार्थ की जांच से भी कैंसर के प्राथमिक स्थान की पुष्टि होती है। पैथोलॉजिकल परीक्षण कैंसर के प्रकार और उपचार की दिशा निर्धारित करने में सहायक होते हैं।
डॉ बेहरा ने बताया कि फेफड़े के कैंसर का उपचार मुख्य रूप से सर्जरी, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी, टारगेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी के रूप में किया जाता है।