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भगवान श्री कृष्ण के गीतोपदेश हमारे लिए आदेश हैं : स्वामी श्रीनिवासाचार्य


पंचकूला : सेक्टर-5 पंचकूला माता मनसा देवी परिसर के श्रीमुक्तिनाथ वेद विद्याश्रम, संस्कृत गुरुकुल में पितरों के निमित्त श्रीमद भागवत कथा साप्ताहिक ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया है। वीरवार को गुरुकुल परिसर में कथा का दूसरा दिन रहा। इसमें स्वामी श्रीनिवासाचार्य महाराज मुख्य वक्ता रहे। उन्होंने भगवान के चौबीस अवतारों का वर्णन करते हुए बताया, अगर देखा जाए तो भगवान के अनंत अवतार हैं। जिनमें रामावतार तथा कृष्णावतार सबसे मुख्य है। हमें राम जी को अपने जीवन का आदर्श मानकर उनके द्वारा दिखाई गई मर्यादा के जीवन पथ पर चलना चाहिए।

जबकि भगवान श्री कृष्ण के गीतोपदेश – श्रुतिः स्मृतिः ममैवाज्ञा पुराण स्मृति आदि के मुताबिक वह हमारे ही आदेश हैं। यह मानकर कर जीवन में धर्म का आचरण करना चाहिए। द्वितीय स्कन्ध में विराट् स्वरूप का वर्णन करते हुए स्वामी जी ने बताया कि पूरी सम्पूर्ण सृष्टि परमात्मामयी है। इसके कण कण में परमात्मा विराजान हैं। जैसे पृथ्वी से पाताल तक भगवान् के चरण हैं। स्वर्गादि लोक भगवान् का मस्तक है। दिशायें जो हैं वह उनके कान हैं। हवा यानी वायु में उनकी श्वास (सांसे), पर्वत में उनकी हड्डियां और नदियाें के जल की तरह नसों में प्रवाहित होने वाला रक्त है। इस कार्यक्रम में अश्विनी गुप्ता मुख्य यजमान रहे। जबकि दौलत राम अग्रवाल, कुलदीप शर्मा, राज सिंह, सुरेंद्र गुप्ता, लाजपत राय बंसल, मुकेश गुप्ता ने खास भूमिका में मौजूद रहे। इसके साथ ही कथा में पतंजलि योग पीठ के कार्यकर्ता ने कथा में अपना योगदान दिया।

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