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इस कुंड में दिखती है राम सीता की छवि।


ऋषिकेश घाट पर तपोबल से आई है यमुना।

ब्यूरो/उत्तराखण्ड लाइव: धर्मनगरी ऋषिकेश की पहचान माँ गंगा से है, यह हम सभी लोग जानते हैं। पौराणिक व धार्मिक दर्शन में गंगा माता का विशेष महत्व है। यहॉ रोजाना हजारों की संख्या में पर्यटक और तीर्थयात्री माँ गंगा के दर्शनों के लिए यहॉ पहुंचते हैं। इसी बीच एक स्थान इसी घाट के समीप ऐसा भी है जहॉ आप गंगा के अलावा मॉ यमुना का दर्शन भी कर सकते है।

त्रिवेणी घाट ऋषिकेश के निकट प्राचीन रघुनाथ जी के मंदिर में स्थित ऋषि कुंड यमुना जी का स्रोत माना जाता हैं। माना जाता हैं कि यहाँ यमुना जी ऋषि कुंज की तपस्या से प्रसन्न होकर प्रकट हुई थी। यमुना जी इसी स्रोत से होकर त्रिवेणी घाट पर मा गंगा व सरस्वती नदी से मिलकर संगम बनाती हैं।

रघुनाथ मंदिर में स्तिथ इस पवित्र कुंड में आप राम जी, सीता जी, व हृषिकेश नारायण जी की छवि देख सकते हैं। शांत वातावरण में स्थित यह कुंड आत्मिक शांति के लिए उत्तम स्थान हैं। ऋषि कुंड के चारों और पीपल के वृक्ष हैं जो वातावरण को और पावन बना देते हैं।

यहाँ आप अनेक प्रकार की मछलियाँ, कछुए, व अन्य जल प्रजातियां मिल सकती हैं। ऋषि कुंड प्रसिद्ध त्रिवेणी घाट के पास ही स्थित हैं। साथ ही इसकी दूरी ऋषिकेश बस स्टैंड से मात्र 3 km हैं।

कुंड में नजर आती है राम सीता की छवि : ऋषिकेश में त्रिवेणी घाट के पास स्थित एक पवित्र तालाब है। यह माना जाता है कि संत कुंज की सौम्यता से प्रसन्न होकर यमुना नदी की देवी ने इस तालाब को अपने पानी से भर दिया था। पर्यटक तालाब के पानी में भगवान राम और सीता को समर्पित प्राचीन रघुनाथ मंदिर की छवि देख सकते हैं। दो प्रसिद्ध मंदिर, लक्ष्मण मंदिर और भारत मंदिर भी ऋषिकुंड के पास स्थित हैं। दुनिया के विभिन्न हिस्सों से भक्त यहां इकट्ठा होते हैं और देवी यमुना को अपनी प्रार्थना अर्पित करते हैं और अन्य देवताओं का आशीर्वाद भी मांगते हैं।

इस कुंड में स्नान कर किया था राम ने तप: मान्यता है कि रावण के वध के बाद ब्रह्म हत्या के पाप के प्रायश्चित के लिए भगवान राम ने कुछ समय तक इस कुंड के पास तप किया था। इसके बाद वह तपस्या करने देवप्रयाग चले गए थे। यहां भी राम भक्त दूर-दूर से आकर रघुनाथ जी के दर्शन करते हैं।

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