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केबिन खाली करवाने के लिए लगा दी आग


केबिन में रखा सारा कीमती सामान जल कर राख

चंडीगढ़:-कंस्ट्रक्शन का काम करने वाले एक व्यक्ति ने सेक्टर 22 पुलिस चौकी और सेक्टर 17 थाना प्रभारी पर उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई न किए जाने के गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोपी का कहना है कि उनकी शिकायत को सुनने के लिए अभी तक कोई भी पुलिस अधिकारी या कर्मी ने कोई दिलचस्पी नही दिखाई है। उन्होंने कहा कि वो जल्द ही अपनी शिकायत माननीय डी जी पी और एस एस पी महोदय को दरख्वास्त देंगे।


पीड़ित अब्दुल खान ने प्रेस वार्ता में बताया कि वो सेक्टर 22/सी एससीओ 2407-08 की तीसरी मंजिल पर केबिन नंबर 02 में कंस्ट्रक्शन का आफिस वर्ष 2012 से चला रहे हैं। जिसका तब रेंट अग्रीमेंट भी हुआ था। उसके बाद बिल्डिंग ओनर ने कभी रेंट अग्रीमेंट नही बनाया। वो नकद ही किराया, बिजली पानी के बिल के साथ साथ प्रोपर्टी टैक्स भी लेते रहे। बाद में पता चला कि जिस व्यक्ति ने उन्हें शोरूम का ओनर बता कर केबिन रेंट पर दिया था,वो तो बल्कि केयर टेकर जिसका नाम दिल मोहन सिंह है। शोरूम के असल मालिक का तो पता ही नही है। अब्दुल खान ने आगे बताया कि पिछले कुछ समय से उपरोक्त तथाकथित व्यक्ति से केबिन खाली करवाने को उनका मनमुटाव चल रहा था। 20 अप्रैल 2024 की रात्रि उन्हें पता चला कि शोरूम की तीसरी मंजिल आग की चपेट में आ गई है। उन्होंने बाद में जाकर देखा तो तीसरी मंजिल के लगभग सभी केबिन जल चुके थे। जिसमें उनके केबिन में रखा सारा सामान जल कर राख हो चुका है। अब्दुल खान ने आगे बताया कि उन्होंने मामले को लेकर सेक्टर 17 थाने के अधीन आती सेक्टर 22 पुलिस चौकी में शिकायत दी। लेकिन उन्होंने शिकायत पर कोई तीव्रता न दिखाते हुए यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि आई ओ उपस्थित नही है। वो जब आएंगे तब शिकायत पर कार्रवाई होगी। उन्होंने 21और 22 अप्रैल को कई बार पुलिस चौकी और थाने के चक्कर लगाए, कि उनकी शिकायत पर कार्रवाई की जाए। लेकिन अभी 03 दिन बीत जाने के बाद भी न तो पुलिस चौकी और न ही थाने की तरफ से कोई गंभीरता देखने को मिली है।

उन्होंने मांग की कि आग से हुए उनके नुकसान का उन्हें आरोपी से उचित मुआवजा दिलाया जाए। आग के इस हादसे में उनके जरूरी डॉक्यूमेंट्स के अलावा कीमती सामान भी जल चुका है।

अब्दुल खान ने कहा कि वो जल्द ही मामले को लेकर डी जी पी और एस एस पी महोदय से मुलाकात करेंगे। अगर तब भी कोई कार्रवाई नही होती। तो माननीय अदालत का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई चारा नही बचेगा।

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